कुदरत का कहर: सोनप्रयाग-मुनकटिया मार्ग टूटा, केदारनाथ यात्रा फिर ठप!





Uttarakhand News : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार नगर निगम में सामने आए जमीन घोटाले को लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी अटूट प्रतिबद्धता का परिचय दिया है। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया है कि राज्य में किसी भी स्तर पर अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री धामी के निर्देशानुसार, इस गंभीर मामले में दो आईएएस, एक पीसीएस सहित कुल दस अधिकारियों को निलंबित किया गया है, जबकि दो अन्य अधिकारियों का सेवा विस्तार भी रद्द कर दिया गया है।
इस रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए। मंगलवार को कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने सात अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश जारी किया। इनमें हरिद्वार नगर निगम के तत्कालीन प्रशासक और वर्तमान जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी, पूर्व उपजिलाधिकारी अजयवीर सिंह, वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की, रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार तथा तहसील के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास शामिल हैं।
इसके अलावा इस घोटाले में पहले भी कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल और सम्पत्ति लिपिक वेदपाल के सेवा विस्तार समाप्त कर दिए गए हैं। वहीं, प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मी कांत भट्ट्, और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल निलंबित हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "हमारी सरकार ने हमेशा स्पष्ट किया है कि लोक सेवा में पद नहीं, बल्कि कर्तव्य और जवाबदेही मायने रखती है। कोई भी अधिकारी चाहे कितना भी वरिष्ठ क्यों न हो, यदि जनहित और नियमों की अवहेलना करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। हम उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त कार्यसंस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जिसके लिए सभी लोक सेवकों को उच्चतम मानकों पर खरा उतरना होगा।
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Uttarakhand News : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार नगर निगम में सामने आए जमीन घोटाले को लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी अटूट प्रतिबद्धता का परिचय दिया है। उन्होंने स्पष्ट संदेश दिया है कि राज्य में किसी भी स्तर पर अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री धामी के निर्देशानुसार, इस गंभीर मामले में दो आईएएस, एक पीसीएस सहित कुल दस अधिकारियों को निलंबित किया गया है, जबकि दो अन्य अधिकारियों का सेवा विस्तार भी रद्द कर दिया गया है।
इस रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए। मंगलवार को कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने सात अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश जारी किया। इनमें हरिद्वार नगर निगम के तत्कालीन प्रशासक और वर्तमान जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी, पूर्व उपजिलाधिकारी अजयवीर सिंह, वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की, रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार तथा तहसील के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास शामिल हैं।
इसके अलावा इस घोटाले में पहले भी कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई हो चुकी है। प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल और सम्पत्ति लिपिक वेदपाल के सेवा विस्तार समाप्त कर दिए गए हैं। वहीं, प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मी कांत भट्ट्, और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल निलंबित हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "हमारी सरकार ने हमेशा स्पष्ट किया है कि लोक सेवा में पद नहीं, बल्कि कर्तव्य और जवाबदेही मायने रखती है। कोई भी अधिकारी चाहे कितना भी वरिष्ठ क्यों न हो, यदि जनहित और नियमों की अवहेलना करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। हम उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त कार्यसंस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, जिसके लिए सभी लोक सेवकों को उच्चतम मानकों पर खरा उतरना होगा।
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