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प्रयागराज बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट हुआ सख्त, कहा- घर बना कर देने होंगे…

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट

उत्तर प्रदेश: प्रयागराज में कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना ही लोगों के घर गिराए जाने के मामले को संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है। बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन मामले में यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि- इस तरह की कार्यवाही चौंकाने वाली है और बहुत ही गलत उदाहरण पेश करती है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय ओका और एन कोटेश्वर सिंह के पीठ ने, प्रयागराज में लोगों के घरों को तोड़ने वाले मामले को न सिर्फ अत्याचारी कदम बताया बल्कि यह भी कहा कि सरकार को लोगों का मकान बनाकर वापस भी करना होगा।

प्रयागराज बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी:

दरअसल बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो विधवाओं और एक अन्य व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए बुलडोजर एक्शन के प्रति सख्ती पेश की। इनकी याचिका में सरकार पर गैर-कानूनी तरीके से घर गिरने का आरोप लगाया गया है। जबकि सरकार का कहना है कि यह जमीन गैंगस्टर अतीक अहमद से जुड़ी हुई है। कोर्ट ने कहा कि – ” प्रथम दृश्य इस तरह की कार्यवाही चौंकाने वाली और गलत उदाहरण पेश करने वाली है। इसे ठीक करने की जरूरत है। आप घरों को तोड़कर ऐसे एक्शन क्यों ले रहे हैं। हम जानते हैं कि इस तरह की तकनीकी तर्कों से कैसे निपटना है। आखिरकार अनुच्छेद 21 और आश्रय के अधिकार जैसी कोई चीज भी है।”

दरअसल इस मामले में पहले याचिकाकर्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो विधवाओं और एक अन्य व्यक्ति ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी। लेकिन हाइकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। फिर याचिका कर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली। याचिका कर्ताओं ने कहा कि उन्हें मार्च 2021 में शनिवार के दिन नोटिस मिला और रविवार को ही उनका मकान गिरा दिया गया। जबकि इस मामले में सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल आर वेंकटमणि ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि लोगों को नोटिस का जवाब देने का पर्याप्त टाइम दिया गया था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय ओका ने इस बात से असहमति दर्शाते हुए कहा कि – ” नोटिस इस तरह से क्यों चिपकाए गया? कोरियर से क्यों नहीं भेजा गया? कोई भी इस तरह से नोटिस भेज कर तोड़फोड़ करे, यह एक गलत उदाहरण है।”

अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से मांग की की इस मामले को हाईकोर्ट स्थानांतरित कर दिया जाए, लेकिन SC ने अटॉर्नी की इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि- “मामला अगर हाई कोर्ट गया, तो फिर से टाल दिया जाएगा।”

सुप्रीम कोर्ट ने दिया पुनर्निर्माण का आदेश:

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा कि गिराए गए मकान का पुनर्निर्माण करना होगा। अगर आप हलफनामा दाखिल करके इसका विरोध करना चाहते हैं, तो ठीक है अन्यथा कम शर्मनाक रास्ता यही है कि उन्हें निर्माण कार्य करने दिया जाए और फिर कानून के मुताबिक उन्हें नोटिस दी जाए।”

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