इन्हें सबक सिखाने के लिए भारत, चीन और अमेरिका ने खोले इमरजेंसी ऑयल रिजर्व

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar24 Nov 2021 07:05 PM
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पेट्रोल, डीजल, एलपीजी (रसोई गैस) की लगातार बढ़ रही कीमतों के बीच सरकार ने भारत के इमरजेंसी पेट्रोलियम रिजर्व में से 50 लाख बैरल कच्चा तेल निकालने का फैसला किया है। सबको पता है कि भारत में 50 लाख बैरल तेल की खपत एक दिन में ही हो जाती है। सरकार के इस कदम से आखिर होगा क्या? क्या यह भी आगामी चुनावों के दबाव में लिया गया फैसला है?

इमरजेंसी पेट्रोलियम रिजर्व का मतलब सरकार ने यह फैसला क्यों लिया? इसका जवाब जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर, इमरजेंसी पेट्रोलियन रिजर्व क्या होता है? और इतनी महंगाई बढ़ने के बावजूद सरकार इसे रिलीज क्यों नहीं कर रही थी?

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1998 में भारत में स्ट्रैटजिक (इमरजेंसी) पेट्रोलियम रिजर्व बनाने का फैसला किया था। इसके तहत युद्ध, प्राकृतिक आपदा या अन्य किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने 3.8 करोड़ बैरल कच्चा तेल रिजर्व करके रखा हुआ है।

अगर किसी कारण से देश में कच्चे तेल का आयात बंद हो जाता है तो रिजर्व में रखे इस तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। सामान्य हालातों में इसे बाजार में नहीं लाया जा सकता।

भारत सहित पांच अन्य देशों ने भी खोले इमरजेंसी रिजर्व तो क्या भारत में कच्चे तेल का आयात बंद हो गया है? या कोई आपात स्थिति आने वाली है? दरअसल, अपने इमरजेंसी रिजर्व से तेल निकालने का फैसला भारत ने अकेले नहीं किया है। भारत के अलावा अमेरिका, चीन, जापान, यूके और दक्षिण कोरिया ने सामूहिक तौर पर अपने अपने रिजर्व में से तेल निकालने का फैसला किया है।

ये छह देश दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक देश हैं जो अपनी जरूरतों के लिए, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज प्लस (OPEC+) पर निर्भर हैं। ओपेक और ओपेक प्लस ऐसे देशों का समूह है जो कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक हैं।

एकजुटता के पीछे छुपा है एक गंभीर संदेश ओपेक और ओपेक प्लस देशों ने कच्चे तेल के दाम बढ़ा रखे हैं जिसके चलते भारत, अमेरिका, चीन और यूके जैसे देश महंगाई की मार झेल रहे हैं और इन देशों में मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है। कच्चे तेल की कीमतों को कम किए बिना महंगाई पर लगाम संभव नहीं है।

इन देशों ने ओपेक और ओपेक प्लस पर तेल की कीमतों को कम करने और तेल का उत्पादन बढ़ाने का दबाव बनाने के लिए इमरजेंसी रिजर्व को खोलने का फैसला किया है। इस कदम का मकसद यह संदेश देना है कि तेल आयातक देश एकजुट हैं और अगर उनकी मांग पर विचार नहीं किया गया तो नतीजे गंभीर हो सकते हैं।

आगामी दो दिसंबर को ओपेक देशों की बैठक होने वाली है जिसमें कच्चे तेल की सप्लाई और उसका उत्पादन बढ़ाने पर फैसला होना है। इस बैठक से पहले दबाव बनाने के लिए भारत सहित छह देशों ने इमरजेंसी पेट्रोलियम रिजर्व को खोलने का रणनीतिक फैसला किया है।

भारत ढाई महीने तक बिना आयात के कर सकता है गुजारा भारत सरकार के पास करीब 3.8 करोड़ बैरल तेल का इमरजेंसी पेट्रोलियम रिजर्व है। भारत की रोजाना पेट्रोलियम खपत लगभग 50 लाख बैरल है। इस हिसाब से सरकार के कुल रिजर्व को बाजार में लाने पर सात से आठ दिन के पेट्रोलियम की मांग ही पूरी का जा सकती है।

सरकार के अलावा पेट्रोलियम रिफाइनरियों के पास लगभग 64 दिनों के पेट्रोलियम का भंडारण है। अगर इन सब को मिला दिया जाए तो वर्तमान में भारत के पास 70 से 72 दिन का पेट्रोलियम रिजर्व है। यानी, पेट्रोलियम का आयात पूरी तरह से बंद होने पर भी देश में लगभग ढाई महीने तक पेट्रोलियम की कमी नहीं होगी।

भारत बना रहा तीन नए इमरजेंसी आयल रिजर्व अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा पेट्रोलियम आयातक देश है। भारत अपनी जरूरत का 84% हिस्सा आयात करता है जबकि, 16% का उत्पादन करता है। पेट्रोलियम आयात का 53% हिस्सा मध्य एशियाई देशों से आता है और ये सारे देश ओपेक या ओपेक प्लस के सदस्य हैं।

