Health Update : ईयरफोन कहीं आपको बहरा न कर दें

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Health Update: Don't let earphones deafen you
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calendar01 Dec 2025 11:45 AM
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Health Update : सैय्यद अबू साद Health Update : आजकल स्मार्टफोन की दुनिया में हर काम टेक्नोलॉजी के जरिए ही हो रहे हैं। टीवी या मूवी देखना हो, बात करना हो, गाने सुनना हो, फिर ओटीटी ने सबकुछ मोबाइल में ही ला दिया है। इसके लिए कुछ लोगों के कान में हर समय ईयरफोन ही लगा रहता है। डिजिटल मीडिया के दौर में ईयरफोन का इस्तेमाल बहुत अधिक बढ़ गया है। घर से ऑफिस की मीटिंग अटैंड करना, स्कूल की क्लासेस, कोचिंग की ऑनलाइन पढ़ाई का दौर शुरू हो गया है। मेट्रो हो, कैब या फिर सेल्फ ड्राइविंग अधिकतर लोगों के कान में ईयरफोन ऑन ही रहता है। इसका प्रयोग कुछ देर के लिए तो सही है, लेकिन लगातार प्रयोग करने से कानों पर बुरा असर पड़ता है। ईयरफोन से आने वाली आवाज आपके ईयरड्रम को भारी नुकसान दे सकती है। क्या कहता है शोध हाल ही में यूएस के पबमेड सेंट्रल पत्रिका में प्रकाशित एक शोध के अनुुसार आरमजलान, एलसैम, ए थॉमस, आर सईद और बी लियाब के साझा शोध में मलेशिया की सेलकॉम एसडीएन के ग्राहकों की जांच की गई। इसमें पुराने कान के संक्रमण के 14 मामले और वैक्स से प्रभावित 4 मामले सामने आए। 25 प्रतिशत से अधिक लोगों में सुनने की क्षमता में कमी पाई गई। यह लोग ईयरफोन लगाकर लगातार सात घंटे कॉल रिसीव करते थे और इसके बाद भी काफी समय ईयरफोन लगाकर गाने सुनने या मोबाइल देखने में बिताते थे। ईयरफोन से पहुंचता है ईयरड्रम को नुकसान ईएनटी स्पेश्लिस्ट डॉ देवेंद्र लाल चंदानी बताते हैं कि दरअसल, कान के अंदर एक पर्दा होता है, जिसे ईयरड्रम के नाम से भी जानते हैं। इसमें कई नसें और पार्ट्स होते हैं, जिससे दिमाग जुड़ा होता है। तेज आवाज सुनने पर कान के पर्दे में कंपन होती है और ईयरड्रम पर प्रेशर बढ़ता है। यह सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। आजकल बहुत सारे ऐसे मामले आते हैं, जिसमें लगातार ईयरफोन इस्तेमाल करने से ईयरड्रम को नुकसान पहुंच रहा है। इससे सुनने की क्षमता बहुत तेजी से कम हो रही है। हो सकती है बहरेपन की समस्या आप ऑफिस मीटिंग करते समय, पढ़ाई करते वक्त या बात करने के लिए ईयरफोन का यूज़ करते हैं, तो सावधान हो जाइए! देर तक हेडफोन ईयरफोन का प्रयोग करने पर कान में मैल जमा होता है, जिससे कान में संक्रमण, सुनने की समस्या, या टिटनेस की समस्या हो सकती है। ईएनटी डॉ मल्होत्रा कहते हैं, देर तक हेडफोन या ईयरफोन का प्रयोग करने से आप अपने कानों को बहरा बनाने की ओर बढ़ रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि ईयरफोन के माध्यम से गाना या मीटिंग करने की आदत आपको बहरा बना सकती है। डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि इस कारण 2050 तक 70 करोड़ से अधिक लोगों के कान खराब हो जाएंगे। वाइब्रेशन अधिक होने के कारण सुनने वाले सेल्स अपनी संवेदनशीलता खो देते हैं। जिससे बहरापन हो जाता है। तेज आवाज में सुनना कर दें बंद ईएनटी स्पेश्लिस्ट डॉ अंकुश अरोड़ा के अनुसार, बहरेपन और कान में किसी प्रकार की समस्या से बचाव करना चाहते हैं, तो सबसे पहले तेज आवाज में म्यूजिक सुनना बंद कर दें। सुनना है तो आवाज कम कर लें। आप जो भी हेडफोन या ईयरफोन खरीद रहे हैं वह अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए। इसके साथ यदि आपको महसूस हो रहा है कि आपको कम सुनाई दे रहा है तो ऐसे में तुरंत किसी अच्छे कान के डॉक्टर को दिखाएं। ईयरफोन के लगातार प्रयोग से नुकसान ▪ दिमाग को नुकसान- लंबे वक्त तक ईयरफोन का इस्तेमाल करने से दिमाग पर प्रभाव पड़ता है। ईयरफोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स हमारी दिमाग को बुरी तरह से प्रभावित करती है। इसके अलावा तेज म्यूजिक की वजह से दिमाग की कोशिकाओं की ऊपरी लेयर नष्ट हो जाती है जिससे कान और दिमाग का कनेक्शन कमजोर हो जाता है। ▪ बहरापन- लंबे वक्त तक ईयरफोन के इस्तेमाल से आप बहरेपन के शिकार हो सकते हैं। दरअसल देर तक ईयरफोन लगाए रखने से कानों की नसों पर दबाव पड़ने लगता है, जिससे नसों में सूजन की समस्या बढ़ जाती है। वाइब्रेशन की वजह से हियरिंग सेल्स अपने संवेदनशील तक होने लगता है, जिससे आप बहरे भी हो सकते हैं। एक स्टडी के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 2 घंटे से ज्यादा समय के लिए 90 डेसीबल से अधिक आवाज में गाना सुनते हैं तो वह बहरेपन का शिकार होने के अलावा कई और बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं। दरअसल कानों की सुनने की क्षमता सिर्फ 90 डेसीबल होती है जो लगातार गाने सुनने से समय के साथ 40 से 50 डेसीबल तक कम हो जाती है, जिसकी वजह से व्यक्ति को दूर की आवाज सुनाई नहीं देती। ▪ टिनिटस- टिनिटस की समस्या भी हो सकती है। ये एक ऐसी बीमारी है, जिसमें लगातार कानों के अंदर सीटी बजने या हवा चलने जैसी अवाजें आती है। ये आवाज कानों के सबसे अंदरूनी हिस्से में मौजूद कॉक्लिया सेल्स के नष्ट होने की वजह से आती है। ▪ इंफेक्शन- जब हम कानों में लगातार ईयरफोन लगाते हैं तो उनके ब्लॉब में कानों का वैक्स और दूसरी गंदगी फंसी रहती है। लगातार बिना साफ किए ईयरफोन का इस्तेमाल करने से यह कानों के अंदर फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन पैदा कर सकती है। इसके अलावा कई बार ईयरफोन की अदला-बदली भी होती है जिस वजह से भी इंफेक्शन का खतरा बना रहता है। ▪ सिर दर्द- ईयरफोन से निकलने वाली विद्युत चुंबकीय तरंगों की वजह से व्यक्ति के दिमाग पर बुरा असर पड़ता है, जिस वजह से उसे सिर में दर्द या नींद ना आने की समस्या होने लगती है। हेडफोन से अपने कानों को कैसे बचाएं ▪ बहुत लंबे समय तक हेडफोन और ईयरफोन का इस्तेमाल न करें। ▪ दोनों के इस्तेमाल के दौरान साउंड नॉर्मल रखें। ▪ खासतौर से हेडफोन किसी के साथ शेयर न करें। ▪ ईयरफोन को बहुत ज्यादा कानों के अंदर एडजस्ट करने की कोशिश न करें। ▪ समय-समय पर इनसे ब्रेक लेते रहें। ▪ ऑनलाइन क्लासेस या सेशन्स की इंटेंसिटी थोड़ी कम रखें। ज्यादा इंटेंसिटी सुनने की क्षमता पर असर डाल सकती है। ▪ ईयरफोन्स हो या हेडफोन हमेशा ब्रांडेड कंपनी के ही यूज करें। लोकल डिवाइस को अवॉइड करना बेहतर है। हेडफोन हैं ईयरफोन से कम हानिकारक ईयरफोन या हेडफोन का प्रयोग करते हैं तो आज जान लीजिए कौन कान के अधिक सही है। ईयरफोन को कान के अंदर लगाया जाता है, कभी-कभी इसे ऊपर से पुश भी किया जाता है अंदर करने के लिए। ईयरफोन लगाने से कान के पर्दे की बीच की दूरी कम हो जाती है। वहीं हेडफोन कान के ऊपर लगाया जाता है। ऐसे में हेडफोन थोड़ा कम नुकसानदायक है, लेकिन यहां ये ध्यान देना जरूरी है की दोनों में से किसी को भी अधिक प्रयोग करना आपको बहरेपन की दहलीज तक पहुंचा सकता है।

