भारत के राजनितिक इतिहास में एक उच्च स्थान प्राप्त करने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफेसर बलराज मधोक और दीनदयाल उपाध्याय ने 21 अक्टूबर वर्ष 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की। वर्तमान समय में हिंदुवादी सोच की राजनीति का संचालन भले ही भारतीय जनता पार्टी कर रही हो किन्तु हिंदुवादी राजनीति की जड़े इससे कहीं ज्यादा पुरानी हैं। आज भारतीय जनसंघ स्थापना दिवस के अवसर पर आइये जानते हैं इस मूल पार्टी के इतिहास के विषय में…..
भारतीय जनसंघ को प्राप्त है बीजेपी की पितृ पार्टी और मूल पार्टी का नाम
1951 में बने इस नये राजनीतिक दल का उदय स्वयं सेवक संघ के द्वारा किया गया था। इसके बाद इस संगठन ने कई राज्यों में चुनाव लड़ा और जीता भी लेकिन यह सफलता ज्यादा लम्बे समय तक नहीं चल सकी। इंदिरा गाँधी के द्वारा लागू किये गए आपातकाल के बाद इसका विलय जनता दल में कर दिया गया था। भारतीय जनता पार्टी की मूल पार्टी का चुनाव चिन्ह दीपक था।
जनसंघ के ही एक गुट ने की बीजेपी की स्थापना
राजनीतिक एवं विश्वास के अन्य कई मुद्दों पर टूटी भारतीय जनसंघ पार्टी के ही एक गुट जिसमें लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी बाजपेयी शामिल थे, ने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 6 अप्रैल 1980 में की और मूल पार्टी के सिद्धांतो को लम्बे समय तक जीवित रखने में एक अहम योगदान दिया।
क्या थीं भारतीय इस की स्थापना की वजहें?
नेहरू-लियाकत समझौता एवं महात्मा गांधी की हत्या के पश्चात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर रोक लगना, ये दो ऐसे प्रमुख कारण थे जिनके वजह से भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई।
भारतीय जनसंघ
राजनीतिक संगठनों और बड़े नेताओं के अलावा आम जनता में भी यह आवाज़ उठी की राजनीति में कांग्रेस का एक विकल्प होना भी जरुरी है। इसके बाद ही सरसंघचालक गुरु गोलवलकर एवं श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने मुलाक़ात की और भारतीय जनसंघ की रणनीति बनाई।