Tirupati Tirumala Mystery | भूपेंद्र भटनागर | 9 अगस्त 2023 | चेतना मंच | Noida News Desk
क्या मतलब है असल में तिरुपति का ?
तिरूपति शब्द दो शब्दों ‘तिरु’ और ‘पथी’ या ‘पति’ से मिलकर बना है, ‘तिरु’ एक तमिल शब्द है जिसका अर्थ है ‘सम्माननीय’ और ‘पथी’ या ‘पति’ शब्द यहां धर्मपति को दर्शाता है। इस प्रकार, तिरूपति शब्द का अर्थ है ‘सम्माननीय पति’।
Tirupati Tirumala Mystery
वोह सातवी चोटी पर विराजमान हैं
समुद्र तल से 980 मीटर यानि 3,200 फीट से भी ऊपर और लगभग 26.8 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में किसी गरुड की तरहा पंख फैलाये, तिरुपति तिरुमाला मंदिर, भगवान विष्णु को भगवान वेंकटेश्वर के रूप में शेषचलम पर्वतमाला के सातवें शिखर वेंकटाद्रि पर लिए विराजमान है।
Greater Noida News Desk : प्राचीन पुराणों के मुताबिक यह मंदिर भगवान विष्णु के दशावतार में से एक वराह का निवास स्थल है। जैसा की वराह पुराण में लिखा हुआ है, सातवी चोंटी वेंकटाद्रि मेरु पर्वत का ही एक हिस्सा है, जिसे विष्णु के निवास वैकुंठम से उनके पर्वत गरुड़ द्वारा पृथ्वी पर लाया गया था। सात चोटियाँ आदिशेष के सात प्रमुखों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
एक अनजान रहस्यमई गांव
तिरूपति बालाजी मंदिर में स्थित देवताओं की अनुष्ठानिक पूजा के लिए, फूल, घी, दूध, छाछ, पवित्र पत्ते आदि तिरूपति से लगभग बाईस किलोमीटर दूर स्थित एक अज्ञात गांव से मंगाए जाते हैं। इस छोटे से गाँव को अपने लोगों के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति ने कभी नहीं देखा और न ही किसी बाहरी व्यक्ति ने इस रहस्यमई गांव का दौरा किया है।
क्यों सिर्फ गुरुवार को ही झांख सकते है आंखों में ?
Tirupati Tirumala Mystery : भगवान वेंकटेश्वर को शक्तिशाली दृष्टि वाली विशाल आंखों के लिए जाना जाता है। भक्त सीधे भगवान की आंखों में नहीं देख सकते क्योंकि उनकी आंखें ब्रह्मांडीय ऊर्जा विकीर्ण कर रहीं होती हैं। कारणवश, भगवान वेंकरेश्वर की आंखें सफेद मुखौटे से बंद की जातीं हैं। लेकिन हर गुरुवार को ये मुखौटा हटा दिया जाता है क्योंकी आंखें बाकी दिनों के अपेक्षाकृत छोटी होती हैं और भक्त देवता की आंखों की झलक देख सकते हैं।
उनकी मूर्ति मध्य में क्यों नहीं है ?
भगवान तिरूपति बालाजी की गर्भगृह मे स्थापित मूर्ति एक आम आदमी को मध्य में खड़ी हुई प्रतीत हो सकती है, लेकिन तकनीकी रूप से आध्यन करके कई वैज्ञानिकों और विशेषज्ञो ने बताया है कि ऐसा नहीं है। मूर्ति वास्तव में मंदिर के गर्भगृह के दाहिने ओर ज्यादा स्थित है। क्या बता सकते है कि ऐसा क्यों है ?
अनवरत जलते दीपक
जिस प्रकार सच्ची भक्ति की रोशनी कभी नहीं बुझती, उसी तरह तिरूपति बालाजी मंदिर के गर्भगृह में देवता की मूर्ति के सामने रखे गए मिट्टी के दीपक भी बुझते नहीं हैं। ये दीपक कब जलाए गए और किसने जलाए, इसके बारे में कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड नहीं है। बस इतना पता है कि ये बहुत पहले से जल रहे हैं और किसी अखंड ज्योत की तरहा जलते रहेंगे।
Tirupati Tirumala Mystery
कहां जाते है भगवान पर चढ़ाए फूल ?
