Saturday, 30 November 2024

माघ मास में संगम स्नान : ये है सबसे बढ़कर पुण्य कमाने वाला पर्वकाल

Sangam Magh Snan : सूर्य देव के मकर राशि में आते ही ऋतु परिवर्तन के साथ ही उनका यह दक्षिणायन…

माघ मास में संगम स्नान : ये है सबसे बढ़कर पुण्य कमाने वाला पर्वकाल

Sangam Magh Snan : सूर्य देव के मकर राशि में आते ही ऋतु परिवर्तन के साथ ही उनका यह दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश होता है । अभी तक तमस और शीत की कारा में रहे उनका अपने पुत्र शनिदेव के घर में प्रवेश होता है । पुत्र कैसा भी हो पिता का अपने पुत्र पर विशेष स्नेह सदा ही रहता है । “आत्मानं वैजायते पुत्र:”। अपने आपको ही तो बीज के रूप में अंकुरित कर पिता उसे संतान के रूप में पाता है । शनि उनका पुत्र ही नही बल्कि वह दण्डाधिकारी के रूप में सबके कर्मों के आधार पर न्याय करने वाले न्यायाधीश भी हैं फिर वह चाहे कोई भी हो उनकी दृष्टि से नही बच पाता । जब पिता पुत्र के साथ हो वह भी ग्रहों का राजा तो उसका प्रभाव कुछ कम हो जाता है । माघ मास में अपनी पुत्री यमुना, पुत्र मनु के रूप में मानव और शनिदेव इन तीनों का एक स्थान पर संगम वह,भी तीर्थराज प्रयाग में त्रिवेणी यमुना गंगा और सरस्वती के संगम में स्नान । इससे बढ़कर पुण्य कमाने वाला पर्वकाल और कब मानव जीवन मे आयेगा।

संगम में स्नान के बाद दान का महत्व:-

इस समय दान का अपना महत्व होता है । खास तौर पर तिल गुड़ का काला तिल शनि के लिये और गुड़ सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिये। खरमास पूष के समाप्त होते ही प्रारंभ हो जाता है माघ मास।,इसीलिए पौषी पूर्णिमा का पर्जन्य-पूर्णिमा के रूप में विशेष महत्व है ।,इस समय,अगहनियां फसलें तैयार होकर खेतों से घर में आकर अन्न धन-धान्य से घर को भरपूर कर देती हैं । ऋतु परिवर्तन के साथ ही लोगों के मन में उमंग और उछंग के उत्स झरने लगते है । उत्साह से भरे लोगों का यह त्यौहार प्रकृति को धन्यवाद के,रूप में समर्पित होता है । पंजाब की लोडी हो,या दक्षिण का पोंगल अथवा मध्य प्रांत की बुढ़की विभिन्न रूप होते हुये भी उनका एक ही उद्देश्य होता है दान करके पुण्य कमाना । जरूरत मंदों की और गरीब दीन हीन असहाय लोगों की सहायता करना । दान का अपना महत्व है । यह व्यक्ति की उदारता और उदात्तता का परिचायक है ।

Sangam Magh Snan

भूखे को अन्नदान से बड़ा कोई दान नही

मकर संक्रांति धार्मिक उत्सव के साथ ही सामाजिक उत्सव भी है जो व्यक्ति को समग्रता की ओर ले जाता है ।  इस समय स्नान के पश्चात अपनी उदात्त भावना को उदारता से जोड़ते हुये हम अपनी सामर्थ्य के अनुसार ही जो गरीब और जरूरतमंद है उन्हें उनकी आवश्यकताओंके अनुसार दान देने में ही उसका महत्व है । भूखे को अन्नदान से बड़ा कोई दान नही । माघ मास में मकर संक्रांति पर ससुर्यदेव के। साथ सभी देव अदृश्य रूप ब्राम्ह मुहूर्त में त्रिवेणी में स्नान कर पुण्य लाभ लेकर पुन: स्फूर्त होने आते हैं ।

मौनी अमावस्या :-Sangam Magh Snan

इस दिन पितर लोक से पितर संगम में स्नान कर अपनी संतानों के दान पुण्य से संतुष्ट होकर तृप्ति का अनुभव कर आशीर्वाद देने आते हैं । माघ मेले में संत समागम का विशेष उद्देश्य होता है जन जागरूकता का धर्म के प्रचार प्रसार के साथ ही जनता में नवचेतना का जागरण होता है। विभिन्न प्रांतों से अपनी लोक कला संस्कृति के प्रसार का माध्यम भी होते हैं ऐसे मेले । अनेकता में एकता का बोध कराते । हम चाहे कहीं भी हों किसी भी जाति या वर्ग के पर सभ्यता और संस्कृतियों का अद्भुत संगम हैं यह मेले । वर्ष भर इंतजार रहता है इनका । सनातन वैदिक संस्कृति पर आधारित जिनका स्पष्ट प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है ।
उषा सक्सेना

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