सभी राजनीतिक दलों द्वरा 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई है. वहीं उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दलों के बीच समीकरण बदल रहे हैं. पिछले डेढ़ दशक में हुए तीन लोकसभा और तीन विधानसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली पीस पार्टी का झुकावKm भी BJP की ओर दिख रहा है. पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद अयूब का राजनीतिक दृष्टिकोण अब बदलते दिख रहा है.
राजनीति दलों (Political Party) के लिए मुसलिम महज़ वोट बैंक
पीस पार्टी के मुखिया डॉ मोहम्मद अयूब को अब महसूस हुआ है कि सपा(SP), बसपा(BSP) और कांग्रेस ने मुस्लिम समुदाय को केवल वोट बैंक के रूप में प्रयोग करती आ रही हैं. डॉ. मोहम्मद अयूब के अनुसार ये तीनों पार्टियां चुनावों में मुस्लिम वोटों का वोट बैंक के रूप में प्रयोग करती हैं, लेकिन सत्ता में आने पर इन दलों ने इस समाज को न तो अपना साथी बनाया है और न ही उनके उत्थान के लिए काम किया है. मोहम्मद अयूब मुताबिक अगर उनकी पार्टी को मौका मिला तो वे राज्य में एनडीए के साथ गठबंधन करने में परहेज़ नहीं करेंगे.
बड़ी पार्टी का समर्थन नहीं मिलने से कमजोर पडी पीस पार्टी
डॉ. अयूब को पूर्वांचल में पासमन्दा मुस्लिम समुदायों के बीच बेहद लोकप्रिय नेता माना जाता है। वह पसमन्दा मुसलिम समुदाय के महत्त्वपूर्ण प्रतिनिधि माने जाते हैं। 2008 में पीस पार्टी के गठन किया गया. डॉ. अयूब के नेतृत्व में 2012 में 4 सीटों पर जीत हासिल करके उन्होंने मुस्लिम समुदाय पर अपनी बढ़ती हुई प्रतिष्ठा का प्रदर्शन किया था. हालांकि, गठबंधन के दौर में भी किसी बड़ी पार्टी का समर्थन नहीं मिलने से, पीस पार्टी एक तरह से अकेली और कमज़ोर पड़ गई. आपको बता दें कि अब पीस पार्टी पूर्वांचल बेल्ट में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए समर्थन जुटा रही है. डॉ. अयूब अब बीजेपी के साथ मित्रता को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य उनकी खोई हुई ज़मीन को मजबूत करना है.