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Gyanvapi Case : ज्ञानवापी से जुड़े सात मामलों की एक साथ होगी सुनवाई

Gyanvapi Case

Seven cases related to Gyanvapi will be heard simultaneously

वाराणसी (उप्र)। वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी मामले से संबंधित एक ही प्रकृति के सात मुकदमों की सुनवाई एक साथ करने का आदेश दिया है।

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एक अदालत के सुनवाई करने से नहीं होंगे विरोधाभासी फैसले

ज्ञानवापी और आदि विश्वेश्वर मामलों के विशेष अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने बताया कि जिला न्यायाधीश एके विश्वेश ने प्रतिवादियों की आपत्ति के बावजूद अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए ज्ञानवापी प्रकरण से संबंधित एक ही प्रकृति के सात मुकदमों की सुनवाई एक साथ करने का आदेश सुनाया है। मिश्रा ने बताया कि जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि यदि ये सभी मामले विभिन्न अदालतों में लंबित रहेंगे, तो सम्भावना है कि इनमें विरोधाभासी आदेश सुनाए जा सकते हैं। न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि यदि ये सभी मामले एक ही अदालत में सुने जाएंगे, तो विरोधाभासी फैसले की कोई संभावना नहीं रहेगी।

सभी मुकदमों की एक साथ सुनवाई न्याय के हित में

मिश्रा ने बताया कि जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा है कि दीवानी प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के आदेश (ऑर्डर) चार ए में प्रावधान किया गया है कि जब एक ही न्यायालय में दो या दो से अधिक वाद लंबित हों और न्यायालय की यह राय हो कि यह न्याय के हित में है, तो न्यायाधीश उनके संयुक्त सुनवाई का आदेश दे सकता है। जिला न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा है कि यह न्याय के हित में होगा कि इन सभी मुकदमों को एक साथ सुना जाए।

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साल 2021 में पांच महिलाओं ने दायर की थी याचिका

गौरतलब है कि अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने स्थानीय अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर नियमित पूजा के अधिकार की मांग की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए जिला न्यायाधीश की अदालत ने सातों मुकदमों को एक ही प्रकृति का बताते हुए एक साथ सुनवाई किये जाने का आदेश दिया है। विदित हो कि अप्रैल 2022 में दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष के विरोध के बीच सर्वेक्षण अंततः मई 2022 में पूरा हुआ था। इसी दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू के लिए बने तालाब में ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया था, वहीं मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था। बाद में इसमें कई मामले अदालत में दाखिल किये गये।

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