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Dharam Karma : वेद वाणी

वेद वाणी

वेद वाणी

Sanskrit: अयं मे पीत उदियर्ति वाचमयं मनीषामुशतीमजीगः।
अयं षळुर्वीरमिमीत धीरो न याभ्यो भुवनं कच्चनारे॥ ऋग्वेद ६-४७-३॥

Hindi: भक्ति प्रेम का यह सोम मेरी वाणी को गंभीर और ज्ञानप्रद बनाता है। यह मेरी बुद्धि को प्रकाशित करता है। यह मेरी छः दुर्बलताओं – काम, क्रोध, लोभ, मोह, अभिमान और द्वेष को भी मापता है जिन से कोई अछूता नहीं है। (ऋग्वेद ६-४७-३) #vedgsawana

English: This Soma of devotional love makes my voice serious and enlightening. It illuminates my intellect. It also measures the dimensions of my six weaknesses: lust, anger, greed, attachment, pride, and jealousy, from which no one is untouched. (Rig Veda 6-47-3) #vedgsawana

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