Uttarakhand News: कालेजों में रैंगिंग को लेकर भले ही प्रतिबंध होने की बात कही जाती हो, लेकिन इसके बावजद कॉलेजों में सीनियर स्टूडेंट अपने जूनियर की रैंगिंग करने का मौका नहीं चूकते। ऐसा ही एक मामला उत्तराखंड के श्रीनगर मेडिकल कालेज से आया है। जहां पर कड़ाके की ठंड में सीनियर छात्रों ने 40 जूनियर छात्रों को रैंगिंग के बहाने निर्वस्त्र कर दिया। आरोपी छात्रों को निलंबित कर दिया गया है।
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टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, उत्तराखंड में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने एमबीबीएस 2019-20 बैच के सात छात्रों को कथित तौर पर 40 जूनियर्स की रैगिंग करने के आरोप में निलंबित कर दिया है। आरोप है कि पहचान छिपाने के लिए चेहरा ढके सीनियर्स ने अपने जूनियर्स को कड़ाके की ठंड में हॉस्टल की छत पर कपड़े उतारने पर मजबूर किया।
पीड़ित छात्रों में से एक के माता-पिता ने अगले दिन कॉलेज प्रशासन से संपर्क किया। उसके बाद बाकी जूनियर भी कॉलेज अधिकारियों के सामने आपबीती सुनाने के लिए बाहर आए। कॉलेज कमेटी के बाद सामने आए निष्कर्षों में जूनियर्स की कंप्लेन और रैगिंग के आरोप वाले तथ्य सही निकले। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीएमएस रावत ने कहा कि मामले की विभिन्न स्तरों पर जांच की गई। जांच के दौरान 30-40 जूनियर्स को बुलाया और उनके लिखित बयान लिए और फिर उनके बयानों को क्रॉस चेक किया।
रावत ने कहा कि विचाराधीन सात छात्रों के अतीत में भी अनुशासनात्मक मुद्दे रहे हैं। जूनियर्स के साथ उनकी कुछ बातचीत भी जमा की गई है। सभी बिंदुओं को जोड़ने के बाद, समिति अपने निष्कर्षों के साथ सामने आई और सस्पेंशन की कार्रवाई की गई। उन्होंने कहा कि रैगिंग के आरोपी सात छात्रों को अब अगले तीन महीनों के लिए सभी शैक्षणिक सत्रों से रोक दिया जाएगा। प्रिंसिपल ने कहा कि सभी छात्रों के लिए यह स्पष्ट और सख्त संदेश है। इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। नया बैच अभी शुरू हुआ है और किसी भी जूनियर को परेशान करने वाले सीनियर या किसी दूसरे छात्र को बख्शा नहीं जाएगा।
आपको बता दें कि उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेज “रैगिंग” के मामलों को लेकर हाल ही में कई बार गलत कारणों से सुर्खियों में आ चुके हैं। ऐसी घटनाएं भी हुई हैं जहां जूनियर छात्रों के सिर मुंडवाए गए। मौखिक रूप से गाली दी गई और परेशान किया गया। कुछ छात्रों को कॉलेज परिसरों में पीटने के मामले भी सामने आ चुके हैं। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में भारत में रैगिंग को अपराध माना जा चुका है।
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