नोएडा। ध्वस्तीकरण को लेकर देश व दुनिया में सुर्खियां बटोरने वाले सेक्टर-93ए स्थित टि्वन टॉवर का विवाद अब एक बार फिर सुर्खियों में है। टि्वन टॉवर की गगनचुंबी इमारत ध्वस्त होने के बाद अब खाली पड़ी करीब सवा दो एकड़ यानी 7500 वर्गमीटर जमीन इस विवाद का कारण बना हुआ है। इसको लेकर अब सुपरटेक बिल्डर तथा एमराल्ड कोर्ट सोसायटी की आरडब्ल्यूए के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है।
Twin Towers
सुपरटेक बिल्डर और आरडब्ल्यूए में ठनी
मालूम हो कि 28 अगस्त 2022 को सेक्टर 93ए स्थित एमरॉल्ड कोर्ट में बनी विवादित ट्विन टॉवर को जमींदोज कर दिया गया था। उसका मलवा भी साफ कर लिया गया है। अब खाली पड़ी जमीन को लेकर जहां सुपरटेक बिल्डर अपना मालिकाना हक जता रहा है। वहीं सोसायटी के आरडब्ल्यूए पदाधिकारी यहां पर बच्चों के लिए प्लेग्राउंड बनाने की मांग कर रहे हैं।
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जमीन पर नहीं है सुपरटेक का अधिकार
सोसायटी के पदाधिकारियों ने बताया कि हाल ही में सुपरटेक बिल्डर ने यहां पर खाली जमीन पर कंटीले तार लगाकर इसे अपने कब्जे में लेने का प्रयास किया। लेकिन, उन्होंने इसका विरोध करके प्राधिकरण से शिकायत की तथा कार्य रुकवा दिया। सोसायटी के अध्यक्ष का कहना है कि बिल्डर ने बढ़े हुए एफएआर को अन्य 15 टॉवरों में अतिरिक्त निर्माण करके पूरा कर लिया है। इस खाली जमीन पर बिल्डर ने टॉवर का अवैध निर्माण किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ध्वस्त कर दिया गया था। इसलिए इस जमीन पर अब सुपरटेक का कोई भी मालिकाना हक नहीं है। इसको लेकर सोसायटी के पदाधिकारियों ने नोएडा प्राधिकरण के अफसरों से मिलकर अपना पक्ष रखा है।
Twin Towers
भूखंड के आवंटन के लिए सुपरटेक ने जमा किए थे 80 करोड़ रुपये
उधर, सुपरटेक बिल्डर का कहना है कि यह जमीन एमरोल्ड कोर्ट के लिए आवंटित जमीन से अलग है। उन्होंने नोएडा प्राधिकरण से 80 करोड़ जमा करके इस भूखंड को आवंटित कराया था। इसलिए इस जमीन पर उनका ही मालिकाना हक है।
फाइलें देखने के बाद ही फैसला
नोएडा प्राधिकरण के नियोजन विभाग के महाप्रबंधक इश्तियाक अहमद का कहना है कि इस मामले में जमीन आवंटन, स्वीकृत नक्शा, बढ़े हुए एफआर से संबंधित सभी फाइलें खंगाली जाएंगी। इसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकेगा।
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विवाद की जड़ है खाली भूखंड
आपको बता दें कि ट्विन टॉवर ध्वस्त होने के बाद यहां से मलबा हटा लिया गया है। अब यह जमीन खाली पड़ी हुई है। यहां पर 150 मीटर लंबा पार्किंग के लिए रास्ता बनाया जा रहा है। इसके बाद अतिरिक्त पड़ी खाली भूखंड इस विवाद की प्रमुख जड़ बनी हुई है।
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