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Bollywood : अपने अस्तित्व को कायम रखने के लिए संघर्ष करता बॉलीवुड।

Bollywood : Bollywood struggling to maintain its existence.

Bollywood : Bollywood struggling to maintain its existence.

Bollywood :  बॉलीवुड अपनी फिल्मों की वजह से दुनिया भर में जाना जाता है। लोग भारतीय फिल्में देखने को लालायित रहते हैं और यहां की संस्कृति के प्रति आकर्षित होते हैं उनमें चाहे फिल्में हों, टीवी सीरियल हो या गाने हों। भारतीय संस्कृति लोगों के मन में विकसित हुई। फिल्मों के माध्यम से भारतीय संस्कृति, रीति रिवाज, भाषा, पहनावा, त्यौहार, जगत प्रसिद्ध हुए हैं। भारत समेत दुनियाभर को एक से बढ़कर एक फिल्म और कार्यक्रम देने वाला बॉलीवुड आज हाशिए पर है। संभलने की कोशिश कर रहा है और अपने अस्तित्व को फिर से प्राप्त करने की कोशिश करता हुआ संघर्ष से जूझ रहा है।

Bollywood :

 

एक दौर था जब भारत में विश्व की सबसे अधिक पिक्चरों का निर्माण हुआ करता था पिक्चरें निर्माण के दौरान ही फेमस हो जाया करती थी रिलीज होने के बाद पिक्चर गोल्डन जुबली और सिल्वर जुबली हुआ करती थी। वह दौर भारतीय सिनेमा का स्वर्ण युग था। हर महीने औसतन 80 से 100 फिल्मों का मुहूर्त हुआ करता था इसमें से इसमें ज्यादातर फिल्में तो बन ही नहीं पाती थी पर फिर भी 15 से 20 पिक्चरें बनकर तैयार हो जाती थी इसमें फिल्मों को तैयार करने में इतने दिन से 5 और 6 साल तक भी लगा करते थे लेकिन पिक्चर रिलीज होती थी तो उसमें काम करने वाले सारे आर्टिस्ट हिट हो जाया करते थे। बड़े-बड़े प्रोड्यूसर अपनी फिल्म को हिट कराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया करते थे कभी कभी तो उन लोगों को अपने बंगले तक गिरवी रखने पड़े, लेकिन फिल्में हिट होते ही सब खर्च पूरा हो जाए करता था।

क्यों डूब रहा है बॉलीवुड
लेकिन आज के समय में बॉलीवुड की बुरी दशा है बॉलीवुड की बुरी दशा का कारण पहले पायरेसी और सीडीयां बनी जिनको लोगों ने घरों में ही, सीडी प्लेयर पर पिक्चरें देखनी शुरू की। समय का चक्र घूमा और सभी के हाथों में मोबाइल फोन आया। मोबाइल फोन में सभी ने मेमोरी कार्ड को रखना शुरू किया यह दौर ऐसा था कि लोगों ने घर में टीवी देखना कम कर दिया और मोबाइल पर ही वीडियो फिल्म या गाने देख कर अपना मनोरंजन करने लगे। सिनेमा हॉल में भी लोग बहुत कम जाने लगे।

इंटरनेट युग
समय और बदलाव और इंटरनेट के युग की शुरूआत हुई। आज इंटरनेट का युग है, इस युग में इंटरनेट के माध्यम से लोग तमाम तरह के मनपसंद कार्यक्रम अपने मोबाइल पर ही देखने लगे। कोई भी चीज हो गूगल पर सीधे सर्च कर लेते हैं और क्लिक करते ही उसका उत्तर प्राप्त हो जाता है कोई वीडियो देखना हो या कोई गाना सुनना या देखना हो। या इस से इतर किसी भी प्रकार की जानकारी उनको चाहिए तो इंटरनेट के माध्यम से उनके मोबाइल पर उपलब्ध हो जाती है।

मोबाइल में सुविधा
आज प्रत्येक व्यक्ति की जेब में मोबाइल है जिसमें दो दो तीन तीन कैमरे हैं और हर व्यक्ति स्वयं को ऐसा दिखना चाहता है जैसे वह और उनका पिक्चराइजेशन भी उचित स्तर का है जैसा वह स्क्रीन पर हीरो को देखा करता है तो हर व्यक्ति अपनी स्वयं की वीडियो बनाकर इंटरनेट पर शेयर करता है और वाहवाही लूटता है लोग फ्रेंड फॉलोविंग्स बना रहे हैं। इससे उनकी कमाई भी होती है और मनोरंजन भी होता है। लोग आज स्वयं भी बॉलीवुड की सेलिब्रिटी जैसी जिंदगी जीने का अनुभव करते हैं।

इन कारणों से फिल्मों का क्रेज कम हुआ
इस प्रकार धीरे-धीरे फिल्म युग बदलने से और नई नई टेक्निक आने से फिल्मों का क्रेज लोगों के दिमाग में कम होता चला गया जिसकी वजह से लोगों ने सिनेमा का रुख त्याग कर अपने आपको फिल्मों के जैसी सेलिब्रिटी बनाने की राह पकड़ ली।