भारत ने आपात स्थिति से निपटने के लिए अपने इमरजेंसी ऑयल रिजर्व को बढ़ाने पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। सरकार ने तीन नए पेट्रोलियम रिजर्व बना रही है। इसमें से एक ओडिशा के चांदीखोले, दूसरा राजस्थान के बीकानेर और तीसरा गुजरात के राजकोट में बन रहा है। इनके बनने से भारत का इमरजेंसी आयल रिजर्व कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।

पहली बार हुआ ऐसा ऐसा पहली बार हो रहा है कि दुनिया के छह सबसे बड़े तेल आयातक देशों ने एकजुटता दिखाते हुए तेल का निर्यात करने वाले देशों पर दबाव बनाने का फैसला लिया है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि ऑयल रिजर्व से तेल निकालने के फैसले का दो दिसंबर को होने जा रही ओपेक देशों की मीटिंग पर क्या असर पड़ेगा। लेकिन, इन देशों की एकजुटता ने तेल निर्यातक देशों को यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि आपसी मतभेद के बावजूद तेल की कीमतों को कम करने के लिए वे एकजुट हैं और किसी भी हद तक जाने से परहेज नहीं करेंगे।

- संजीव श्रीवास्तव

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शेयर बाजार की बढ़त के साथ हुई शुरुआत, सेंसेक्स 58,664 अंक पर खुला

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 02:37 PM
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शेयर बाजार की बुधवार को शुरुआत के साथ हो चुकी है। सेंसेक्स 58,664 अंक के पिछले बंद स्‍तर से खुल गया है। कारोबार की शुरुआत 58,839 अंक से हो चुकी है। Bharti Airtel, Sun Pharma समेत 21 शेयरों में तेजी देखी को मिली है। Maruti के शेयर तक सबसे ज्‍यादा 0.81 फीसद नुकसान पर पहुंच चुके है। Nifty 50 इंडेक्‍स भी 17503 अंक के बंद के स्‍तर से ऊपर 17550 पर खुल गया है।

बिजली, दूरसंचार और फार्मा कंपनियों के शेयरों में लाभ से मंगलवार को सेंसेक्स एक दिन पहले की भारी गिरावट से उबर गया और 198 अंक की बढ़त के साथ बंद हो गया था। शुरुआती कारोबार में बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स करीब 700 अंक कम हो चुका है। लेकिन बाद में इसने अपने नुकसान की भरपाई की और अंत में यह 198.44 अंक या 0.34 प्रतिशत की बढ़त के साथ 58,664.33 अंक पर बंद हो गया था। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 86.80 अंक या 0.50 प्रतिशत के लाभ से 17,503.35 अंक पर पहुंच चुका है।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मंगलवार को धातु, सरकारी बैंक और फार्मा कंपनियों के शेयरों की अगुवाई में घरेलू शेयर बाजार गिरावट से उबर चुके थे। मिडकैप और स्मॉलकैप का प्रदर्शन मुख्य सूचकांकों से बेहतर हो गया था।

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शेयर बाजार की गिरावट के साथ हुई शुरुआत, सेंसक्स 57,983 अंक पर खुला

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 03:42 AM
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नई दिल्ली: शेयर बाजार में लगातार आज पांचवें दिन भी गिरावट देखने को मिल रही है। सेंसेक्स 482 पॉइंट्स गिरने के बाद 57,983 पर खुला गया था। हालांकि पहले ही मिनट में यह 744 अंक टूटने के बाद 57,718 का निचला स्तर पर पहुंच गया। फिलहाल 350 पॉइंट्स गिरने के बाद 58,115 पर कारोबार जारी है।

पेटीएम का शेयर आज पहली बार 5% बढ़त करने के बाद1,430 रुपए पर कारोबार करता नजर आ रहा है। कल यह 1,360 रुपए पर बंद हो गया था। इसका मार्केट कैप 92 हजार करोड़ रुपए पहुंच गया है।

सेंसेक्स के 30 शेयर्स में से 12 शेयर्स में बढ़त बन गई है। बढ़ने वाले प्रमुख शेयर्स में टाटा स्टील, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व, मारुति, स्टेट बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक शामिल हैं। गिरने वाले प्रमुख शेयर्स में रिलायंस का शेयर 1% से ज्यादा कम हो चुका है। यह 2,338 रुपए पर कारोबार हो रहा है।

इसके अलावा ICICI बैंक और इंफोसिस में करीबन 2-2% की गिरावट हो चुकी है। बजाज ऑटो और टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस (TCS) के भी शेयर नीचे कारोबार जारी है।

बीएसई BSE के मिड और स्माल कैप इंडेक्स बढ़त होने के बाद कारोबार जारी है। लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 261.30 लाख करोड़ रुपए हो गया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी आज 17,281 पर खुला गया था। इसने 17,360 का हाई बनाया जबकि 17,216 का निचला स्तर पर पहुंच गया। अभी यह 57 पॉइंट्स की गिरने के बाद 17,359 पर कारोबार जारी है।

इससे पहले कल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 1,170 पॉइंट्स (1.96%) गिरने के बाद 58,465 पर बंद हो गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 348 अंक (1.96%) टूटने के बाद 17,416 पर बंद हो गया।