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Period Myths : माहवारी में क्यों नहीं छूते अचार ?

Achar
Period Myths
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calendar01 Dec 2025 02:06 AM
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Period Myths: पीरियड्स से जुड़े ऐसे बहुत से झूठ हैं जिन्हें सच मान लिया गया है. ऐसे में इन बातों का सच जानना जरूरी है चलिए आपको इस आर्टिकल के माध्यम से समझाते हैं। पीरिड्स एक प्राकृतिक और सामान्य प्रक्रिया है जिससे महिलाओं को हर माह गुजरना पड़ता है. लेकिन, इस साधारण सी प्रक्रिया से अनेक मिथ, झूठ और शर्म जुड़ी है जो महिलाओं को अंधरे में रखती है. अगर आप भी पीरियड्स (Periods) की बात आते ही रसोई में ना जाने ,बाल ना धोने , अचार ना छूने जैसी बातों में उलझ जाती हैं तो यहां जानें इनमें से क्या-क्या मिथक है और तथ्य कैसे पहचाना जाए. खासकर इस बात का सच जानना बेहद जरूरी है कि पीरियड्स में अचार (Pickles) छुआ जा सकता है या नहीं। बहुत से लोगों को आपने भी यह कहते सुना होगा कि पीरियड्स के दौरान पौधे छूने पर वे मुरझाकर मर जाते हैं. लेकिन, तथ्य यह नहीं है. पौधों के मुरझाने का पीरिड्स से कोई संबंध नहीं है.

