UP News : उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर से एक सनसनीखेज खबर आई है। खबर यह है कि उत्तर प्रदेश के बड़े हिस्से में बहने वाली गंगा नदी में करोड़ों जीव-जंतु मरने वाले हैं। यह खुलासा उत्तर प्रदेश के ही काशी हिन्दु विश्वविद्यालय के एक सर्वे की रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के आने के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार इस दिशा में कोई कदम उठानी हुई नजर नहीं आ रही है।
गंगा नदी है गंगा माता
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उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरी दुनिया में धार्मिक लोग गंगा को गंगा मां के नाम से पुकारते हैं। उसी गंगा नदी में करोड़ों जीव-जंतु मरने की आशंका वाली रिपोर्ट सबको हैरान कर रही है। उत्तर प्रदेश के काशी हिन्दु विश्वविद्यालय की एक सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि जेठ की तपिश में मोक्षदायिनी गंगा के जलीय जीव-जंतुओं की जान सांसत में है। पानी में ऑक्सीजन का स्तर कम होने से नदी की तलहटी में रहने वाले जलचरों की जान खतरे में है। तेजी से नीचे खिसकते जलस्तर के बीच सीवेज और ड्रेनेज के जरिये गंगा में दिन- रात घुल रहा कार्बन प्रदूषण नदी के ऑक्सीजन को चट कर रहा है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में काशी से लेकर कानपुर और कन्नौज तक गंगा में ऑक्सीजन का स्तर मानक से इतना कम मिला है कि जलीय जीव-जंतुओं का जीवन बेहद कठिन हो गया है। जानकारों का मानना है कि ऑक्सीजन की स्थिति पर तीन साल तक गंगा का जलप्रवाह न बढ़ा तो जलचरों को बच पाना मुश्किल हो जाएगा। बीएचयू के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. जितेंद्र पांडेय और उनकी टीम ने गर्मी के पीक सीजन में गंगा में अध्ययन किया। रिसर्च के दौरान मई-जून की तीखी गर्मी में वाराणसी के अस्सी घाट, कानपुर के वाजिदपुर ड्रेन और कन्नौज में रामगंगा के मिलनें के स्थान से सैंपल लिए गए।
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प्रवाह बढऩे से मिलेगी राहत
प्रो. पांडेय कहते हैं कि गर्मी में तापमान बढऩे के साथ पानी की ऑक्सीजन को धारण करने की क्षमता कम हो जाती है। पानी का तापमान एक डिग्री सेल्सियस भी बढ़ जाए तो इसका असर ऑक्सीजन के स्तर पर पड़ जाता है। दूसरी ओर पानी कम होने से नदी में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। जलीय जीव-जंतु सतह पर आते हैं तो गर्मी से परेशानी होती है और नीचे तलहटी में जाते हैं तो वहां ऑक्सीजन का स्तर कम होने से उन्हें कठिनाई होने लगती है।UP News
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