फिल्म उद्योग को भारी नुकसान
इंटरनेट की लहर से फिल्म उद्योग को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि लोग पिक्चर हॉल के बजाए उनको फोन में ही देख लेते हैं इसीलिए बहुत अधिक लोग पिक्चरें बनाने का रिस्क नहीं ले रहें हैं लेकिन जो कुछ लोग पिक्चरें बना भी रहे हैं उनको भी सिनेमा हॉल में लोगों की भीड़ कमी देखने जाती है। इतनी संख्या में पिक्चरें नहीं बनती हैं जितनी संख्या में पिक्चरें पहले बना करती थी और लोग उनको बड़े चाव से देखा करते थे।

बाहर के प्रोड्यूसर नहीं लगा रहे हैं पैसा
पैसे की रिकवरी ना होने की वजह से बाहर के निर्माता फिल्म जगत में पैसा नहीं लगा रहे हैं बल्कि जो निर्माता बॉलीवुड में पैसा लगा भी रहे थे उन्होंने भी अपने धंधे बदल दिए हैं छोटे निर्माताओं के लिए फिल्म बनाना मुनाफे का नहीं बल्कि घाटे का सौदा होने लगा है।

हर राज्य में अलग फिल्म इंडस्ट्री खुलने से भी पड़ा है गहरा असर
आज प्रत्येक राज्य में एक अलग फिल्म इंडस्ट्री है जहां वह अपनी भाषा में पिक्चरें बनाते हैं या टीवी कार्यक्रम बनाते हैं। इसी वजह से कलाकारों ने बॉलीवुड का रुख करना कम कर दिया है। जो लोग मुंबई नहीं जा पाते या किसी कारण अभाव वश यहीं रह जाते हैं उनके लिए यह एक अच्छा ऑप्शन है।

कलाकारों के लिए सरवाइव करना होता है मुश्किल
महंगाई के इस दौर में जब लोगों के पास रोजगार नहीं है और मुंबई में भी इस उद्योग में रोजगार कम ही बचा है, तो लोग मुंबई की तरफ जाने की नहीं सोचते हैं बल्कि अपने क्षेत्र में ही इस तरह के काम धंधों को आजमाने की कोशिश की जाती है। जिससे लोग अपने क्षेत्र में ही नाम और शोहरत कमा रहे हैं।

मुंबई के कलाकार भी हो रहे हैं बेकार
रोजगार को देखते हुए जब फिल्म निर्माण का काम अत्यधिक कम हो गया है तो मुंबई के (बड़े और नामी कलाकारों को छोड़कर) कलाकार भी इधर-उधर के कामों को करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। बड़े और फिल्मी कलाकार भी अब टीवी अर्थात छोटे पर्दे का रुख कर रहे हैं। टीवी सीरियल और रियलिटी शो में दिखाई देने लगे हैं।

परिवारवाद ने भी पहुंचाया है नुकसान
मुंबई में दिग्गज कलाकारों के बच्चों के पदार्पण ने भी इस फील्ड में अनुभवी कलाकारों और टैलेंट को दबा दिया है। बड़े और नामी कलाकार अपने बच्चों को भी इसी फिल्म में लाना चाहते हैं और लेकर आ भी रहे हैं। जिस कारण जो नए लोग और नया टैलेंट बॉलीवुड में आना चाहता है वह सामने नहीं आ पाता। बहुत सारे लोगों का टैलेंट कदर ना होने की वजह से दब जाता है। और लोग मायूस होकर वहां से वापस लौट जाने को मजबूर हो जाते हैं।

सोशल मीडिया के माध्यम से टैलेंट की कदर
इंटरनेट के युग में सबको एक दूसरे से जोड़ दिया। लोग अपने क्षेत्र में ही उच्च कार्य करते हैं और उसको मुंबई के दिग्गज कलाकारों तक भेज देते हैं इसमें लेखन हो या गायन। बल्कि मुंबई ही नहीं देश दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोग सोशल मीडिया के माध्यम से अपने टैलेंट को पहुंचा रहे हैं सोशल मीडिया पर कर रहे हैं लोग अपने हुनर और टैलेंट का प्रदर्शन।

फिल्म निर्माण के क्षेत्र में अन्य फिल्म इंडस्ट्री कर रही हैं बेहतर फिल्म निर्माण।
फिल्म निर्माण के क्षेत्र में बॉलीवुड से भी बेहतर कार्य अन्य फिल्म इंडस्ट्री कर रही है। जैसे साऊथ और पंजाब। इन क्षेत्र की फिल्मों में टैलेंट की कदर है और लोग इनके निर्माण को काफी सराहाते हैं पंजाब की लैंग्वेज और पंजाबी गाने भारत सहित दुनिया भर में पॉपुलर होते हैं वही साउथ की फिल्में नई कहानी और नई पृष्ठभूमि पर आधारित होती हैं उनकी कहानियां बिल्कुल हटके होती हैं इसीलिए लोग उनको देखना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

शरद भूषण 

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