Tuesday, 19 March 2024

Joshimath Disaster: जोशीमठ से 296 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया: सरकार

Joshimath Disaster: नई दिल्ली। पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को बताया कि उत्तराखंड सरकार ने 296…

Joshimath Disaster: जोशीमठ से 296 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया: सरकार

Joshimath Disaster: नई दिल्ली। पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा को बताया कि उत्तराखंड सरकार ने 296 परिवारों के 995 सदस्यों को धंसाव प्रभावित जोशीमठ से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया है।

Joshimath Disaster Update

उच्च सदन में तीन अलग-अलग सवालों के लिखित जवाब में पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि जोशीमठ में हाल ही में जमीन धंसने के कारण 863 इमारतों में दरारें देखी गई हैं और कई संरचनाओं को मध्यम और बड़े नुकसान की सूचना मिली है।

उन्होंने कहा कि जमीन धंसने की घटनाओं के बाद उत्तराखंड सरकार ने तपोवन-विष्णुगढ़ बिजली परियोजना और हेलोंगमारवाड़ी बाईपास रोड सहित पूरे जोशीमठ क्षेत्र में सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी है।

उन्होंने कहा कि 30 जनवरी तक कुल 235 प्रभावित परिवारों को राहत सहायता के रूप में 3.50 करोड़ रुपये वितरित किए गए हैं।

सिंह ने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने पुनर्वास के लिए अग्रिम भुगतान के रूप में 1,00,000 रुपये और प्रत्येक प्रभावित परिवार को विस्थापन भत्ते के रूप में 50,000 रुपये का भुगतान करने के आदेश जारी किए हैं और इस उद्देश्य के लिए 45 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने कहा कि 1976 में गठित महेश चंद्र मिश्रा समिति ने सुझाव दिया था कि जोशीमठ में जमीन की स्थिति की भार वहन क्षमता की जांच करने के बाद ही भारी निर्माण की अनुमति दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हिल स्टेशनों में आवासीय वाणिज्यिक निर्माण पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है, लेकिन स्थानीय प्रशासन खतरे के जोखिमों के आधार पर प्रतिबंध लगाने पर निर्णय ले सकता है।

सिंह ने कहा कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने पहाड़ी क्षेत्रों के लिए भूस्खलन संवेदनशीलता मानचित्र तैयार किए हैं, जिनमें से कई अस्थिर और गतिशील भू क्षेत्र हैं।

उन्होंने कहा कि विकास योजना में स्थानीय प्रशासन द्वारा इन मानचित्रों को ध्यान में रखा जाना है।

मंत्री ने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में किसी भी बड़ी निर्माण परियोजना को शुरू करने से पहले पर्यावरण मंजूरी अनिवार्य है।

सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए अस्थायी आवास की व्यवस्था की है, जिसके लिए प्रति दिन प्रति कमरा 950 रुपये और भोजन के लिए 450 रुपये प्रति व्यक्ति प्रदान किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जो लोग इन अस्थायी आवासों का लाभ नहीं उठा रहे हैं, उन प्रभावित परिवारों को छह महीने के लिए प्रति माह 5,000 रुपये का भत्ता प्रदान किया जा रहा है।

सिंह ने कहा कि राहत शिविरों में प्रभावित लोगों को मुफ्त चिकित्सा जांच और मुफ्त दवाएं भी प्रदान की गईं।

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