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UP Political News : सतबीर गुर्जर के सहारे भाजपा ने चला ट्रंप कार्ड , गुर्जर समाज को जोड़े रखने की बड़ी रणनीति

With the help of Satbir Gurjar, BJP played trump card, big strategy to keep Gurjar community connected

UP Political News : नोएडा। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती के पैत्रिक गांव के रहने वाले दो बार के विधायक सतबीर गुर्जर को अपने पाले में शामिल करना भाजपा का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। खासकर यूपी के खतौली विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव पर इस सियासी घटना का खासा असर होने की संभावना जताई जा रही है।

बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी माने जाने वाले सतबीर गुर्जर दादरी विधानसभा से लगातार दो बार विधायक चुने गए। साल, 2007 में उन्होंने भाजपा के दो बार के विधायक रहे नवाब सिंह नागर को भारी मतों के अंतर से पराजित कर अपना सिक्का जमा लिया। उस समय नवाब सिंह नागर बेहद लोकप्रिय माने जाते थे। सतबीर गुर्जर ने उन्हें 24,423 हजार वोटों से करारी शिकस्त दी। उन्हें 75,346 वोट मिले, जबकि भाजपा के नवाब सिंह को 50,923 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा। उस चुनाव में बसपा के सतबीर गुर्जर को 33 फीसदी, जबकि भाजपा के नवाब सिंह नागर को 22 फीसदी ही वोट मिले।

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सतबीर नागर अपने गंभीर व्यक्त्वि के कारण अपनी लोकप्रियता को बनाए रखने में कामयाब रहे। साल, 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में मायवती ने उन पर एक बार फिर विश्वास जताया और उन्हें पार्टी का टिकट दिया। सतबीर गुर्जर ने भी बहन जी को निराश नहीं किया और एक बार फिर भाजपा के नवाब सिंह नागर को बंपर वोटों से पराजित कर अपनी जीत का परचम लहराया। इस चुनाव में उन्हें 81,137 और नवाब सिंह नागर को 43,840 वोट मिले। सतबीर गुर्जर की लोकप्रियता का ही परिणाम था कि साल, 2007 के 33 फीसदी के मुकाबले 2012 में 41 फीसदी वोट मिले। उन्होंने इस बार भाजपा प्रत्याशी को 37,297 वोटों से पराजित किया। लेकिन, इसके बाद भाजपा की लहर में उनकी दाल नहीं गली और साल, 2017 में हुए चुनाव में उन्हें भाजपा के तेजपाल सिंह नागर के सामने करारी शिकस्त का मुंह देखना पड़ा। भाजपा ने उन्हें 80,177 वोटों के भारी अंतर से हराया।

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कहते हैं, सियासत में कुछ भी स्थायी और टिकाऊ नहीं होता है। साल, 2017 के मोदी लहर में सतबीर गुर्जर बेशक हार गए, लेकिन क्षेत्र में उनकी लोकप्रियता को लोग भूले नहीं। मायावती के करीबी होने के नाते वह हमेशा राजनीति में सक्रिय रहे। उनकी लोकप्रियता से भाजपा भी अंजान नहीं थी। खासकर गौतमबुद्ध नगर में बीजेपी के चाणक्य और मुख्य रणनीतिकार माने जाने वाले स्थानीय सांसद डॉ. महेश शर्मा की पारखी निगाहें उनकी योग्यता को अच्छी तरह पहचान रही थी।

खतौली सीट पर हो रहे चुनाव में भाजपा के सामने रालोद सपा गठबंधन के उम्मीदवार मदन भैया ताल ठोक रहे हैं। किसानों की नाराजगी और मौजूदा तमाम ज्वलंत मुद्दों के मद्देनजर माना जा रहा है कि मदन भैया बेहद मजबूत स्थिति में हैं। इस सीट पर वोटों के जातीय समीकरण के मद्देनजर भाजपा कुछ चिंतित नजर आ रही थी। वहां के हालात को देखते हुए माना जा रहा था कि गुर्जर बिरादरी के वोट ही परिणाम तय करेंगे। ऐसे में पार्टी को एक गंभीर और लोकप्रिय ऐसे गुर्जर नेता की जरूरत थी, जो गुर्जर बिरादरी का होने के साथ ही दलितों की रहनुमाई करने वाली पार्टी का नेता हो।

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बताया जाता है कि इस बात को समझते हुए भाजपा ने सतबीर गुर्जर पर डोरे डाले। बताया जा रहा है कि सतबीर को भाजपा के पाले में लाने में गौतमबुद्ध नगर ज़िले के सांसद डॉक्टर महेश शर्मा ने अहम भूमिका निभाई है । मेरठ में आयोजित एक सादे समारोह में सतबीर गुर्जर ने हाथी की सवारी छोड़कर अपने हाथों में कमल का फूल थाम लिया।

बहरहाल, अब सतबीर गुर्जर भाजपा के खेमे में हैं। तय है कि खतौली विधानसभा सीट पर मिल रही चुनौती से निबटने के लिए पार्टी उन्हें मैदान में उतारेगी। अब देखने की बात होगी कि बहन जी का यह सिपहसलार कमल खिलाने में कितना उपयोगी साबित होगा।

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