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तेल का खेल,स्थानीय मिलो के तेल पर अपने ब्रांड का ठप्पा लगा कर मुनाफा कूट रही कंपनिया

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Rajasthan News : जब भी हम किसी बड़े ब्रांड की कंपनी का तेल खरीदते हैं तो हम यही मानते हैं कि यह तेल कंपनी अपनी ही मिल या अपनी ही फैक्ट्री में खुद ही तैयार करती होगी और उसकी शुद्धता का पूरा ख्याल रखा जाता होगा, क्योंकि इन कंपनियों के प्रचार में इसी तरह के बड़े-बड़े वादे दिखाए जाते हैं जिसमें शुद्धता के मानक पूरे करने का दावा किया जाता है।  लेकिन क्या आप जानते हैं कि इनमें से अधिकांश बड़ी कंपनियां अपने ग्राहकों से झूठ बोल रही होती हैं दरअसल यह बड़ी-बड़ी कंपनियां राजस्थान जैसे राज्यों के स्थानीय मिलो का तेल लेकर केवल अपनी कंपनी का ब्रांड और ठप्पा लगाकर उसे पैकेजिंग करके और मार्केटिंग करके बाजार में बेचती है जिसमें यह कंपनियां तो मोटा मुनाफा कमाती है लेकिन जो स्थानीय तेल मिले हैं या तेल व्यापारी हैं उनका मुनाफा भी मारा जाता है और साथ ही उनके ब्रांड की पहचान भी नहीं बन पाती।

बिना मिल लगाए ही ब्रांडेंड कंपनियां बना रही खाने का तेल 

राजस्थान में मूंगफली तेल इकाइयों और थर्ड पार्टी तेल कंपनियों के बीच चल रही जंग में शुद्धता को ताक पर रखकर केवल ब्रांडिंग और मार्केटिंग के दम पर थर्ड पार्टी तेल कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं । आज स्थानीय तेल मिलें अपने ब्रांड की पहचान खो चुकी हैं और थर्ड पार्टी कंपनियों की मैन्युफैक्चरर और सप्लायर बनकर रह गई हैं। जबकि तेल की शुद्धता की जिम्मेदारी तेल मिल मालिकों की ही होती है, अगर कोई फूड सेफ्टी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है, तो मिल मालिक जिम्मेदार होता है।ऐसे में थर्ड पार्टी कंपनियों को कोई नुकसान नहीं होता, इतना ही नहीं शुद्धता से लेकर कोई भी कानूनी कारवाई की जिम्मेदारी तेल मिल मालिकों की ही होती है।

तेल की शुद्धता की जिम्मेदारी कंपनी की नहीं, मिल मालिकों की 

राजस्थान में  350 से ज्यादा मूंगफली तेल की यूनिट हैं, जिनसे नामी कंपनिया अपने ब्रांड्स के लिए तेल बनवाती हैं। ऐसे कई  थर्ड पार्टी ब्रांड हैं, जो स्थानीय तेल मिलों से तेल लेकर अपना ठप्पा लगाकर माल बेच रहे हैं।

एग्रीमेंट करके मिल पर थोप दी जाती है ज़िम्मेदारी 

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दरअसल थर्ड पार्टी कंपनियां पैकिंग पर केवल अपनी फर्म के आगे ‘मार्केटिंग बाय’ ही लिखती हैं। वहीं जिस तेल मिल से ये माल बनवा रही हैं, उस फर्म का नाम ‘मैन्युफैक्चर्ड बाय’ के सेक्शन में लिखती है। एग्रीमेंट में भी शुद्धता से लेकर कोई भी मिलावटी कार्रवाई तक की जिम्मेदारी मिल मालिकों की होती है। इन ब्रांडेड कंपनियों का मूंगफली का तेल निर्माण इकाइयों के तेल की तुलना में 200 से 300 रुपए प्रति टिन महंगा होता है।

मार्केटिंग के अभाव में असली तेल मिल मालिक खो रहे पहचान

राजस्थान के बीकानेर स्थित अमृत उद्योग के चेयरमैन प्रकाश नौलखा ने बताया कि हमने 12 साल तक एक थर्ड पार्टी एग्रीमेंट के तहत सोना सिक्का ब्रांड को मूंगफली तेल सप्लाई किया, लेकिन अचानक डेढ़ साल पहले इस कंपनी ने हमसे माल लेना बंद कर दिया। आज अफसोस होता है कि इस दौरान हम अपने ब्रांड की मार्केटिंग करते, तो तस्वीर कुछ और होती। अब भविष्य में हम अपने ही ब्रांड को बढ़ावा देंगे और तेल मार्केटिंग कंपनियों के लिए तेल बनाने से बचेंगे।
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ग्राहक कौन सा तेल चुने

ज्यादा दाम देने से बचना चाहते हैं तो ग्राहक स्थानीय मिल का तेल भी ले सकते हैं । तेल मिल मालिकों को भी अपने ब्रांड को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे उत्पादन स्थानीय स्तर पर ही बेचा जा सके।

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