Finance Commission : 16वें वित्त आयोग के गठन की तैयारी में जुटी सरकार

Fc
The government is preparing for the formation of the 16th Finance Commission
locationभारत
userचेतना मंच
calendar09 Apr 2023 08:29 PM
bookmark
नई दिल्ली। सरकार केंद्र एवं राज्यों के बीच करों के बंटवारे के अनुपात पर सिफारिशों के लिए इस साल 16वें वित्त आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। एक अधिकारी ने बताया कि एक अप्रैल, 2026 से अगले पांच साल तक की अवधि में करों के बंटवारे से जुड़े प्रावधान तय करने के लिए 16वें वित्त आयोग का गठन करने की कवायद शुरू हो चुकी है। इस आयोग के सदस्यों एवं उसके क्रियाकलाप के प्रावधानों को तय करने का काम चल रहा है।

Finance Commission

Noida News : श्री हनुमान शोभायात्रा की ड्रोन से हुई निगरानी, एक हजार पुलिसकर्मी रहे तैनात

पांच साल के लिए होती हैं वित्त आयो​ग की सिफारिशें

वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जो केंद्र एवं राज्यों के वित्तीय संबंधों के बारे में अनुशंसा करती है। इसकी कर विभाजन संबंधी सिफारिशें पांच साल की अवधि के लिए लागू रहती हैं। पिछले वित्त आयोग ने नौ नवंबर, 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। उसकी सिफारिशें वित्त वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 तक की अवधि के लिए हैं।

Finance Commission

Political : भगवान राम के आशीर्वाद से ही मिला ‘धनुष-बाण’ : शिंदे

राजकोषीय घाटे को काबू में करने की सिफारिश

पूर्व नौकरशाह एनके सिंह की अध्यक्षता वाले 15वें वित्त आयोग ने कर अंतरण अनुपात को 42 प्रतिशत पर रखने की बात कही थी। केंद्र सरकार ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था और निर्धारित अवधि में वह राज्य सरकारों को अपने विभाज्य कर पूल से 42 प्रतिशत हिस्सा दे रही है। पिछले वित्त आयोग ने राजकोषीय घाटे को काबू में करने, केंद्र एवं राज्यों के कर्ज की स्थिति और अतिरिक्त उधारियों के बारे में सिफारिशें दी थीं। इसकी अनुशंसा के अनुरूप सरकार ने राजकोषीय घाटे को वर्ष 2025-26 तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा है।
अगली खबर पढ़ें

Top News : सोने की खान से कम नहीं 'नूरजहां', 'मल्लिका' को बचाने की कोशिश

Mango
'Noorjehan' no less than a goldmine, trying to save 'Mallika'
locationभारत
userचेतना मंच
calendar09 Apr 2023 07:22 PM
bookmark
इंदौर। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र का दुर्लभ नूरजहां आम इन दिनों अपनी बेनूरी पर आंसू बहा रहा है। अपने भारी-भरकम फलों के चलते मुंह मांगे दामों पर बिकने वाला नूरजहां आम इंदौर से करीब 250 किलोमीटर दूर कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में ही पाया जाता है। कट्ठीवाड़ा में नूरजहां आम का रकबा साल-दर-साल सिकुड़ता जा रहा है। आलम यह है कि क्षेत्र में इसके महज आठ फलदार पेड़ बचे हैं।

Top News

बड़ी खबर : तलाक लेंगे बाहुबली विधायक राजा भैया

4.5 किलो तक के होते थे आम

अलीराजपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के प्रमुख डॉ. आरके यादव ने बताया कि कट्ठीवाड़ा क्षेत्र के निजी बागों में नूरजहां आम के केवल आठ फलदार पेड़ बचे हैं। यह हमारे लिए निश्चित तौर पर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि कुछ दशक पहले नूरजहां आम का अधिकतम वजन 4.5 किलोग्राम तक हुआ करता था, जो अब घटकर 3.5 किलोग्राम के आसपास रह गया है। हम नूरजहां आम को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाना चाहते हैं। हमने कलम के जरिये इसके दो पेड़ लगाए हैं, जिन पर तीन-चार साल में फल आने की उम्मीद है। इसके बाद, हम और कलम तैयार कर पेड़ों का रकबा बढ़ाएंगे। उन्होंने बताया कि नूरजहां का फल आकार में बहुत बड़ा होता है, लेकिन आमों की अन्य किस्मों की तुलना में इसका स्वाद उतना अच्छा नहीं है।

अब साइज के साथ स्वाद बढ़ाने की कोशिश

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि हम अनुसंधान के जरिये नूरजहां की किस्म में सुधार कर इसका स्वाद भी बढ़ाना चाहते हैं। चूंकि, नूरजहां आम में काफी गूदा होता है, इसलिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में इसके इस्तेमाल की अच्छी संभावनाएं हैं। कट्ठीवाड़ा क्षेत्र की नम जलवायु और मुरम वाली मिट्टी नूरजहां आम की बागवानी के लिए बेहद मुफीद है। इस इलाके में पैदा होने वाले अन्य प्रजातियों के आमों का वजन भी देश के दूसरे हिस्सों में पैदा होने वाले आमों के मुकाबले ज्यादा रहता है। आमों के मौसम में कट्ठीवाड़ा क्षेत्र की मंडी में हर रोज अलग-अलग किस्म के 80 से 100 टन आम बिकने आते हैं।

