Sunday, 1 December 2024

Agricultural Tips : खेती और किसान: स्टिकी ट्रैप कीटनाशकों का बेहतर विकल्प

Agricultural Tips : खेती और किसान: स्टिकी ट्रैप कीटनाशकों का बेहतर विकल्प यह दरअसल पतली सी चिपचिपी शीट होती है।…

Agricultural Tips : खेती और किसान: स्टिकी ट्रैप कीटनाशकों का बेहतर विकल्प

Agricultural Tips : खेती और किसान: स्टिकी ट्रैप कीटनाशकों का बेहतर विकल्प
यह दरअसल पतली सी चिपचिपी शीट होती है। यह फसलों की रक्षा बिना किसी रसायन के इस्तेमाल से करती है और रसायन के मुकाबले सस्ती भी रहती है।

Agricultural Tips

फसलों को विभिन्न कीटों से बचाने के लिए किसान कई तरह के हानिकारक कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं। भारत में कीटनाशकों का सबसे ज्यादा प्रयोग ग्रामीण क्षेत्रों में किया जाता है। यदि कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाये, तो किसान की फसल बर्बाद हो जाती है। कीटनाशकों का प्रयोग करते समय हमें ध्यान रखना चाहिए कि ये फसलों के साथ हमारे स्वास्थ्य पर भी काफी बुरा प्रभाव डाल रहे हैं। इसके साथ ही कीटनाशकों के प्रयोग में लागत भी अधिक होती है। एक तरफ जहां हम जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात करते हैं वैसे में यदि समय रहते कीटनाशकों का प्रयोग कम नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में इसके काफी दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

कीटनाशकों के प्रभाव मानव शरीर पर बढ़ते जा रहे हैं। ऐसे में इनके दुष्प्रभाव को कम करने में स्टिकी ट्रैप का प्रयोग किसानों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकता है।

स्टिकी ट्रैप:

यह दरअसल पतली सी चिपचिपी शीट होती है। यह फसलों की रक्षा बिना किसी रसायन के इस्तेमाल से करती है और रसायन के मुकाबले सस्ती भी रहती है। स्टिकी ट्रैप शीट पर कीट आकर चिपक जाते हैं, जिसके बाद वह फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। स्टिकी ट्रैप कई तरह की रंगीन शीट होती हैं। ये पीले, नीले, काले, सफेद, कई रंगों में आती हैं, जो फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए खेतों में लगाई जाती हैं। इनसे फसलों की आक्रमणकारी कीटों से रक्षा हो जाती है। और खेत में किस प्रकार के कीटों का प्रकोप चल रहा है, इसका सर्वे भी हो जाता है।

इससे विभिन्न कीटों पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है। इससे फसलों के नुकसान में 40 से 50 प्रतिशत तक कमी आती है। कीटनाशकों की तुलना में इसमें काफी कम खर्च होता है। कीटनाशकों से फसलों एवं खेत की मृदा पर होने वाले नुकसान में कमी आती है। इसके साथ ही कीटनाशक के छिड़काव के लिए श्रमिकों पर होने वाली लागत में कमी आती है।

घर पर ऐसे बना सकते हैं स्टिकी ट्रैप:

यह बाजार में भी बनी बनाई आती है। और इन्हें घर पर भी बनाया जा सकता है। इसे टिन, प्लास्टिक और दफ्ती की शीट से बनाया जा सकता है। अमूमन यह चार रंगों की बनाई जाती है: पीली, नीली, सफेद और काली। इसे बनाने के लिए डेढ़ फीट लंबा और एक फीट चौड़ा कार्ड-बोर्ड, हार्ड-बोर्ड या इतने ही आकार का दिन का टुकड़ा लें। जिस पर सफेद ग्रीस की पतली सतह लगा दें। इसके अलावा एक बांस और एक डोरी की जरूरत होगी जिस पर इस स्टिकी ट्रैप को टांगा जाएगा। इसे बनाने के लिए बोर्ड को लटकाने लायक दो छेद बना लिये जाते हैं और उस पर ग्रीस की पतली परत चढ़ा देते हैं। एक एकड़ में लगाने के लिए करीब 10-15 स्टिकी ट्रैप लगाएं। इन ट्रैपों को पौधे से 50-75 सें.मी. की ऊंचाई पर लगाया जाता यह ऊंचाई कीटों के उड़ने के रास्ते में आती है। टिन, हार्ड बोर्ड और प्लास्टिक की शीट साफ करके बार-बार इस्तेमाल की जा सकती है, जबकि दफ्ती और गत्ते से बने ट्रैप एक-दो इस्तेमाल के बाद खराब हो जाते हैं। ट्रैप को साफ करने के लिए उसे गर्म पानी से साफ करना होता है और वापस फिर से ग्रीस लागकर खेत में टांग सकते हैं।

इसमें महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका:

वर्तमान में स्टिकी ट्रैप को लेकर किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। इसके प्रयोग से कीटनाशकों पर खर्च होने वाली राशि में कमी आएगी। इसके साथ ही कीटनाशकों से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, उससे भी बचा जा सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से किसानों के ‘बीच लगातार स्टिकी ट्रैप के लाभ को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जाता रहा है, मगर इसमें और गति लाने की आवश्यकता है। फिलहाल दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका के मिशन के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा इसका व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को स्टिकी ट्रैप के निर्माण के लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है, ताकि गांव के किसानों को काफी सुलभता से स्टिकी ट्रैप उपलब्ध हो सकें। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं द्वारा किसान उत्पादक समूह संकुल स्तरीय संघ तथा ग्राम संगठन के द्वारा भी किसानों को जागरूक किया जा रहा है।

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