UP News : उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली, राजस्थान तथा बांग्लादेश तक फैले हुए एक खतरनाक किडनी काण्ड का भंडाफोड़ हुआ है। इस अंतर्राष्ट्रीय किडनी रैकेट की मास्टरमाइंड उत्तर प्रदेश की एक महिला डाक्टर बताई जा रही है। मौत की सौदागर बनी महिला डाक्टर ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में दो दर्जन से अधिक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट किए हैं। उत्तर प्रदेश के नोएडा में लाए गए किडनी बेचने तथा खरीदने वाले बांग्लादेश से उत्तर प्रदेश में लाए गए थे।
महिला डाक्टर की बड़ी करतूत
आपको बतादें कि दिल्ली पुलिस ने एक अंतर्राष्ट्रीय किडनी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। दिल्ली पुलिस ने एक महिला डॉक्टर को गिरफ्तार किया है। पकड़ी गई इस महिला डॉक्टर के तार बांग्लादेश और भारत में ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट (अंग प्रत्यारोपण रैकेट) से जुड़े बताए जा रहे हैं। पुलिस ने बताया कि 50 वर्षीय डॉ. विजया कुमारी गिरोह के साथ काम करने वाली एकमात्र डॉक्टर थीं। इस महिला डाक्टर विजया कुमारी ने उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित यथार्थ अस्पताल में दो दर्जन किडनी की खरीद-फरोख्त करके ऑपरेशन किए हैं। दिल्ली पुलिस ने बताया कि किडनी रैकेट में बांग्लादेश के मरीजों को बिचौलियों, डॉ, विजया कुमारी और उनके साथियों के नेटवर्क के द्वारा उत्तर प्रदेश तथा एनसीआर के प्रमुख अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण के लिए फुसलाया जाता था। विजया कुमारी के अलावा पिछले महीने तीन बांग्लादेशी नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया है।
UP News
मिले हैं फर्जी दस्तावेज
नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के नाम पर फर्जी दस्तावेज कथित तौर पर यह दावा करने के लिए तैयार किए गए थे कि डोनर और रिसीवर (दोनों बांग्लादेशी) के बीच संबंध थे – जो भारतीय कानून के अनुसार आवश्यक है। सूत्रों ने कहा कि इन जाली दस्तावेजों को भी जब्त कर लिया गया है। सूत्रों ने बताया कि सीनियर कंसल्टेंट और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. विजया कुमारी करीब 15 साल पहले जूनियर डॉक्टर के तौर पर अपोलो अस्पताल से जुड़ी थीं। उन्हें अस्पताल के पेरोल पर नहीं बल्कि फीस-फॉर-सर्विस के आधार पर नियुक्त किया गया था। यही डाक्टर उत्तर प्रदेष के नोएडा में स्थित यथार्थ अस्पताल में भी काम कर रही थी।
उत्तर प्रदेश के नोएडा में यथार्थ अस्पताल में हुआ खेला
यह पूरा खेला उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित यथार्थ अस्पताल में हुआ है। उत्तर प्रदेश के यथार्थ अस्पताल के एडिशनल मेडिकल सुपरिटेंडेंट सुनील बालियान ने कहा कि डॉ. विजया कुमारी अस्पताल में विजिटिंग कंसल्टेंट के तौर पर काम कर रही थीं और अपने द्वारा लाए गए मरीजों का प्रत्यारोपण करती थीं। उन्होंने कहा कि यथार्थ का कोई भी मरीज उन्हें नहीं दिया गया।
वर्तमान मामले में बांग्लादेश के रहने वाले 29 वर्षीय रसेल अपने साथियों मोहम्मद सुमन मियां और इफ्ती अथवा त्रिपुरा के रतीश पाल के साथ मिलकर संभावित डोनर्स को बांग्लादेश से दिल्ली बुलाते थे। एक सूत्र ने बताया कि वे 4-5 लाख रुपये में अपनी किडनी दान करते थे और रिसीवर से 25-30 लाख रुपये वसूले जाते थे। इफ्ती को छोडक़र, अन्य सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