Top News

Business : रेल, सड़क और पेट्रोलियम की कुल 607 परियोजनाएं लटकीं : रिपोर्ट

2000 में बिका 3.8 किलो का एक आम

बहरहाल, कट्ठीवाड़ा ‘नूरजहां’ की बागवानी के लिए खासतौर पर पहचाना जाता है। इसके पेड़ आम उत्पादकों के लिए सोने की खान साबित होते आए हैं। कट्ठीवाड़ा के अग्रणी आम उत्पादक शिवराज सिंह जाधव ने कहा कि पिछले साल बाग में नूरजहां के सबसे भारी फल का वजन 3.8 किलोग्राम था और इस एक फल को मैंने 2,000 रुपये में बेचा था। बरसों से आमों की बागवानी कर रहे इशाक मंसूरी बताते हैं कि नूरजहां आम की प्रजाति मौसमी उतार-चढ़ाव के प्रति बेहद संवेदनशील होती है। इस बार बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने हमारे बाग में नूरजहां की बौरों को तबाह कर दिया है। मंसूरी ने बताया कि नूरजहां के पेड़ों पर जनवरी से बौर आने शुरू होते हैं और इसके फल जून तक पककर तैयार हो जाते हैं। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
अगली खबर पढ़ें

Business : रेल, सड़क और पेट्रोलियम की कुल 607 परियोजनाएं लटकीं : रिपोर्ट

Rail
A total of 607 projects of rail, road and petroleum are pending: report
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 04:05 PM
bookmark
Business : नई दिल्ली। रेल, सड़क और पेट्रोलियम की कुल 607 परियोजनाएं लटकी पड़ी हैं। इनमें सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में सबसे अधिक 407 परियोजनाएं लंबित हैं। इसके बाद रेलवे की 114 और पेट्रोलियम क्षेत्र की 86 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। सरकार की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है।

Business

717 परियोजनाओं में 407 देरी

अवसंरचना क्षेत्र की परियोजनाओं पर फरवरी, 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र में 717 में से 407 परियोजनाओं में देरी हो रही है। रेलवे की 173 में से 114 परियोजनाएं अपने समय से पीछे चल रही हैं। वहीं, पेट्रोलियम क्षेत्र की 146 में से 86 परियोजनाएं अपने निर्धारित समय से पीछे चल रही हैं। अवसंरचना एवं परियोजना निगरानी प्रभाग (आईपीएमडी) 150 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है। आईपीएमडी, सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत आता है।

Political : बीएन चंद्रप्पा बने कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष

276 और 247 माह पीछे चल रहीं रेल परियोजनाएं

रिपोर्ट से पता चलता है कि मुनीराबाद-महबूबनगर रेल परियोजना सबसे अधिक देरी वाली परियोजना है। यह अपने निर्धारित समय से 276 महीने पीछे है। दूसरी सबसे देरी वाली परियोजना उधमपुर-श्रीनगर-बारापूला रेल परियोजना है। इसमें 247 माह का विलंब है। इसके अलावा बेलापुर-सीवुड शहरी विद्युतीकरण दोहरी लाइन परियोजना अपने निर्धारित समय से 228 महीने पीछे है।

Business

1000 करोड़ से अधिक की 38 परियोजनाएं पीछे

फरवरी, 2023 की रिपोर्ट में 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली केंद्रीय क्षेत्र की 1,418 परियोजनाओं का ब्योरा है। रिपोर्ट के अनुसार, 823 परियोजनाएं अपने मूल समय से पीछे हैं। वहीं 346 परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनकी लागत बढ़ चुकी है। 242 परियोजनाएं देरी से भी चल रही हैं और इनकी लागत भी बढ़ी है। कुल 823 परियोजनाएं अपनी मूल निर्धारित समय सीमा से पीछे हैं और 159 परियोजनाएं ऐसी हैं, जिनमें पिछले माह की तुलना में विलंब और बढ़ा है। इन 159 परियोजनाओं में से 38 बड़ी यानी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं हैं।

UP News : शिकायतों के निस्तारण में कानपुर 75वें नंबर पर, सबसे फिसड्‌डी

परियोजनाओं में विलंब से बढ़ रही लागत

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि 717 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,97,255.47 करोड़ रुपये थी, जिसके अब बढ़कर 4,14,400.44 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस तरह इन परियोजनाओं की लागत 4.3 प्रतिशत बढ़ी है। फरवरी, 2023 तक इन परियोजनाओं पर 2,33,007.06 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो मूल लागत का 56.2 प्रतिशत है। इसी तरह रेलवे क्षेत्र में 173 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,72,761.45 करोड़ रुपये थी, जिसे बाद में संशोधित कर 6,26,632.52 करोड़ रुपये कर दिया गया। इस तरह इनकी लागत में 68.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन परियोजनाओं पर फरवरी, 2023 तक 3,79,380.95 करोड़ रुपये या परियोजनाओं की अनुमानित लागत का 60.5 प्रतिशत खर्च किया जा चुका है। पेट्रोलियम क्षेत्र की 146 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 3,67,615.67 करोड़ रुपये थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3,85,117.08 करोड़ रुपये कर दिया गया। इन परियोजनाओं की लागत में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इन परियोजनाओं पर फरवरी, 2023 तक 1,44,162.3 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं, जो कुल लागत का 37.4 प्रतिशत बैठता है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।