Thursday, 25 April 2024

वोटर भी जुटें चुनावी तैयारियों में

कर्मवीर नागर प्रमुख उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का जैसे जैसे समय नजदीक…

वोटर भी जुटें चुनावी तैयारियों में

कर्मवीर नागर प्रमुख
उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का जैसे जैसे समय नजदीक आ रहा है, चुनावी रणभेरियां बजना शुरू हो गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चुनावी युद्ध मैदान की कमान कुशल सेनापतियों को सौंपकर ताजपोशी की जा रही है। शहर से लेकर गांव के हर पोलिंग बूथ तक चुनावी गोटियां बिछाकर जोरदार तैयारी की जा रही हैं। मतदाताओं को लुभाने का सिलसिला भी लगभग शुरू हो चुका है। सत्तासीन सरकारों ने खजाने के द्वार खोल दिए हैं। लगभग सभी राजनीतिक दलों ने जाति, धर्म और संप्रदाय के आधार पर वोट लेने की जुगत में अपने अपने थिंक टैंक लगा दिए हैं। चुनावी युद्ध में जंग जीतने के लिए कुछ राजनीतिक दल अन्य दलों के साथ गठबंधन की तैयारियों में जुट गए हैं। कोई भी दल चुनावी जंग में अपनी तरफ से कोई कोर कसर छोडऩा नहीं चाहेगा। हालांकि सभी दल अपनी अपनी बिसात के अनुसार चुनावी युद्ध की तैयारियों में जुट गए हैं लेकिन एक विशेष राजनीतिक दल चुनावी बिसात बिछाने में अभी तक सबसे आगे नजर आ रहा है।

   इसी तरह चुनावी जंग में उतरने वाले प्रत्याशी रुपी योद्धा भी राजनीतिक दलों से टिकट पाने के लिए अपनी फिराक में जुट गए हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों से चुनाव में भाग्य आजमाने के लिए तैयारी में जुटे खद्दरधारी नेताओं की जनता के बीच उपस्थिति में वृद्धि नजर आने लगी है। एक तरफ प्रत्याशी बनकर चुनावी युद्ध मैदान में उतरने के लिए आतुर राजनेता धार्मिक स्थानों पर भगवान की शरण में नजर आने लगे हैं तो दूसरी तरफ टिकट पाने के इच्छुक नेताओं ने अपने राजनीतिक आकाओं की पांचसाली चुनावी गणेश परिक्रमा भी प्रारंभ हो गई है। 2017 का विधानसभा चुनाव जीतने के बाद गांधी जी की तस्वीरें बटोरने में लगे और अब तक महालक्ष्मी की कृपादृष्टि पाने में जुटे कुछ जनप्रतिनिधि अब जनता की अदालत में नतमस्तक होते नजर आने लगे हैं। कुछ ऐसे भी चुनावी योद्धा हैं जो टिकट कटने की सुगबुगाहट से दलीय आस्था बदलने और हृदय परिवर्तन की तैयारियां में जुट गए हैं। कुछ चुनावी योद्धा एक ही दल के अलग-अलग खेमों के नेताओं को साधने में जुट गए हैं तो कुछ अपनी चतुराई से दो नावों में पैर रखकर चलने की फिराक में है। जो भी है सभी की गिद्धदृष्टि केवल टिकट पाने पर लगी है।

 बहरहाल सभी अपने-अपने तरीके से चुनावी जंग जीतने की रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैं। लेकिन सरकार गठन के बाद सबसे ज्यादा शिकायत करने वाला और इस चुनावी जंग को जिताने वाला वोटर अभी सुप्त अवस्था में नजर आ रहा  है। यह वही महत्वपूर्ण वोटर है जिसके सहारे हर राजनैतिक दल और उसका उम्मीदवार चुनावी जंग जीतने की तैयारी में है। यह वही वोटर है जिसको राजनीतिक रणनीतिकार धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर बांट कर चुनावी जंग जीतने की जुगत में है, यह वही भोला भाला वोटर है जिसको कभी-कभी छोटे-मोटे लालच देकर चुनावी जंग जीत ली जाती है, यह वही वोटर है जो चुनाव होने के बाद फिर से पूरे 5 साल अपने किए पर पश्चाताप करता नजर आता है, यह वही वोटर है जो चुनाव होने के बाद नुक्कड़ों, गलियों, सड़कों और चाय की दुकानों पर उस सत्ता, सरकार और जनप्रतिनिधि पर तोहमत लगाते नजर आता है जिसे उसने वोट देकर चुनावी जंग फतह कराने में महती भूमिका निभाई है।

   आखिर समझ से परे का विषय है कि सत्ता, सरकार और चुने हुए जनप्रतिनिधियों पर तोहमत लगाने वाला  यह वोटर चुनाव से पूर्व अपनी आंखें क्यों नहीं  खोलता? आखिर जब सभी अपनी चुनावी तैयारियों में जुटे हैं तो वोटर के लिए भी चुनावी तैयारी करने का यही वह महत्वपूर्ण समय है जब  मनचाहा और सक्षम प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारने के लिए राजनीतिक दलों को बाध्य किया जा सकता है। चुनावी जंग जिताने वाले वोटर को चुनावी तैयारियां करने का यही वह महत्वपूर्ण समय है जब स्थानीय समस्याओं और मुद्दों पर गली मोहल्लों में जुबानी जंग छेड़ कर निराकरण के दबाव का रास्ता अख्तियार किया जा सकता है। वोटर के लिए यही वह महत्वपूर्ण समय है जब चिंतन और मंथन करके ऐसा नाम राजनीतिक दलों के सामने लाया जा सकता है जो उनके मुद्दों और समस्याओं की लड़ाई लडऩे में सक्षम हो। आगाह करना चाहूंगा कि यही वह वक्त है जब वोटर को जागृत होकर राजनीतिक दलों को सक्षम उम्मीदवार उतारने का संदेश देना होगा। इसके बाद भी अगर राजनीतिक दल वोटर की पसन्द के विपरीत अक्षम प्रत्याशियों को मैदान में उतारते हैं तो वोटर को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भी तैयार रहना होगा। अन्यथा सदैव की तरह फिर 5 साल पछताना होगा।

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