Wednesday, 24 April 2024

SPECIAL STORY: तेरी खांसी खांसी, मेरी खांसी टीबी

-अंजना भागी SPECIAL STORY: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीबी मुक्त भारत का अभियान 2018 में शुरू किया था। इसका लक्ष्य…

SPECIAL STORY: तेरी खांसी खांसी, मेरी खांसी टीबी

-अंजना भागी

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SPECIAL STORY: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीबी मुक्त भारत का अभियान 2018 में शुरू किया था। इसका लक्ष्य 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करना है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अनुसार भी जन भागीदारी ही इसका समाधान कर पाएगी।

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जन भागीदारी ? बस ये ही बात शायद सबके दिमाग में नहीं घुसती। ये जनभागीदारी समझाई भी कैसे जाये। यह भी एक समस्या है। वो भी ऐसे में जब कोई व्यक्ति खुद को अत्यधिक समझदार समझे।
मैं ‘भारत जोड़ो यात्रा’ देखने को पंजाब जा रही थी। इसलिए पंजाब रोडवेज की बस में सुबह 6 बजे जाकर बैठी। एक अच्छी सेहत की महिला मेरे से आगे की सीट पर बैठी थी, अपने बेटे के साथ। बस लगभग पूरी भरी हुई थी जैसे ही चलने को हुई एक और महिला भागते-भागते आई और मेरे से आगे वाली तीन वाली सीट पर आकर बैठ गई। या तो भागने से या सर्दी से उसके गले में कुछ खराश सी हुई। वह बैठते—बैठते ही कुछ खांसी। पढ़ी-लिखी लगती थी 2,3 बार बोली सॉरी। बाल उसके कटे हुए थे। फिर सब कुछ नॉर्मल। बस चल पड़ी लेकिन 10 मिनट बाद ही मेरे आगे की सीट पर अपने बेटे के साथ बैठी महिला ने खाँसना शुरू किया। बीच-बीच में खिडक़ी खोल बाहर थूक भी देती। खाँस कभी भी, कहीं भी, किसी भी दिशा में देती। ये देख पढ़ी-लिखी महिला ने दायें-बाएँ देखा। बस में अन्य कोई भी सीट खाली नहीं थी। तब वह धीरे से बोली कब से खांसी है, आपको ?
उसका पूछना था की-ऐसा लगा की बस में किसी ने बम का गोला ही दे मारा हो। कौन सी खांसी है? मुझे खांसी है। काली है नीली है या टी.बी। तुझे क्या? मेरी है। मैं जहां कहीं भी किसी के भी मुंह पर, पीठ पर या सर पर खाँसू। तू कौंण होई टोक्ण वाली जा के बुथा वेख। तेरी खांसी-खांसी ते मेरी खांसी टीबी। मैं और वो महिला बिलकुल हैरान। अंबाला तक वो माँ-बेटे पापड़ चिप्स जो भी बस में बिकने आया खरीदते खाते और किसी भी दिशा में खाँसते हुए ही गये।

टीबी तो बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है:

जो एक इंसान के खाँसने पर यदि वह अपने मुंह पर कोई कपड़ा इत्यादि नहीं रखता या मास्क नहीं पहने हुए हैं, खुले में खाँसता है तो दूसरे इंसान के मुंह से हवा में उड़ने वाले कणों के साथ उसकी साँसों द्वारा टी बी का बैक्टीरिया दूसरे व्यक्ति के फेफड़ों तक पहुंच जाता है। इसलिए सबसे कॉमन फेफड़ों की ही टीबी है। लेकिन कभी-कभी यह ब्रेन, यूट्रस, लिवर, किडनी आदि शरीर के हिस्से में भी हो जाती है। बैक्टिरिया शरीर के जिस हिस्से में भी जाता है। उसके उस हिस्से के टिशू को पूरी तरह से नष्ट कर देता है। इससे उस अंग का काम प्रभावित होता है।
वर्ष-2022 तक तो डब्ल्यूएचओ संगठन के मुताबिक दुनिया में सबसे ज्यादा टीबी के मरीज भारत में ही थे। अब हों भी कैसे न ? जब सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है लोग इस्तेमाल भी सार्वजनिक वाहनों का ही करते हैं। सब खांसेंगे भी अपनी ही मर्जी से। ऐसे में जब दिशाएँ चार हैं तो एक से चार तो टी बी के मरीज अपने आप ही होते जायेंगे।

पढ़ी-लिखी महिला परेशान हो गई:
चिढ के बोली पूरा मुहं खोल मेरे मुहं पर की खाँस देती हो। आगे तो वो कुछ बोल ही नहीं पाई पूरा मुहं खोल के खांसू, बंदकर खांसू या आधा मेरी मर्जी। तूने मेरी टिकिट ली है क्या ? अब अन्य यात्रियों ने भी उसको एक बस स्टॉप पर लगा वह बोर्ड दिखाया। जिस पर लिखा होता है कहीं यह खांसी टी.बी. तो नहीं? ये आपके फेफड़ों को प्रभावित करने के साथ-साथ आपके शरीर के दूसरे हिस्सों को भी प्रभावित कर सकती है। वो महिला पूरी ताकत से चिल्लाई चौप बड्डी आई पटयां वाली। और अपने बेटे का हाथ थाम आगे की सीट पर जाकर बैठ गई। खांसी फैलाने को।

बाकी भी शायद मेरी ही तरह सोच रहे होंगे। ये जन भागीदारी कैसी। टी बी फैलाने की या ठीक करने की। डब्लूएचओ ‘ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस रिपोर्ट -2020’  के अनुसार 2019 में दुनिया में टीबी के 26 प्रतिशत मामले भारत से ही आए थे। 2019 में 24 लाख से ज्यादा मरीज सामने आए थे जिसके अनुसार टीबी का हर चौथा मरीज ही भारत से ही है। देश में टीबी का ये हाल है और यदि कोई समझना चाहे तो भी पूरा बवाल है।
टीबी मुक्त अभियान के अंतर्गत रोगी को फ्री इलाज तथा 500 रुपये खुराक के लिए भी सरकार द्वारा दिया जाता है। दुनियाभर में हर दिन लगभग 5,200 लोग टीबी से मरते हैं और 30,000 के करीब बीमार पड़ जाते हैं। भारत में लगभग 1,400 लोग टीबी से मरते हैं। भारत हर साल लगभग 2-3 मिलियन  टीबी के लक्षण के मामलों के साथ आगे बढ़ रहा है, जो बहुत ही चिंता का विषय है। जबकि टीबी एक इलाज योग्य बीमारी है, जिसका यदि समय पर निदान किया जाये और उपचार शुरू किया जाये तो ये ठीक हो सकता है। 2024 तक तो टीबी का खात्मा करने वाला प्रभावी टीका भी आ सकता है।

जनभागीदारी के लिए सबसे उत्तम उपाय है फाइन और मास्क। यदि आप खाँस रहे हैं तो मास्क का इस्तेमाल करें । कुछ भी नहीं तो अपना बाजू मुह पर रख खाँसे। मुंह दूसरी ओर करके खाँसे, किसी को भी टोकना न पड़े आप स्वयं अपनी जन भागीदारी निभाएँ। देश को टी बी से बचाएं। नागरिकों की युद्ध स्तर पर जनभागीदारी की भावना से ही देश टीबी उन्मूलन की दिशा में आगे बढ़ेगा। सामूहिक रूप से काम करने से ही इस बीमारी पर जल्द विजय पा लक्ष्य 2025 भी  पूरा किया जा सकेगा।

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