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Gyanvapi Case: क्या काशी में भी जारी रहेगा अयोध्या वाला ट्रेंड? वाराणसी कोर्ट के निर्णय के बाद उठे सवाल

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Gyanvapi Case:

 

Gyanvapi Case: वाराणसी में ज्ञानवापी (Gyanvapi) को लेकर जो विवाद सालों से चला आ रहा था और मामला कोर्ट में विचाराधीन था, उसमें एक नया मोड आ गया है। इस मामले में वाराणसी कोर्ट (Varanasi Court) ने एएसआई (ASI) को सर्वे (Survey) करने की इजाजत दे दी है। आज (21 जुलाई) को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी इस सर्वे को कराने के खिलाफ था और इसका विरोध कर रहा था। लेकिन कोर्ट ने उसकी दलीलें नहीं मानी और सर्वे की अनुमति दे दी।

कोर्ट ने सुनाया सर्वे का फैसला

आज वाराणसी कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि इस केस में एएसआई को सर्वे करने की इजाजत दी जाती है। अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण होगा। एएसआई ज्ञानवापी का सर्वे कर 4 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगा। एएसआई की रिपोर्ट आने के बाद इस विवाद में आगे की रूपरेखा तय होगी। कोर्ट के इस फैसले से जहाँ हिन्दू पक्ष खुश नजर आ रहा, तो वहीं मुस्लिम पक्ष में मायूसी है। इसकी वजह ये है कि वो शुरू से एएसआई (ASI) से सर्वे कराने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे थे।

Gyanvapi Case: ये था दोनों पक्षों का नजरिया

हिंदू पक्ष की सीता साहू, रेखा पाठक, मंजू व्यास और लक्ष्मी देवी की ओर से दिए गए इस आवेदन पर कोर्ट ने ये आदेश सुनाया। हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं की दलील है कि सर्वे से यह स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी की वास्तविकता क्या है। सर्वे में बिना क्षति पहुचाएं पत्थरों, देव विग्रहों, दीवारों सहित अन्य निर्माण की उम्र का पता लग जाएगा। वहीं मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सर्वे कराने के आवेदन का विरोध किया था।

इस फैसले ने दिलाई अयोध्या के बाबरी मस्जिद केस की याद

वाराणसी कोर्ट के आज के निर्णय से लोगों के जेहन में अयोध्या (Ayodhya) के बाबरी मस्जिद केस (Babri Masjid Case) की यादें ताजा हो गईं हैं। उस मामले में भी इसी तरह का फैसला आया था। जब स्थानीय अदालत ने एएसआई (ASI) को सर्वे करने की इजाजत दी थी। फिर इस निर्णय पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी मोहर लगा दी। इस मामले में भी इसी तरह का घटनाक्रम हो सकता है, हिन्दू पक्ष यही अपेक्षा कर रहा है।

Gyanvapi Case: क्या मथुरा में भी हो सकता है ऐसा कुछ?

इस फैसले के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या मथुरा (Mathura) के कृष्ण जन्म भूमि विवाद में भी ऐसा ही कुछ होगा? क्योंकि भाजपा (BJP) का लंबे समय से इन तीनों जगह मंदिर निर्माण कराने का नजरिया रहा है। अयोध्या के निर्णय के बाद से उनका नारा भी रहा है कि अयोध्या तो सिर्फ झांकी है, काशी-मथुरा अभी बाकी है। इसलिए उनकी इच्छा होगी कि इन मामलों में भी अयोध्या वाला ट्रेंड ही बरकरार रहे।

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