जगदीप धनखड़ का साइलेंट एग्जिट, आखिर क्या चल रहा है सियासत में?

कांग्रेस है असमंजस में
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बताया कि उन्होंने सोमवार शाम करीब 7:30 बजे धनखड़ से फोन पर बात की थी। उस समय उपराष्ट्रपति अपने परिवार के साथ थे और उन्होंने कहा कि वे अगले दिन बात करेंगे। इससे कुछ घंटे पहले ही प्रमोद तिवारी, अखिलेश प्रसाद सिंह और खुद जयराम रमेश, धनखड़ से मुलाकात कर चुके थे। अखिलेश प्रसाद सिंह ने दावा किया कि वे धनखड़ से मिलने वाले आखिरी व्यक्ति थे और शाम 6 बजे के करीब वहां से निकले थे। उनके अनुसार, उपराष्ट्रपति पूरी तरह स्वस्थ दिख रहे थे और उन्होंने इस्तीफे का कोई संकेत नहीं दिया। बल्कि, उन्होंने यह भी बताया था कि उन्हें एक समिति में शामिल किया जा रहा है, जिसकी जानकारी बाद में दी जाएगी।राजनाथ सिंह के कार्यालय में हलचल
सबसे चौंकाने वाली जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय से आई। सूत्रों के अनुसार, सोमवार शाम वहां काफी हलचल रही। बीजेपी के सांसद एक-एक कर राजनाथ के दफ्तर में जाते दिखे बिना कोई बयान दिए चुपचाप अंदर जाते और वापस लौट जाते। एक बीजेपी सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवा लिए गए।" यह बयान खुद में बहुत कुछ कहता है और इन घटनाओं के बीच किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर इशारा करता है।महाभियोग प्रस्ताव के बाद इस्तीफा
सोमवार शाम करीब 4:07 बजे, धनखड़ ने राज्यसभा में बताया कि उन्हें 63 विपक्षी सांसदों से महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस मिला है। उन्होंने इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से यह पुष्टि भी कराई कि लोकसभा में भी नोटिस दिया गया है। इसके बाद उन्होंने एक संयुक्त समिति के गठन और आगे की संवैधानिक प्रक्रिया का जिक्र किया। ध्यान देने वाली बात यह है कि अपने अंतिम संबोधन में भी उन्होंने न तो अपने स्वास्थ्य का जिक्र किया और न ही इस्तीफे का कोई संकेत दिया। इससे उनके अचानक इस्तीफे पर सवाल उठना स्वाभाविक है।कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक अब किस राह पर?
धनखड़ का इस्तीफा ऐसे वक्त में आया है जब विपक्षी दल न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच की रेखा को लेकर काफी मुखर हैं। राज्यसभा में धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था, जिसे उपसभापति ने खारिज कर दिया था। अब इंडिया ब्लॉक के नेता मंगलवार सुबह 10 बजे होने वाली बैठक में इन घटनाओं की समीक्षा करेंगे। कांग्रेस असमंजस में है, क्योंकि धनखड़ के इस्तीफे से महाभियोग प्रस्ताव की दिशा और प्रभाव दोनों पर असर पड़ सकता है।अगली खबर पढ़ें
कांग्रेस है असमंजस में
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बताया कि उन्होंने सोमवार शाम करीब 7:30 बजे धनखड़ से फोन पर बात की थी। उस समय उपराष्ट्रपति अपने परिवार के साथ थे और उन्होंने कहा कि वे अगले दिन बात करेंगे। इससे कुछ घंटे पहले ही प्रमोद तिवारी, अखिलेश प्रसाद सिंह और खुद जयराम रमेश, धनखड़ से मुलाकात कर चुके थे। अखिलेश प्रसाद सिंह ने दावा किया कि वे धनखड़ से मिलने वाले आखिरी व्यक्ति थे और शाम 6 बजे के करीब वहां से निकले थे। उनके अनुसार, उपराष्ट्रपति पूरी तरह स्वस्थ दिख रहे थे और उन्होंने इस्तीफे का कोई संकेत नहीं दिया। बल्कि, उन्होंने यह भी बताया था कि उन्हें एक समिति में शामिल किया जा रहा है, जिसकी जानकारी बाद में दी जाएगी।राजनाथ सिंह के कार्यालय में हलचल
सबसे चौंकाने वाली जानकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के कार्यालय से आई। सूत्रों के अनुसार, सोमवार शाम वहां काफी हलचल रही। बीजेपी के सांसद एक-एक कर राजनाथ के दफ्तर में जाते दिखे बिना कोई बयान दिए चुपचाप अंदर जाते और वापस लौट जाते। एक बीजेपी सांसद ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हमसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवा लिए गए।" यह बयान खुद में बहुत कुछ कहता है और इन घटनाओं के बीच किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की ओर इशारा करता है।महाभियोग प्रस्ताव के बाद इस्तीफा
सोमवार शाम करीब 4:07 बजे, धनखड़ ने राज्यसभा में बताया कि उन्हें 63 विपक्षी सांसदों से महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस मिला है। उन्होंने इसके बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल से यह पुष्टि भी कराई कि लोकसभा में भी नोटिस दिया गया है। इसके बाद उन्होंने एक संयुक्त समिति के गठन और आगे की संवैधानिक प्रक्रिया का जिक्र किया। ध्यान देने वाली बात यह है कि अपने अंतिम संबोधन में भी उन्होंने न तो अपने स्वास्थ्य का जिक्र किया और न ही इस्तीफे का कोई संकेत दिया। इससे उनके अचानक इस्तीफे पर सवाल उठना स्वाभाविक है।कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक अब किस राह पर?
धनखड़ का इस्तीफा ऐसे वक्त में आया है जब विपक्षी दल न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच की रेखा को लेकर काफी मुखर हैं। राज्यसभा में धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था, जिसे उपसभापति ने खारिज कर दिया था। अब इंडिया ब्लॉक के नेता मंगलवार सुबह 10 बजे होने वाली बैठक में इन घटनाओं की समीक्षा करेंगे। कांग्रेस असमंजस में है, क्योंकि धनखड़ के इस्तीफे से महाभियोग प्रस्ताव की दिशा और प्रभाव दोनों पर असर पड़ सकता है।संबंधित खबरें
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