UP News : उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की हमेशा प्रतिष्ठा रही है। उत्तर प्रदेश के इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से पढक़र अनेक हस्तियां महान बनी हैं। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़े हुए पूर्व छात्रों ने एक बड़ा संगठन बना रखा है। संगठन में उत्तर प्रदेश समेत दुनिया भर में रह रहे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के इन्हीं पूर्व छात्रों ने एक बड़ा संदेश दिया है।
उत्तर प्रदेश से लेकर विदेशों तक से आए महत्वपूर्ण सुझाव
इलाहाबाद विश्वविद्यालय पूरा छात्र संघ (अअआ) ने एक गोष्ठी का आयोजन किया। इस गोष्ठी में उत्तर प्रदेश से लेकर विदेशों तक में रह रहे अअआ के सदस्यों ने भाग लिया। हाल ही में अउआ ने इस प्रसिद्ध संवाद कार्यक्रम में ‘कैसे हासिल कर सकेगा भारत 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था’ विषय पर चर्चा की।
संवाद में ज्यादातर वक्ता इस बात से सहमत थे कि भारत अगले पांच साल में 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल कर सकता है। लेकिन शर्त भी रखी कि सरकार को अपनी आर्थिक योजनाओं को व्यावहारिक और लचीला बनाना होगा। वक्ताओं ने कहा कि नहीं भूलना चाहिए कि भारत कृषि प्रधान देश है। यह विशेषता हमारे लिये सबसे बड़ी उपलब्धि है। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी को भरपेट खाना हम कृषि की प्रधानता के बूते ही दे पा रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि खेती की उन्नति के कार्यक्रमों को प्राथमिकता के आधार पर चलाना होगा।UP News
मुख्य वक्ताओं में उपेंद्र मिश्रा (इंग्लैंड न्यूज अमेरिका), डॉ कमलेश मिश्रा (सदस्य इकनॉमिक कॉउसिल आॅफ इंडिया), रजनीश कुमार (पूर्व चेयरमैन, स्टेट बैंक आॅफ इंडिया), प्रो. रवि शंकर (डिपार्टमेंट आॅफ मैनेजमेंट स्टडीज), प्रो. निरंजन कुमार (आईआईटी, दिल्ली), अउआ के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सेवानिवृत आईएएस सुरेश कुमार सिंह, अउआ के संस्थापक सचिव नवीन चंद्रा, नवीन सारस्वत (सेवानिवृत सहायक महा प्रबंधक-भारतीय स्टेट बैंक) आदि शामिल थे।
वक्ता एक तकरीर पर एकमत थे कि भारत की मिश्रित अर्थव्यवस्था में खेती के अलावा मध्यम और भारी उद्योगों को समान महत्व देना होगा। ऐसा वातावरण बनाना होगा कि विदेशों से अधिकाधिक पूंजी निवेश हो सके। दुनिया के विकसित देशों में कृषि उच्च संसाधनों से होती है। यद्यपि हमारे देश में भी बदलाव आया है, लेकिन अभी बहुत संभावनाएं बाकी हैं। कृषि उत्पादन में वृद्धि हमें 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था तक पहुंचाने में बहुत कारगर होगी। वक्ताओं ने मध्यम और लघु उद्योगों के सामने आ रहीं कठिनाइयों पर अभियान के तौर पर काम करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि बड़े उद्योग विकसित हों, लेकिन मध्यम और लघु उद्योग उनसे कहीं ज्यादा महत्व के हैं।
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उन्होंने उदारीकरण की नीतियों की समीक्षा, उनमें संशोधन और लागू करते रहने की जरूरत पर भी बल दिया। वक्ताओं ने कहा कि देश को समृद्ध बनाने के लिये शांति का वातावरण भी बनाना होगा, ताकि विदेशी पूंजी आ सके और दूसरे देश के उद्यमी हमारे यहां उद्योग लगाने में हिचक महसूस न करें। वक्ताओं ने जनसंख्या विस्फोट की स्थिति पर भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि यह ऐसा सवाल है, जो सारी उपलब्धियों को मौन कर देता है। कुल मिलाकर हमारी सरकार को व्यावहारिक व लचीली आर्थिक नीतियां लागू करनी ही होंगी। यदि ऐसा हुआ तो 5 ट्रिलियन क्या, हम 7 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था भी बन सकते हैं।
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वक्ताओं में डॉ. कमलेश मिश्रा ने अपने भाषण में कृषि, प्रो. रवि शंकर ने सप्लाई चेन मैनेजमेंट सिस्टम, प्रो. निरंजन कुमार ने एजुकेशन सिस्टम, नवीन सारस्वत ने जनसंख्या नियंत्रण और एसके सिंह ने उद्यमशीलता पर खास फोकस किया। श्री सिंह ने कार्यक्रम का संचालन भी किया। अउआ सचिव नवीन चंद्रा ने कहा कि संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत हम भारत के विकास के लिए एक बेहतर रोडमैप पर सार्थक चर्चा करते हैं।
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