Noida : नोएडा। एमिटी लॉ स्कूल नोएडा द्वारा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान के सहयोग से ‘ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 और नियम 2020 के प्रावधान’ विषय पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश राजेश टंडन ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा संविधान हर व्यक्ति को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार प्रदान करता है। छात्रों को मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके तहत सभी को जीवन जीने, स्वंतत्रता, समानता और गरिमा का अधिकार प्राप्त है, फिर चाहे वो महिला हो, पुरूष हो या ट्रांसजेंडर व्यक्ति हो। जस्टिस टंडन ने कहा कि मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के धारा-2 के अंतर्गत अंतरराष्ट्रीय प्रसंविदाओं जो कि 16 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंगीकृत सिविल और राजन्ैतिक अधिकार और आर्थिक समाजिक एंव सांस्कृतिक अधिकार संबंधी भी शामिल है। इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय द्वारा ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार, विधिक अधिकार व सहायता, इलाज का अधिकार आदि के दिशानिर्देश प्रदान किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों के ज्ञान को विकसित करके किताबों के बाहर भी सीखने का अवसर प्रदान करते हैं।
गौतबुद्धनगर के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव जय हिंद कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के सोच के प्रति परिवर्तन आया है और उसी का परिणाम यह है कि अब हर एप्लीकेशन फार्म में पुरूष, महिला और ट्रांसजेंडर तीनों कैटगरी होती है।
एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमैन डॉ. डीके बंद्योपाध्याय, एमिटी कॉलेज ऑफ कार्मस एंड फाइनेंस की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गीता मिश्रा, एमिटी लॉ स्कूल नोएडा के संयुक्त प्रमुख डॉ. अरविंद पी भानु ने भी विचार रखे।