बबीता आर्य
Char Dham Yatra 2023 : हमारे हिंदू यानी सनातन धर्म मे चार धाम यात्रा का बहुत महत्व है । हिंदू धर्म में दो प्रकार की चार धाम यात्रा की जाती है। एक यात्रा बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री की यात्रा दूसरी चार धाम यात्रा महान हिंदू दार्शनिक और सुधारक आदि शंकराचार्य जी ने 8वी शताब्दी मे हिंदू धर्म का प्रचार-प्रसार करने और उसे पुनर्जीवित करने के लिये शुरू की थी।जिसमे बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वरम और द्वारका धाम की यात्रा शामिल है ।ये पवित्र यात्रा देश के विभिन्न हिस्सों मे मौजूद है । वेद एवं पुराणों में चार धाम यात्रा को बहुत ही शुभ माना गया है। मान्यता है कि जो व्यक्ति चार धाम की यात्रा करता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है।
Char Dham Yatra 2023 :
आज हम यहां बात करेंगे छोटी चार धाम यात्रा की। मान्यता है कि जो व्यक्ति चार धाम की यात्रा करता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। साथ ही जीवन में आ रही सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। कहते है की चार धाम की यात्रा हमारे जीवन भर के पापों को धोकर हमें मोक्ष की प्राप्ति कराती है ।यहां हर साल लाखों की संख्या मे दुनिया भर से श्रद्धालु आते है ।ज्यादातर लोग अपनी उम्र के आखरी पड़ाव मे इस यात्रा को करते है,लेकिन आजकल कुछ लोग कम उम्र मे ही इस यात्रा को पूरा कर लेते है ।इस यात्रा को करने पर उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होतीं है ।ये यात्रा अधिकांशतः पैदल चल कर पूरी की जाती है ।पैदल चलना हमारे स्वास्थ्य के लिये तो अच्छा होता ही है साथ-साथ हमारी उम्र मे बढ़ोत्तरी करता है ।हिमालय मे सर्दियों में भारी बर्फ गिरती है और इन मौसमों में एक सामान्य यात्री के लिए उन तक पहुँचना आसान नहीं होता है। दुर्गमता के कारण इन क्षेत्रों में सर्दियों के छह महीनों के लिए मंदिरों को बंद करने की स्थानीय परंपरा है।उत्तराखंड के चार धाम मंदिरों का उद्घाटन माह अप्रैल में अक्षय तृतीया के अवसर पर होता है।
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यमुनोत्री धाम :
चार धाम मे से प्रमुख पहले तीर्थ स्थान यमुनोत्री धाम के कपाट 22 अप्रैल 2023 को दोपहर 12:41 पर खुल चुके है ।ये कपाट अभिजीत मुहूर्त मे खुलते है ।ये धाम पहले चार धाम मे से एक प्रमुख यमुनोत्री धाम है ।ये धाम यमुना देवी मंदिर को समर्पित है ।इसे यमुना नदी के उद्गम स्थल के रूप मे भी जाना जाता है ।लेकिन देखा जाये तो यमुना नदी का स्रोत चंपासर है जो कलिंद पर्वत की तलहटी मे स्थित है ।ये मंदिर समुद्र तल से 3,291 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ।ये मंदिर यम की बहन देवी यमुना के सम्मान मे बनाया गया है ।मान्यता है कि पवित्र जल में स्नान करने से मनुष्य के पाप धुल जाते हैं और उसे असामयिक और दुखद मृत्यु से बचा लिया जाता है।कहा जाता है कि प्राचीन ऋषि असित मुनी यमुनोत्री के पास आश्रय लिया था ।
गंगोत्री धाम:
गंगोत्री चार धाम मे दूसरे नंबर पर आता है ।22 अप्रैल 2023 को गंगोत्री धाम के कपाट दोपहर 12:35 पर खुल चुके है ।गंगोत्री धाम के कपाट खुलने से पहले सहस्त्रनाम गंगा लहरी का पाठ किया जाता है ।गंगा नदी का मूल स्रोत गंगोत्री ग्लेशियर में गौमुख है।ये तीर्थ स्थल भी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 3,100 मीटर की आश्चर्यजनक ऊंचाई पर स्थित है।हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगोत्री धाम वह स्थान है जहां गंगा नदी स्वर्ग से उतरी थी जब भगवान शिव ने उन्हें अपनी जटाओं से छोड़ा था।
केदारनाथ धाम:
केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल 2023 को सुबह 06:20 मिनट पर कपाट खुल गये है ।12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग केदारनाथ धाम भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध में की गई अपने भाईयों की हत्या के पाप का प्राश्चित करने के लिए पांडव केदारनाथ आए थे।इस मंदिर तक पहुंचने के लिये गौरीकुंड से लगभग 18 किमी की चढ़ाई पूरी करनी पड़ती है।यह 3,553 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जिसकी पृष्ठभूमि में बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां हैं।यहां मई जून मे भी मौसम बेहद ठंडा रहता है ।
बद्रीनाथ धाम:
बद्रीनाथ धाम के कपाट 27 अप्रैल 2023 को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर भक्त दर्शन कर सकेंगे।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बद्रीनाथ धाम को सृष्टि का आठवां वैकुंठ भी कहा जाता है। यहां भगवान विष्णु छह महीने विश्राम करने के लिए आते हैं। साथ ही केदारनाथ धाम में भगवान शंकर विश्राम करते हैं।मान्यता है कि केदारनाथ धाम के दर्शन के बाद ही बद्रीनाथ धाम के दर्शन किये जाते है । यह 3,300 मीटर की आश्चर्यजनक ऊंचाई पर स्थित है।भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक नर और नारायण ऋषि की तपोभूमि है बद्रीनाथ।कहते हैं कि जो इनके एक बार दर्शन कर लेता है वो जन्म मृत्यु के चक्र से मुक्ति से पा लेता है ।वो मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है ।