हिन्दी न्यूज़ : तिरुपति तिरुमाला न्यूज़ : मंदिर संचालन की नियम पुस्तिका के अनुसार, मंदिर के पुजारी सुबह की पूजा के दौरान भगवान बालाजी को चढ़ाए गए फूलों को गर्भगुड़ी या गर्भगृह से बाहर नहीं फेंकते। इसलिए, उन्हें मूर्ति के पिछले हिस्से के पीछे बहने वाले झरनों में फेंक दिया जाता है। हालाँकि, पुजारी बाकी दिन पवित्र देवता के पिछले हिस्से को देखने से बचते हैं। हैरानी की बात यह है कि फेंके गए फूलों को येरपेडु नाम की जगह पर देखा जा सकता है जो कि तिरूपति से 20 किलोमीटर दूर है।
कुछ बाल दान जरूर करें यहां
Andhra Pradesh News : लोककथाओं के अनुसार, माता लक्ष्मी नीला देवी का अवतार लेकर धरती पर आई थी और भगवान विष्णु भी उनके पीछे-पीछे पृथ्वी पर आगए थे। तब वह एक चींटियों की पहाड़ी के अंदर रहने लगे जहां एक गाय उन्हें रोज दूध पिलाने आती थी। इसकी जानकारी होने पर चरवाहे को गुस्सा आ गया और उसने कुल्हाड़ी से गाय का सिर काटने की कोशिश की। फरसा गाय की जगह भगवान विष्णु पर लगा और उनके कुछ बाल कट कर गिर गए।
भगवान विष्णु की तीन पत्नियों में से एक नीला देवी, जिनहे राधा का अवतार भी माना जाता है, तभी अपने बालों का एक गुच्छा काट कर उसे भगवान विष्णु के घाव पर रख देतीं हैं, जिससे घाव ठीक हो जाता है। उनके हाव-भाव से प्रभावित होकर, भगवान विष्णु कहते हैं कि यहां जो कोई भी अपने बाल दान करेगा, उसे पुरस्कृत किया जाएगा। तब से, यह माना जाता है कि तिरुपति में बाल दान करने से भक्तों को समृद्धि और धन मिलता है।
देखिए तिरुपति बालाजी कि मनमोहक वीडियो
भगवान विष्णु ने जब शादी के लिया था लोन
Tirupati Tirumala Mystery | क्योंकि माता लक्ष्मी यानि राजकुमारी पद्मावती एक धनी राजा की बेटी थी तोह भगवान विष्णु ने शादी को धूमधाम से आयोजित करने के लिए धन के देवता भगवान कुबेर से भारी ऋण लिया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु अभी भी कर्ज चुका रहे हैं और भक्त उन्हें कर्ज चुकाने में मदद करने के लिए मंदिर को दान देते हैं।
उनकी मूर्ति जिंदा है
Hindi News : रिपोर्ट्स की मानें तो भगवान बालाजी की मूर्ति भले ही पत्थर से बनाई गई हो, लेकिन यह पूरी तरह से जीवंत है। पवित्र देवता की मूर्ति 110 डिग्री फ़ारेनहाइट का तापमान बनाए रखती है। भले ही मंदिर की लोकेशन के कारण आसपास का वातावरण ठंडा हो। फिर भी, अभिषेकम के नाम से जाने जाने वाले पवित्र स्नान के बाद, बालाजी की छवि पर पसीने की बूंदें दिखाई देती हैं जिन्हें पुजारियों द्वारा रेशमी कपड़े से पोंछना होता है। गुरुवार को, जब पुजारी पवित्र स्नान के लिए मूर्ति के आभूषण उतारते हैं, तो वे मूर्ति में से किसी इंसान की शारीरिक गर्मी की अनुभूति महसूस करते हैं।
मूर्ति के पीछे समुद्र की लहरें
यदि कोई व्यक्ति मंदिर में स्थित तिरुपति भगवान की छवि के पीछे अपना कान रख कर सुनता है तोह बंगाल की खाड़ी मे उत्पन्न विशाल समुद्री लहरों की आवाज़ आसानी से सुनी जा सकतीं है।
जब वेंकटेश्वर स्वामी साक्षात् प्रकट हुए थे
Tirupati Tirumala Mystery | Noida News Desk : यह कहा जाता है कि 19वीं सदी के भारत में, क्षेत्र के राजा ने एक जघन्य अपराध करने के लिए बारह लोगों को फाँसी पर लटका कर मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। मृत्यु के बाद, मृत अपराधियों के शरीर को बालाजी के मंदिर की दीवारों पर लटका दिया गया था। उसी समय वेंकटेश्वर स्वामी स्वयं प्रकट हुए।
अगर आप भी कोई रहस्यमई तथ्य जानते है तुरुपति के बारे मे जो हम यहा बताना भूल गए या अगर आप बताना चाहते है किसी अन्य रहस्यमई मंदिर के बारे मे तोह नीचे कमेंट बॉक्स मे कमेंट करके सबको बताए।
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