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CBI News : भ्रष्टाचार के मामले में रोल्स-रॉयस और अफसरों के खिलाफ सीबीआई ने दर्ज की प्राथमिकी

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CBI registers FIR against Rolls-Royce and officials in corruption case

नयी दिल्ली। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए हॉक 115 अत्याधुनिक जेट प्रशिक्षण विमान की खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप में ब्रिटिश एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी रोल्स-रॉयस पीएलसी, इसके वरिष्ठ अधिकारियों और शस्त्र विक्रेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

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छह साल की जांच के बाद सीबीआई ने की कार्रवाई

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प्राथमिकी के अनुसार, सीबीआई ने मामले में छह साल की जांच पूरी होने के बाद भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के प्रावधानों के तहत रोल्स-रॉयस इंडिया के निदेशक टिम जोन्स, कथित हथियार आपूर्तिकर्ता सुधीर चौधरी और भानु चौधरी तथा ब्रिटिश एयरोस्पेस सिस्टम के खिलाफ मामला दर्ज किया है। उन्होंने बताया कि 2017 में एक ब्रिटिश अदालत ने भी समझौते को अंजाम देने के लिए कंपनी द्वारा कथित रूप से बिचौलिये को शामिल करने और कमीशन का भुगतान करने का जिक्र किया था। आरोप है कि 2003-12 के दौरान साजिश में शामिल इन आरोपियों ने 73.42 करोड़ ब्रिटिश पाउंड की लागत से 24 हॉक 115 एजेटी की खरीद के लिए अज्ञात लोक सेवकों के साथ मिलकर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया था। इसके अलावा, उन्होंने निर्माता लाइसेंस शुल्क के नाम पर 30.82 करोड़ अमेरीकी डॉलर और 75 लाख अमेरीकी डॉलर की अतिरिक्त राशि के लिए रोल्स रॉयस को आपूर्ति की गई सामग्री के बदले हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के 42 अतिरिक्त विमानों के ‘लाइसेंस निर्माण’ की अनुमति दी।

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रिश्वत, कमीशन और भ्रष्टाचार के आरोपों में दर्ज की एफआईआर

सीबीआई की प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि यह सौदा रोल्स रॉयस द्वारा बिचौलियों को दी गयी भारी भरकम रिश्वत, कमीशन और भ्रष्टाचार के एवज में किया गया था, जबकि समझौते से संबंधित दस्तावेज में बिचौलियों के भुगतान पर रोक की बात कही गई थी। सीबीआई जांच से पता चला है कि 2006-07 में आयकर विभाग द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के दौरान रोल्स रॉयस इंडिया कार्यालय से लेन-देन से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए थे, लेकिन आरोपी व्यक्तियों ने जांच से बचने के लिए दस्तावेजों को नष्ट कर दिया और हटा दिया। वर्ष 2012 में रोल्स रॉयस के संचालन में भ्रष्टाचार के आरोप संबंधी खबरें सामने आईं, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर धोखाधड़ी कार्यालय (एसएफओ), लंदन द्वारा एक जांच की गई। सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि मिग विमान की खरीद को लेकर रूस के साथ रक्षा सौदों के लिए सुधीर चौधरी से जुड़ी कंपनी पोर्ट्समाउथ के नाम पर रूसी शस्त्र कंपनियों द्वारा एक स्विस खाते में 10 करोड़ ब्रिटिश पाउंड का भुगतान किया गया था।

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