Saturday, 27 April 2024

Uttrakhand: जोशीमठ की भांति पैनगढ़ के लोग भी शरणार्थी की तरह रहने को मजबूर

Uttrakhand News: पैनगढ़ गांव (उत्तराखंड)। जोशीमठ की तरह ही चमोली जिले के पैनगढ़ गांव के लोग भी भूस्खलन और दरारों…

Uttrakhand: जोशीमठ की भांति पैनगढ़ के लोग भी शरणार्थी की तरह रहने को मजबूर

Uttrakhand News: पैनगढ़ गांव (उत्तराखंड)। जोशीमठ की तरह ही चमोली जिले के पैनगढ़ गांव के लोग भी भूस्खलन और दरारों के कारण पिछले कई माह से अपने मकानों को छोडकर शरणार्थी का जीवन जीने को मजबूर हैं।

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कर्णप्रयाग-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर थराली के पास पिण्डर नदी के बाएं तट पर पुरानी बसावटों में शामिल पैनगढ़ गांव के 40 से अधिक परिवार बेघर हैं और अन्यत्र शरण लिए हुए हैं। गांव में कुल 90 परिवार हैं, जो पीढियों से वहां रह रहे हैं।

गांव पर खतरे की शुरुआत तो 2013 में आई केदारनाथ आपदा के समय से ही हो गयी थी, लेकिन अक्टूबर 2021 में इसने खतरनाक रूप ले लिया।

गांव के गोपालदत्त ने बताया, ‘‘अक्टूबर 2021 में गांव के ठीक ऊपर स्थित चोटी से शुरू होने वाले चीड़ के जंगल से पहले पड़ने वाले खेतों में दरारें उभर आयीं। जंगल तक पहुंच गयी ये दरारें शुरुआत में छोटी थीं ,लेकिन साल भर में जमीन में दरारों के साथ गढ्ढे भी बन गए और इसने आपदा का रूप ले लिया।’’

उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर 2022 की रात दरारों वाले इलाके की धरती खिसकी जहां से बड़े-बड़े बोल्डर फिसल कर उनके गांव पर गिरने लगे जिससे कई मकान ध्वस्त हो गए। उन्होंने बताया कि इन्हीं ध्वस्त मकानों में दबकर चार व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी थी।

मलबे की चपेट में पैनगढ़ का आधा हिस्सा आ चुका है और चार महीने पहले हुए हादसे के बाद खतरे वाले इस हिस्से में रह रहे गांव के 40 परिवार अपने घरों को छोड़कर अन्यत्र शरण लिए हुए हैं।

घरों को छोडने को मजबूर राजेंद्र राम और नारायण दत्त ने बताया कि कुछ परिवारों ने गांव के स्कूल में जबकि कुछ ने अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ले रखी है।

हादसे के बाद से गांव का एकमात्र राजकीय प्राथमिक विद्यालय राहत शिविर में बदल गया है, जिसके कारण उसका संचालन लगभग एक किलोमीटर दूर जूनियर हाईस्कूल भवन से हो रहा है।

पांच से ग्यारह साल की उम्र के बच्चे अब शिक्षा ग्रहण करने के लिए एक किलोमीटर पैदल चल कर जाते हैं, जिसके लिए उन्हें रास्ते में एक छोटी नदी भी पार करनी होती है।

थराली विकास खंड के खंड शिक्षा अधिकारी आदर्श कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि इस भवन से फिर से विद्यालय संचालित करने के बारे में फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है और जिला प्रशासन की ओर से गांव के पुनर्वास को लेकर कोई नीति तय होने के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है।

चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी ने कहा कि आपदा राहत के तहत गांव के सुरक्षित स्थान पर टिन शेड का निर्माण किया गया है जिसमें आपदा पीड़ितों को रखा जाएगा।

हालांकि, गांव के सुरेन्द्रलाल ने कहा कि यह टिन शेड ऐसे स्थान पर बन रहा है जो चीड़ के जंगलों से घिरा है और यहां न पानी की व्यवस्था है और न ही बिजली की। उन्होंने कहा कि वहां जाने का पैदल रास्ता भी नहीं है और गर्मियों में चीड़ के इस इलाके में हर समय आग की चपेट में आने का खतरा अलग है।

गोपालदत्त ने कहा कि राज्य सरकार से मकान बनाकर देने का आग्रह किया जा रहा है, लेकिन अब तक बात आगे नहीं बढ़ी है।

सुरेंद्रलाल ने कहा कि आपदा राहत के नाम पर चार माह पहले पांच हजार रुपये की मदद की गयी थी।

गांव के खतरे की जद में आने के बाद भूविज्ञानियों ने इलाके का सर्वेक्षण भी किया था लेकिन उसकी रिपोर्ट के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया।

सेना के मानद कैप्टन (सेवानिवृत्त) जगमोहन सिंह गड़िया का मकान भी खतरे की जद में हैं। वह कहते है कि गांव से पलायन न करने का प्रण अब उनके लिए कष्टदायी बन गया है।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकरी ने कहा कि पैनगढ़ में भूस्खलन से क्षतिगस्त मकानों का नियमानुसार मुवावजा दिया गया है। बाकी 44 परिवारों को विस्थापन नीति के अनुसार पुनर्वास किया जा रहा है। इसके लिए जगह चिन्हित करने की कार्यवाही जारी है।

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