सरहद पार है देवी का पहला शक्तिपीठ!

माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है - हिंगलाज मंदिर।

पाकिस्तान के कराची से 217 किलोमीटर बलूचिस्तान प्रांत में है।

भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती माता के 51 टुकड़े कर दिए। यहां गिरा था माता का शीश।

यह भारत के मालवा क्षेत्र की कुलदेवी भी है।

पाकिस्तान के इस मंदिर की यात्रा, अमरनाथ से भी ज्यादा कठिन।

1000 फुट ऊंचे-ऊंचे पहाड़, दूर तक फैला सुनसान रेगिस्तान और 300 फीट ऊंचा मड ज्वालामुखी पड़ता है।

कोई भी इस मंदिर की यात्रा अकेले नहीं करता। हमेशा 30-40 लोग ग्रुप बनाकर यात्रा करते हैं।

हिंगलाज की 55 किमी की पैदल यात्रा 4 पड़ावों में की जाती है।

2007 से पहले 200 किमी पैदल चलना पड़ता था। लग जाते थे 2 से 3 महीने।

यात्रा शुरू करने से पहले लेनी पड़ती हैं 2 कठिन शपथ।

पहली- माता के दर्शन करके वापस लौटने तक सन्यास लेने की।

दूसरी- कोई भी यात्री अपने सहयात्री को अपनी सुराही का पानी नहीं दे सकता।

मुस्लिम इसे ‘बीबी नानी पीर’ या ‘नानी मंदिर’ या ‘नानी का हज’ कहते हैं।