Site icon चेतना मंच

Ganesh Jayanti- इस गणेश जयंती बन रहा बेहद शुभ योग, गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

Ganesh Jayanti

गणेश जयंती पर बन रहा है खास योग (PC- न्यूज18)

Ganesh Jayanti- हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रतिवर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती का पर्व मनाया जाता है। माघी गणेश चतुर्थी को गणेश जयंती, माघ विनायक चतुर्थी या तिलकुंड चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। साल 2022 में गणेश जयंती का यह पर्व आज यानी 4 फरवरी, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। वैसे तो गणेश जयंती का यह पर्व धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है लेकिन इस बार इस पर्व पर बहुत ही खास योग भी बन रहे हैं जिससे इस दिन की धार्मिक मान्यता और भी बढ़ गई है।

दरअसल इस बार की गणेश जयंती (Ganesh Jayanti) के पर्व पर दो खास योग बन रहे हैं रवि योग एवं शिव योग। इस वर्ष यह पर्व दो खास शुभ योग के बीच मनाया जायेगा, जिससे यह धार्मिक दृष्टि से और भी अधिक खास हो गया है।

क्या है गणेश जयंती के मौके पर पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि-

इस वर्ष गणेश जयंती (Ganesh Jayanti) के मौके पर दो शुभ योग रवि योग एवं शिव योग बन रहा है। इन दो शुभ योगों के बीच गणेश जयंती का पर्व मनाया जाएगा। 4 फरवरी को सुबह से लेकर शाम को 7:10 तक शिव योग बन रहा है वही सुबह 7:08 से दोपहर 3:58 तक रवि योग बन रहा। इस शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा एवं अर्चना करने से शुभ लाभ की प्राप्ति होगी।

गणेश जयंती के मौके पर व्रत करने एवं गणेश जन्म कथा को सुनने से मनवांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

क्या है इस खास मौके पर पूजन विधि-

गणेश जयंती के मौके पर प्रातःकाल उठकर सर्वप्रथम गणेश जी को स्मरण कर दिन की शुरुआत करनी चाहिए। नित्य क्रिया को पूर्ण कर, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। यदि संभव हो तो आज के दिन पीला वस्त्र धारण करे। पूजा स्थल को भलीभांति स्वच्छ कर फूलों से सुसज्जित करना चाहिए। इसके बाद पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। पूजा को प्रारंभ करने के लिए सर्वप्रथम आज मन कर स्वयं को शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद सच्चे मन से व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

See Also-

Basant Panchami 2022 बसंत पंचमी 5 फरवरी को, कामना पूर्ति के लिए करें ये काम

किसी चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। गंगाजल से स्नान कराने के बाद गणेश जी को सिंदूर अर्पित करें और मंत्रोच्चार करते हुए धूप दीप जलाएं। इसके बाद फूल व दुर्वा अर्पित करें। तत्पश्चात फल एवं मोदक से भोग लगाएं।

इसके पश्चात गणेश जी की जन्म कथा श्रवण करें एवं चालीसा पाठ करने के उपरांत गणेश जी की आरती करें। पूजा के संपन्न होने के बाद प्रसाद को ब्राह्मणों एवं गरीबों में वितरित करें। दिन भर विधि विधान से व्रत रखें।

सायं काल के समय दोबारा स्नान करने के बाद गणेश जी की पूजा अर्चना करें। तत्पश्चात फलहार ग्रहण करें। अगले दिन पूजा करने के बाद, व्रत खोले।

इस प्रकार विधि विधान से व्रत व पूजा करने से गणेश जी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और विघ्न को हरते हैं।

Exit mobile version