Gupt Navratri Significance : गुप्त नवरात्रि साधना का अत्यंत ही गुप्त रुप जो आज भी उन कुछ भक्तों को ही प्राप्त हो पाता है जो इस नवरात्रि की महत्ता को जानते हुए इसे पूर्ण करते हैं.
किसी भी पूजन में जब गुप्त शब्द की उत्पत्ति होती है तो वह साधना का अत्यंत ही विशेष पड़ाव माना गया है जो हर किसी की पहुंच में नहीं होता है. यह उसी गुप्त मंत्र की भांति हैं जो एक गुरु द्वारा उसके शिष्य को गुप्त रुप में दिया जाता है. इसी प्रकार देवी महाविद्याओं की यह गुप्त पूजा में गोपनीयता का पालन सबसे पहली शर्त भी है.
गुप्त नवरात्रि के दस रातों का महत्व है क्योंकि एक रात्रि इनमें छुपी होती है जिसे दशमी की रात्रि के रुप में पूजा जाता है. जिस कारण यह नवरात्रि गुप्त रुप में पूर्ण होते हैं. सामान्य रुप में नाम के अनुरुप जो इसके अर्थ को समझ नहीं पाते हैं वह दशमी की साधना को यदि जान पाते हैं तभी गुप्त नवरात्रि की पूर्णता सिद्धि हो पाती है. यह नवरात्रि का गुप्त रहस्य न होकर दस रात्रियों की गुप्त साधना है. इस कारण गुप्त नवरात्रि की दशमी रात्रि गुप्त पूजा एवं साधना को सिद्ध कर लेने वाला समय होता है.
गुप्त नवरात्रि की दस महा विद्याएं
देवी काली, देवी तारा, देवी छिन्नमस्ता, देवी षोडशी, देवी भुवनेश्वरी, देवी त्रिपुर भैरवी, देवी धूमावती, देवी बगलामुखी, देवी मातंगी तथा देवी कमला
गुप्त नवरात्रि में अष्टमी नवमी और दशमी पूजन
इस गुप्त नवरात्रि के विषय में अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य है की इस समय पर तंत्र की देवियों जो दश महाविद्या के रुप में पूजी जाती हैं. उनका पूजन ही विशेष रुप से किया जाता है. यह नवरात्रि उन चैत्र और शारदीय नवरात्रि से बहुत अधिक भिन्न होते हैं. यहां साधक की साधना देवी की गुप्त साधना से संबंधित होती है.
गुप्त नवरात्रि की अंतिम तीन रात्रियों का महत्व त्रिकोण शक्ति को दर्शाने वाला होता है. यह सिद्दि साधना के उस स्वरुप का बोध प्रदान करता है जब तीन शक्ति बिंदुओं का मिलान साधक की साधना को पूर्ण करने हेतु विशेष समय होता है. इन गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त अष्टमी, गुप्त नवमी और गुप्त दशमी पूजन द्वारा पूजा संपूर्ण होती है.
Gupt Navratri Significance
तंत्र साधना को मिलता है विशेष बल
इस समय को तंत्र एवं मंत्र साधक दोनों ही बड़े धार्मिक उत्साह और उत्साह के साथ करते हैं. यह दस रातें माघ माह में आने वाली अत्यंत विशेष होती है. इन दस महा विद्याओं की नवरात्रि के लिए घर पर पूजा करने की प्रक्रिया जटिल होने के साथ साथ अत्यंत शुद्धि के साथ संपूर्ण करनी होती है जहां छोटी सी भूल को भी स्थान प्राप्त नहीं होता है.इसी कारण से यह गुप्त नवरात्रि हैं क्योंकि इनमें नियमों का पालन अत्यंत कठोर एवं संयंमित रुप से होता है.
गुप्त नवरात्रि में अष्टमी तिथि, नवमी तिथि और दशमी तिथि के दौरान की जाने वाली पूजा एवं रात्रि साधना से मिल पाती है तंत्र की सिद्धि एवं साधना का नवरंग.
अचार्या राजरानी
गुप्त नवरात्रि : माता छिन्नमस्ता का अत्यंत भयंकर रूप,सार्वजनिक रूप से वर्जित है पूजा
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