Summer Special :
सैय्यद अबू साद
Summer Special : उत्तराखंड के नैनीताल शहर में इस समय टूरिस्ट का मेला लगा हुआ है। हालात यह हैं कि यहां न गाड़ी पार्क करने की जगह बची है और न ही होटल का रूम आसानी से मिल रहा है। फिर भी टूरिस्ट किसी न किसी तरह नैनीताल की खूबसूरती को निहारने के लिए यहां चले आ रहे हैं। यदि आप भी नैनीताल जाएं, तो यहां के पिकनिक स्पॉट पर घूमने से पहले नैना देवी मंदिर में दर्शन अवश्य कर लें। नैना देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां पर माता सती की आंखें गिरी थी, इसलिए यहां देवी की आंखों के रूप की पूजा की जाती है। जितना खूबसूरत नैनीताल है उतना ही सुंदर नैना देवी का यह मंदिर भी है। यहां दूर दूर से लोग मन्नत मांगने भी आते हैं। यहां मांगी मन्नत माता जरूर पूरी करती हैं। इसलिए नैनीताल की खूबसूरती को निहारने की शुरु सबसे पहले नैना देवी मंदिर में माता का आशीर्वाद लेकर ही करें।
Summer Special :
माता सती के आंसू धार से बनी नैनी झील
नैना देवी मंदिर नैनीताल में नैनी झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है। यहां माता सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर माता सती के नेत्र गिरे थे, जिनके आंसू धार से नैनीताल झील बनी थी, तभी से यहां नैना देवी की आंखों के रूप की पूजा की जाती है। नैना देवी मंदिर में मुख्य रूप से नैना देवी के आंखों के रूप की पूजा की जाती है, इसके अलावा यहां पर माता काली, गणेश भगवान और हनुमान जी की भी मूर्तियां है। वैसे तो यहां देश भर से श्रद्धालुओं की आई भीड़ लगी ही रहती है, लेकिन नंदा अष्टमी के समय भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए काफी संख्या में यहां आते हैं। मंदिर कमेटी द्वारा नंदा अष्टमी के 8 दिनों में यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है।
मंदिर का रहस्य
नैना देवी मंदिर माता का चमत्कारी मंदिर है। इस मंदिर से कई भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है। माता ने सच्चे मन से आए अपने किसी भी भक्तों को निराश नहीं किया है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सत-युग में, सती (मां पार्वती) दक्ष प्रजापति की बेटी थीं और वह भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं। दक्ष प्रजापति भगवान शिव से नफरत करते थे। और वो सती का विवाह भगवान शिव से नही करना चाहते थे। सती ने दक्ष की इच्छा के विरुद्ध भगवान शिव से विवाह किया, तो उन्होंने शिव से बदला लेने के लिए एक यज्ञ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया। अपमान करने के लिए भगवान शिव और सती को आमंत्रित नही किया। माता सती पिता प्रेम में आमंत्रण ना होने के कारण भी उस यज्ञ पर पहुंची आमंत्रण ना होने के कारण उनके पिता दक्ष प्रजापति ने वहां उपस्थित सभी देवी देवताओं के सामने उनका और भगवान शिव का अपमान किया सभी के सामने अपमान होने के कारण माता सती ने यज्ञ जल्द ही अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लिया।
यहां गिरीं माता के नैन
इसके बाद जैसे ही भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो शिव क्रोधित हो गय और उन्होंने दक्ष का सिर काट दिया। वह सती के शरीर को लेकर कैलाश पर्वत की ओर चल पड़े। माता सती के शरीर के अंग रास्ते में जहां-जहां गिरे वे स्थान अब शक्तिपीठ के नाम से जाने जाते हैं। कहा जाता है कि नैनीताल के नैना देवी मंदिर में माता सती की आंखे गिरी थी। इसलिए उस स्थान पर नैना देवी का मंदिर बनाया गया और मंदिर के नाम से ही उस जगह का नाम नैनीताल पड़ा।
मंदिर के नजदीक हैं पर्यटक स्थल
नैनीताल घूमने आने वालों टूरिस्ट भी नैना देवी के दर्शन करके जाते हैं नैना देवी मंदिर के साथ-साथ आप यहां पर नैनीताल झील में वोटिंग कर सकते हैं। इसके अलावा नैनीताल में भोटिया मार्केट में घूम सकते हैं, जहां आपको काफी कुछ चीजें मिल जाएंगी जिसमें की कुमाऊं की फेमस मिठाई, अल्मोड़ा की बाल मिठाई, सिंगोड़ी शामिल हैं। इसके नजदीक स्थित नैनीताल झील, चिड़ियाघर, सेवेंट प्वाइंट, तिब्बती मार्केट, माल रोड आदि मुख्य पर्यटक स्थल हैं। जहां आप घूम सकते हैं।