Noida News : अकसर महिला के नाम के साथ महिला शक्ति या नारी शक्ति शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। मैं हमेशा इस बारे में सोचती ही रहती थी की नारी या महिला के साथ शक्ति उसे खुश करने के लिए लगाया जाता है। बेवकूफ बनाने के लिए लगाया जाता है या गुमराह करने के लिए लगाया जाता है..ताकि वह सदा भीड़ बनी हुई इतराती चलती रहे।
अंजना भागी
पहले समय से ही यहां तक की आज भी समाज में यही देखने को मिलता है कि आपस की लड़ाई है तो पुरुष महिला की पिटाई कर रहा होता है। महिला को कितना भी समझाओ उसके घर परिवार के लोग समझाते हैं, लोग कहते हैं क्यों मार खाती हो? वह तो भी जल्दी मुकाबला करने को तैयार नहीं हो पाती हैं। विशेष कर यदि खास पढ़ी-लिखी, टैलेंटेड महिला हो तो आम समाज में सम्मान बना रहे इसलिए सब झेलती है। ज्ञानी महिला हो तो रास्ता बदल लेंगी। लेकिन मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार करने की जल्दी नहीं सोचतीं। इसी बात से प्रश्न यह उठता है कि तो फिर महिला या नारी को शक्ति संबोधन लगा कर क्या जताने की कोशिश की जाती है? यदि आप नारायण की शरण में रहेंगी तो नारायणी होंगी!
क्योंकि यह भी परम सत्य है की शक्ति शाली बनोगी तो आप भी झांसी की रानी की तरह शक्तिवान तथा देश की आधी आबादी का होसला बढ़ाओगी। मनु को भी खूब लड़ी मरदानी बनने से पहले उस समय की पुरुषशक्ति की इगो का मुकाबला करना पडा था? यही कारण है कि पुरुष के साथ कभी भी शक्ति नहीं लगाया गया। क्योंकि यह सदा ही उनका अधिकार रहा। आज जब मैं आम समाज की तरफ ध्यान देती हूं या समस्याओं की और गौर करती हूं तब मुझे ऐसा लगता है कि किसी भी कार्य की सफलता के लिए महिलाओं की भीड़ तो सब ही को पसंद है। वे आगे झण्डा लेकर चलें या कुर्सियों पर भीड़ की तरह बैठें तो अति उत्तम ( यानि बकरियाँ, सींगों वाली गाय नहीं ) वे खुश मस्त रहें या यूं कहिए कि बेवजह खुश रखने के लिए ही महिला को शक्ति का तमगा दिया गया है। सच तो यह है कि यदि महिला अपने घर में अच्छे से पूरे परिवार को भोजन पका कर खिलाए घर की सफाई करें। घर को व्यवस्थित रखें । भजन संध्या करें । भगवान की पूजा करें बच्चों को बहुत अच्छे से पालें। उन्हें खुद पढ़ाई करवाएं इस महंगाई के आलम में कमाना तो बहुत ही जरूरी है। जहां तक हो सके पूरे परिवार को अत्यंत खुश रखें। अपने भाई बहनों के साथ बना कर रखें। अपने परिवार के साथ अपने ससुराल के साथ अपने मायके के साथ। टीवी के सीरियल में जिस प्रकार से सफाई होती है घरों को भी उसी प्रकार साफ रखें और खुश भी नजर आयें। चाहे उन्हें कितना भी क्यों न खटना पड़े बदले में वह महिला शक्ति या नारी शक्ति बनी रहें।
घर में अच्छे से पूरे परिवार को भोजन पका कर खिलाए, घर की सफाई करें। घर को व्यवस्थित रखें, तो ठीक नहीं तो !!
