नई दिल्ली। बिहार में अब जाति आधारित सर्वेक्षण नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसकी इजाजत नहीं दी। उच्चतम न्यायालय ने पटना उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें बिहार सरकार द्वारा कराए जा रहे जाति आधारित सर्वेक्षण पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी गई थी।
Bihar News
Assam News : 13 साल की लड़की के साथ चलती कार में सामूहिक दुष्कर्म
सर्वेक्षण की आड़ में कहीं जनगणना तो नहीं?
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि इस बात की जांच करनी होगी कि क्या यह कवायद सर्वेक्षण की आड़ में जनगणना तो नहीं है। पीठ ने कहा कि हम यह स्पष्ट कर रहे हैं, यह ऐसा मामला नहीं है, जहां हम आपको अंतरिम राहत दे सकते हैं। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मुख्य याचिका की सुनवाई तीन जुलाई के लिए स्थगित कर दी है। पीठ ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि इस याचिका को 14 जुलाई को सूचीबद्ध किया जाये। यदि किसी भी कारण से, रिट याचिका की सुनवाई अगली तारीख से पहले शुरू नहीं होती है, तो हम याचिकाकर्ता (बिहार) के वरिष्ठ वकील की दलीलें सुनेंगे।
Bihar News
Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में बड़ा हत्याकांड, छात्रा की हत्या के बाद छात्र ने खुद को मारी गोली
रोक से कवायद पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव
पटना उच्च न्यायालय के चार मई के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में दायर याचिका में बिहार सरकार ने कहा है कि जातीय सर्वेक्षण पर रोक से पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि जाति आधारित आंकड़ों का संग्रह अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक मामला है। बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण का पहला दौर सात से 21 जनवरी के बीच आयोजित किया गया था। दूसरा दौर 15 अप्रैल को शुरू हुआ था और 15 मई तक चलने वाला था।
देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।
देश–दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।