Bheed movie review : कोरोना जैसी महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन ने पूरे देश की जड़ों को हिला कर रख दिया था और इस दौरान घटित हुई कई छोटी एवं बड़ी घटनायें आज भी लोगों के जेहन में ताज़ा हैं। ऐसी ही कई सारी कहानियों को एक फ़िल्म (Bheed movie review) के जरिये पर्दे पर दिखाने का काम किया है निर्देशक अनुभव सिन्हा ने। ब्लैक एंड व्हाइट फॉर्मेट में बनी इस फ़िल्म (Bheed ) की कहानी लॉकडाउन के समय सामने उभर कर आयी सामाजिक असमानताओं को दर्शाती है।
Bheed movie review
चौकीदार, एक माँ -बेटी और तब्लीगी जमात की कहानी आदि को एक सूत्र में पिरोते हुए फ़िल्म के जरिये समाज में फैले जातिवाद के तंत्र को दर्शाया गया है। किन्तु इस तरह के जातिगत सामाजिक मुद्दों को पहले भी अन्य फ़िल्में दिखा चुकी हैं तो इस फ़िल्म में आप नया क्या देख सकते हैं?
वैसे तो एक समय के बाद फ़िल्म में दोहराव का अनुभव होने लगता है लेकिन कोरोना के समय घटित हुई कई कहानियाँ फ़िल्म के नयेपन को बरकरार रखने की पूरी कोशिश करती हैं। ऐसी कहानियां जिन तक न तो पत्रकार पहुँच सके और न ही मदद करने के लिए कोई शख्स…
ब्लैक एंड व्हाइट में दिखी जीवन की कई रंगीन कहानियां
वैसे तो पूरी फ़िल्म ब्लैक एंड व्हाइट फॉर्मेट में लोगों को दर्शायी गयी है और इसके पीछे का कारण निर्देशक के द्वारा यह बताया गया कि यह फ़िल्म (Bheed movie review) कोरोनाकाल में हुए जातिगत बंटवारे को दिखाती है इसलिए फ़िल्म को रंगीन पर्दे पर नहीं दिखाया गया है। लेकिन फ़िल्म की कहानी में कई ऐसे मोड़ आते हैं जब जाति और धर्म से ऊपर उठ कर लोग एक दूसरे की मदद करते हैं। यह मानवता का भाव इस ब्लैक एंड व्हाइट फ़िल्म में कई रंगीन भावों को जोड़ देता है।
सशक्त अभिनय का श्रेष्ठ उदाहरण है Bheed
फ़िल्म के लिए जिन किरदारों को चुना गया है अक्सर उन्हें उनकी श्रेष्ठ एक्टिंग स्किल के कारण जाना जाता है। राजकुमार राव , भूमि पेडनेकर , पंकज कपूर , दीया मिर्जा , आशुतोष राणा , वीरेंद्र सक्सेना , आदित्य श्रीवास्तव और कृतिका कामरा आदि अपने किरदारों में पूरी तरह से डूबे हुए नज़र आते हैं। जो इस फ़िल्म को एक बार देखने योग्य बनाते हैं।