VeASanskrit: नु नो रयिं रथ्यं चर्षणिप्रां पुरुवीरं मह ऋतस्य गोपाम्।
क्षयं दाताजरं येन जनान्स्पृधो अदेवीरभि च क्रमाम विश आदेवीरभ्यश्नवाम॥ ऋग्वेद ६-४९-१५॥
Hindi: हे जगत के स्वामी! हमें ऐसा धन प्रदान करो जो हमारे शरीर रूपी रथ को उत्तम बना सकें। जिस धन से हम क्रियाशील बनें। जिस धन से हम अपने यज्ञनिक कार्यों में वृद्धि कर सकें। जिस धन से हमारी वीर संतानें का निर्माण हो। जिस धन से हम वासनारूपी शत्रुओं का नाश कर पाएं और अपने अंदर उत्तम भावनाएं उत्पन्न कर पाएं। (ऋग्वेद ६-४९-१५) #vedgsawana
English: O lord of the world! Grant us such wealth, which can make the chariot of our body perfect. With which we can become active. With which we can augment our Yajnik deeds. With it, we can make our progeny brave. With which we can destroy our enemies in the form of lust and generate noble feelings in ourselves. (Rig Veda 6-49-15) #vedgsawana