Saturday, 19 October 2024

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस के ऊपर निकाली भड़ास, कहा गलती पर है यूपी पुलिस

UP News : उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की पुलिस पर अपनी भड़ास निकाली है। उत्तर प्रदेश के…

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस के ऊपर निकाली भड़ास, कहा गलती पर है यूपी पुलिस

UP News : उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश की पुलिस पर अपनी भड़ास निकाली है। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने कहा है कि यूपी पुलिस की गलती से दोषी तो बच जाते हैं और निर्दोष लोग फंस जाते हैं। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि यूपी पुलिस के कर्मचारियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाए।

निर्दोष नहीं फंसना चाहिए UP News

उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने कहा कि निर्दोष की रक्षा करना आस्था का बुनियादी पहलू है। वेद हो या बाइबिल और कुरान सभी कहते हैं कि 99 दोषी छूट जाएं पर एक भी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए। गैंगस्टर मामलों में पुलिस अधिकारियों की मनमानी से वास्तविक दोषी छूट रहे हैं और निर्दोष शोषण का शिकार हो रहे हैं। तल्ख टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा व न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि गैंगस्टर के तहत कार्रवाई के लिए नामित पुलिस अधिकारियों व मजिस्ट्रेटों को तत्काल प्रशिक्षण के लिए भेजा जाए।

क्योंकि, लगातार देखने को मिल रहा है कि वह गैंग चार्ट को स्वीकृति देते वक्त न्यायिक विवेक का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। कोर्ट महोबा के अब्दुल लतीफ समेत पांच अन्य इटावा के के हेतराम मित्तल, तस्लीम, बिजनौर के ऋतिक और मैनपुरी के अनूप की ओर से उनके खिलाफ बने गैंग चार्ट की चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सभी ने गैंगस्टर अधिनियम 2021 के तहत पुलिस की ओर से तैयार गैंग चार्ट को चुनौती दी थी। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार को पूर्व में दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुपालन कराने के लिए आदेश की प्रति 24 घंटे में प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव न्याय के साथ ही सीएम को भी भेजने का आदेश दिया है।

थाना बच्चों के लिए नहीं है

एक दूसरे मामले में उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस का थाना बच्चों के लिए उचित स्थान नहीं है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि पुलिस थाना बच्चों से मिलने की जगह नहीं है। थाने में होने वाले क्रियाकलाप माता-पिता के अलग होने के भावनात्मक तनाव को बढ़ा सकते हैं। इससे बेहतर है कि यह मुलाकात न्यायालय परिसर में हो, जहां बच्चे को समुचित सुरक्षा व्यवस्था मिल सकती है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति, सौमित्र दयाल सिंह एवं न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने बरेली पारिवारिक न्यायालय के उस आदेश को संशोधित करते हुए की, जिसमें मां के साथ रह रहे बच्चे से पिता को थाने में मुलाकात करने का आदेश दिया था। आदेश के खिलाफ पिता ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। UP News

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