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यदि इससे कहीं कुछ विपरीत होने लगे तब नारी शक्ति नहीं बल्कि कुछ लोगों के लिए तो विपत्ति या परेशानी का सबब बन जाती हैं। किसी भी महिला ने ऊपर उठने की कोशिश की तो उसको अपने आप को अत्यधिक प्रूव करना पड़ता है। पुरुष शक्ति से अलग कडी मेहनत। इसके बावजूद भी उसकी शक्ति को खींचकर उसे वापस भीड़ में ही बिठाये जाने का पूरा प्रयत्न किया जाता है। विशेषकर कुछ सीनियर पुरुष शक्ति द्वारा। एक कार्यक्रम में हमारे यूपी की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने एक बहुत ही बढ़िया बात कही थी। “महिला जब भी आगे बढ़ती है तो 6, 7 अन्य को भी साथ में लेकर आगे बढ़ती है”। उसके साथ उसका परिवार होगा, सहयोगी होंगे ,जो भी होंगे उनको साथ लेकर चलती है। और देखा यह भी गया है की कुछ दुशप्रवित्ती के पुरुष मिलकर खूब दुष्प्रचार भी करेंगे। देखा यह भी गया है कि आज की युवाओं की ओर से कम बल्कि जो मिडिल ऐज के पुरुषशक्ति हैं जिन्होंने महिला को बहुत समय तक अपने घर परिवार के लिए ही घर में रखा है। वे महिला कहीं शक्ति न बन जाए इसके कड़े विरोधी हैं। यह मानसिकता समाज से विशेषकर कुछ अज्ञानी, कम पढे लिखे लोगों की वजह से जा ही नहीं पाती।
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महिला को समाज के कुछ संकुचित वर्ग से टक्कर लेनी पड़ती है
हम देख रहे हैं आज समाज कुछ अलग जा रहा है लड़कियां शादी करना ही नहीं चाहती। लड़कों को पसंद नहीं करती यदि लड़कों से दोस्ती भी करती है तो वह फिर शादी के रूप में परिणत होने में समय लग जाता है या नहीं भी होती। क्या कारण है? एक सा दिमाग, शिक्षा अब महिला की भी है। लेकिन उसके अंदर कुछ अन्य गुण भी है मल्टी टैलेंटेड मल्टीटास्कर होने के। क्योंकि महिला को हम बचपन से ही पूरा परिवार मिलकर घर की जिम्मेदारी संभालना तो सिखाते ही हैं। इसलिए वह जहां भी जाती है किसी कंपनी में कहीं भी यहां तक की अब तो आर डब्लू ऐ में भी तो वह बहुत ही कर्तव्य परायणता से उसको संभालने की कोशिश करती है। लेकिन उसको समाज के कुछ संकुचित वर्ग से तो पूरी टक्कर लेनी पड़ती ही है। जो होम मेकर महिलाएं हैं दिल में वे भी सब समझती हैं लेकिन खुलकर विरोध नहीं कर पाती कारण उनके घर परिवार में भी अधिकांश का घर पुरुष प्रधान ही है। 26 जनवरी का दिन सुबह बहुत सर्दी और धुंध पड़ी हुई थी। नोएडा के 19 सेक्टर में कृष्णा शर्मा कृष्ण तारा दिव्या ज्योति ट्रस्ट की अध्यक्ष ठिठुरती सर्दी में बच्चों के साथ मैराथन दौड़ करवा रही थीं। स्वयं भी दौड़ रही थी। आसपास ट्रैफिक भी बहुत ही कम था उन्हें ऐसा करता देखकर पता नहीं क्यों मेरे मन में यही बात आई कि ऐसा कहीं किसी भी आर डब्लू ऐ ने इतनी सुबह सुबह नहीं किया। लेकिन यह कर रही हैं। वही हाल नोएडा के सेक्टर 11 में भी है वहां की अध्यक्ष को भी पूरी पुरुष शक्ति यह जताने में लगी हुई है कि आप नहीं कर सकतीं। लेकिन अध्यक्ष अपनी पूरी काबिलियत दिखाते हुए यह बता रही है कि वह क्यों नहीं कर सकती? सेक्टर गांव नहीं जहां प्रधान महिला चुनी जाए लेकिन शक्तिशाली प्रधान का पति बने। समय बदल रहा है आज जिनके हाथ में न्याय की बागडोर है वे इस पर अत्यधिक कार्य कर रहे हैं। बेशक थोड़ा समय लगेगा लेकिन अब महिला को यह याद नहीं दिलाना पड़ेगा कि महिला तुम भी शक्ति ?Noida News
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