सूत्र ने बताया कि हमें राजस्थान में किडनी रैकेट का भंडाफोड़ होने के बाद सूचना मिली और पुलिस ने करीब तीन महीने पहले इस पर काम करना शुरू किया। सभी आरोपी पहली बार किडनी ट्रांसप्लांट करवा रहे थे और वे हर ट्रांसप्लांट के लिए डॉक्टर को 2-3 लाख रुपये दे रहे थे।
बना रखी थी फर्जी कम्पनी
उत्तर प्रदेश की महिला डाक्टर तथा उसके साथियों ने अलशिफा नामक एक मेडिकल टूरिज्म कंपनी बना रखी थी। सूत्रों ने बताया कि यथार्थ अस्पताल से पीड़ित के मेडिकल रिकॉर्ड जब्त कर लिए गए हैं, जिसमें बांग्लादेश उच्चायोग के जाली दस्तावेज दिखाए गए हैं। सूत्र ने कहा कि इन दस्तावेजों से पता चलता है कि पीड़िता के ट्रांसप्लांट रिकॉर्ड से जुड़ी मेडिकल फाइल को पूरा करने के लिए इसका दुरुपयोग किया गया था। सूत्रों ने कहा कि पुलिस अब एक संगठित अपराध गिरोह की जांच कर रही है। जांच के दौरान उत्तर प्रदेश की महिला डाक्टर विजया कुमारी के सहायक के रूप में काम करने वाले विक्रम को भी मामले में गिरफ्तार किया गया है।
रिकॉर्ड से पता चलता है कि रसेल ने जसोला गांव में एक फ्लैट किराये पर लिया था। सूत्र ने कहा, “इस किराये के फ्लैट में पांच से छह डोनर रह रहे थे। ट्रांसप्लांट से पहले सभी टेस्ट पूरे हो चुके थे। रिसीवर फ्लैट में डोनर से मिलते भी थे।” सूत्रों ने कहा कि बांग्लादेश के कुश्तिया जिले के रसेल ने अपने साथियों की पहचान ढाका के रहने वाले मियां (28) और मोहम्मद रोकोन (26) के रूप में की, जो पूछताछ के दौरान फ्लैट के अंदर थे। सूत्रों ने कहा कि गिरफ्तारी के दौरान रसेल के कमरे से बरामद बैग में नौ पासपोर्ट, दो डायरियां और एक रजिस्टर मिला था। ये पासपोर्ट किडनी डोनेट करने वालों और रिसीवर के थे और डायरी में कथित तौर पर डोनर और रिसीवर के बीच पैसों के लेनदेन की जानकारी थी। एक रिपोर्ट में बताया है कि उत्तर प्रदेश की इस महिला डॉक्टर के प्राइवेट असिस्टेंट के अकाउंट में इस अवैध धंधे का पैसा आता था और महिला डॉक्टर उसे कैश में निकलवा लिया करती थी। दिल्ली पुलिस के मुताबिक यह पूरा रैकेट बांग्लादेश से संचालित हो रहा था।
इसके लिए बांग्लादेश में रैकेट के लोग डायलिसिस सेंटर जाते थे और वहां पर देखते थे कि किस मरीज को किडनी की जरूरत है, उसकी पैसे देने की कितनी क्षमता है। एक बार अगर कोई मरीज 25 से 30 लाख रुपये देने को तैयार हो जाता तो फिर एक इंडियन मेडिकल एजेंसी के जरिए वह उसे इलाज के लिए भारत भेज देते थे। उसके बाद इस रैकेट के लोग किसी गरीब बांग्लादेशी को पकड़ते थे और उसे पैसों को प्रलोभन देकर किडनी देने के लिए तैयार करते थे। फिर उसे झांसा देकर भारत लाते थे और जिस मरीज को किडनी की जरूरत होती थी उसे उसका रिश्तेदार बताते थे. इसके बाद उस व्यक्ति का नकली दस्तावेज बनवा कर महिला डॉक्टर के जरिए उसकी किडनी निकलवा लेते थे। इस महिला डॉक्टर को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 4 दिन पहले दिल्ली से ही गिरफ्तार किया है। मामला सामने आने के बाद अपोलो अस्पताल ने महिला डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया। पुलिस के मुताबिक कुछ डोनर्स ने ये भी बताया कि उन्हें नौकरी के नाम पर हिन्दुस्तान लाया गया और फिर यहां पर उसकी किडनी निकाल ली गई। UP News
नोएडा की एडवांट बिल्डिंग के सामने नाले में मिला शव
ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।