Friendship : जब हम अपने जीवन की बात करते हैं तो सबसे अधिक ज़ोर रिश्तों पर देते हैं। ‘रिश्ता’ सिर्फ एक शब्द भर नहीं हमारे जीवन की व्याख्या है। रिश्तों से ही हमारा वजूद है। मां-बाप, भाई-बहन, दादा-दादी, चाचा-चाची आदि वे रिश्ते हैं जो किसी इंसान को विरासत के रूप में जन्म से ही मिलते हैं। हर किसी की अपनी जगह और अहमियत होती है। जीवन के हर मोड़ पर हर रिश्ता अपनी भूमिका निभाता है।
Friendship :
एक औरत एक बच्चे को जन्म देकर मां बनकर मां का रिश्ता निभाती है। किसी भी इंसान के विकास और लालन-पालन में मां की सबसे बड़ी भूमिका होती है। एक पिता अपने बच्चे और साथ-ही-साथ पूरे परिवार के लिए ढाल के रूप में खड़ा रहता है और इसी तरह भाई या बहन साथ साथ रहकर बड़े होते हैं एक दूसरे के जीवन को प्रभावित करते हैं। परिवार एक बच्चे के लिए शुरूआती पाठशाला होती है जहां उसे बुनियादी शिक्षा मिलती है। वह प्यार, गुस्से, अफसोस, भावुकता जैसे कई भाव परिवार ही से सीखता है। परिवार विभिन्न रिश्तों का एक गुलदस्ता है।
बात अगर आगे बढ़ाएं तो इन सभी रिश्तों के विपरीत एक रिश्ता और है और वो है दोस्ती का रिश्ता जिसका किसी के भी जीवन में एक अलग ही मुकाम है। हां, कह सकते हैं कि दोस्ती एक ऐसा रिश्ता जो हमें विरासत में नहीं मिलता, दोस्ती एक ऐसा रिश्ता हैं जो जीवन के किसी भी मोड़ पर एक तोहफे के रूप में हमें मिल जाता है। दोस्ती कभी-भी, कहीं-भी या किसी से भी हो जाती है। दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो अनायास ही बन जाता है, स्कूल, कॉलेज, या गली मोहल्ले या कहीं भी दोस्ती हो जाती है और हमारे जीवन को एक नया आयाम देती है।
हम अपने परिवार के बिना अधूरे हैं लेकिन ये भी सच है कि दोस्त के बिना पूरे भी नहीं, एक दोस्त ही है जिसे हम अपने मन की हर वो बात साझा करते हैं जो शायद खुदसे भी ना कहते हों, हां परिवार में माता पिता हमें सब देते हैं लेकिन कहीं न कहीं हमें एक दोस्त की ज़रूरत हमेशा रहती है। एक सच्चा दोस्त हमें गलतियां करने से रोकता है, एक सच्चा दोस्त हर मोड़ पर हमारी मदद करता है, एक सच्चा दोस्त हमें आगे बढऩे के लिए प्रेरित करता है। कोई दोस्त अगर मौज-मस्ती में हमारे साथ होता है तो दुख के क्षणों में भी हमारा साथ नहीं छोड़ता। यही है दोस्ती का रिश्ता जो किसी और रिश्ते से कमतर नहीं।
हां आज के समय में दोस्ती या अन्य किसी भी रिश्ते के मायने बदल चुके हैं लोगों के फेसबुक, इन्स्टाग्राम या अन्य किसी भी सोशल मीडिया पर सैंकड़ों दोस्त हैं लेकिन वास्तविकता में वे बिलकुल अकेले हैं, आजकल की दोस्ती लाइक्स, कमेंन्ट्स और फॉलोअर्स पर सिमटकर रह गई है। लोग व्हट्सैप स्टेटस आदि पर बर्थडे, फ्रैंन्डशिप डे आदि विश करते हैं और अगले ही दिन कोई नया स्टेटस उनके मन की बात ज़ाहिर कर रहा होता है। लोगों के लिए कोई भी रिश्ता निभाना मात्र स्टेटस लगाना और रील्स बनाना हो गया है और कुछ नहीं, उनकी दुनिया घर की सीलन में मोबाइल की स्क्रीन रह गई है। लोगों में प्यार और अपनत्व के भाव खत्म होते जा रहे हैं अन्य रिश्ते तो शायद मजबूरी में निभाने पड़ते हों लेकिन दोस्ती का रिश्ता पार्टीज़, नाइटआउट्स और मनाली टूअर बन गया है, इस रिश्ते में गहराई कोसों दूर तक नहीं।
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उपरोक्त बातों का तात्पर्य यह कतई नहीं कि सच्ची दोस्ती आज के समय में विलुप्त हो चुकी है लेकिन ये वो प्रजाति है जो दुर्लभ है। इसे बचाने का प्रयास सिर्फ दोस्ती निभाना मात्र है। लोगों को यह समझना होगा कि दोस्ती क्या है़। यह कितनी खूबसूरत है। यह अंधेरी गुफा में प्रकाशमय मार्ग के समान है जो कभी हमें राह से भटकने नहीं देगा। दोस्ती एक ऐसा अहसास है जो हमें कभी अकेलेपन का अहसास ना होने दे। सच्चा दोस्त हर परिस्थिति में हमारे साथ रहता है, हमें मुश्किलों से बचाता है या बचाने का प्रयास करता है। अत: मात्र यह समझने की आवश्यकता है कि दोस्ती रील्स या स्टेटस से कहीं बढक़र है। यह औपचारिकता नहीं आवश्यकता है।अपने जीवन की बात करते हैं तो सबसे अधिक ज़ोर रिश्तों पर देते हैं। ‘रिश्ता’ सिर्फ एक शब्द भर नहीं हमारे जीवन की व्याख्या है। रिश्तों से ही हमारा वजूद है। मां-बाप, भाई-बहन, दादा-दादी, चाचा-चाची आदि वे रिश्ते हैं जो किसी इंसान को विरासत के रूप में जन्म से ही मिलते हैं। हर किसी की अपनी जगह और अहमियत होती है। जीवन के हर मोड़ पर हर रिश्ता अपनी भूमिका निभाता है।
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लेखक : आकाश