रसोई से रहना चाहिए दूर!

रसोई में ना जाने का कोई वैज्ञानिक आधार है ही नहीं. आप पीरिड्स के दौरान बेझिझक रसोई में जा सकती हैं. यह किसी तरह की अशुद्धि (Impurity) नहीं है और ना ही आपके रसोई में जाने से खाना अशुद्ध होता है इसलिए आप आराम से रसोई भी जा सकती है और वहाँ काम भी कर सकती है

एक्सरसाइज ना करना

कहा जाता है कि पीरियड्स में किसी भी तरह की एक्सरसाइज नहीं करनी चाहिए ना ही कोई खेल खेलना चाहिए. लेकिन, पीरियड्स में खेलने या एक्सरसाइज करने में मेंस्ट्रुअल फ्लो (Menstrual Flow) खराब नहीं होता बल्कि दर्द कम होने में मदद मिलती है.

पीरियड्स के दौरान रक्तचाप कम हो जाता है:

यह भ्रामक धारणा है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं का रक्तचाप कम हो जाता है। वास्तव में, कुछ महिलाओं के लिए पीरियड्स के समय रक्तचाप कम हो सकता है, लेकिन यह एक आम स्थिति नहीं है। व्यायाम और स्नान के दौरान या यदि किसी महिला को अत्यधिक खून बहने की समस्या हो तो रक्तचाप में कमी हो सकती है, लेकिन यह सामान्यतः सामान्य स्तर पर ही बना रहता है। अगर किसी महिला का रक्तचाप बहुत कम हो रहा है तो उसे चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि यह अन्य समस्याओं का कारण भी हो सकता है।

बाल नहीं धोना चाहिए

पीरियड्स का या पीरियड फ्लो का बाल धोने ,नहाने और स्किन केयर आदि से किसी तरह का कोई संबंध नहीं है. आप अपने रोज के काम बेझिझक कर सकती हैं इससे आपके पीरियड्स पर पर किसी प्रकार का असर नहीं पड़ता ।

अचार ना छूना

अचार के अंदर तेल की कमी,किसी तरह का बैक्टीरिया चला जाना या उन्हें सूखी और साफ जगह पर ना रखें तब ही वह खराब हो सकता है. लेकिन, पीरिड्स में अचार (Pickles) छूने पर उसपर किसी तरह का प्रभाव पड़ना बिलकुल ग़लत है . पीरियड्स में अचार खराब होने जैसी बातें झूठ ही नहीं अंधविश्वास भी है।

 पीरियड्स के दौरान हैवी वजन उठाना नुकसानदायक होता है:

यह एक और मिथक है कि पीरियड्स के दौरान हैवी वजन उठाना नुकसानदायक होता है। वास्तव में, यदि आपने पहले से ही वजन उठाने की आदत बनायी हुई है तो पीरियड्स के दौरान भी आपको हटाने में कोई समस्या नहीं होगी। हालांकि, यदि किसी महिला को तेज खून बहने की समस्या होती है या उन्हें अत्यधिक दर्द होता है, तो उन्हें उचित समय और स्थान पर वजन उठाना चाहिए।

पीरियड्स के दौरान अधिक खाना चाहिए:

यह एक मिथक है कि पीरियड्स के दौरान अधिक खाना चाहिए या खाने में अपर्याप्ती होती है। वास्तव में, हमारे शरीर की आवश्यकता अनुसार हमें नियमित और संतुलित आहार लेना चाहिए, चाहे हम पीरियड्स के दौरान हों या न हों। हालांकि, कुछ महिलाएं पीरियड्स के दौरान भूख के कारण अधिक खाने की इच्छा महसूस कर सकती हैं, इसलिए स्वास्थ्यपूर्ण आहार चुनना और अतिरिक्त खाने से बचना चाहिए।

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Health News: डॉ गूगल से किया इलाज तो बहुत पछताओगे !!

Gool
Health News
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calendar01 Dec 2025 12:23 AM
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  Health News: यू तो सर्च इंजन गूगल ने लोगो की जिंदगी को आसान बना दिया है । लेकिन कई जगह परेशानियां भी खड़ी की है । खास कर युवा वर्ग अपनी हर समस्या का समाधान गूगल पर ही ढूंढ रहे हैं । किसी समय पर तो यह मददगार सबित होता है लेकिन जब लोग इसका उपयोग अपनी बिमारियों का इलाज करने मे लेंते है तो यह मुसीबत मे डाल देता है ।

62 प्रतिशत लोग इलाज के लिये डॉ गूगल का सहारा ले रहे

सिरदर्द है,सर्दी लग रही है,बुखार चढ़ गया है,एसिडिटी हो रही है पर डॉक्टर के पास नहीं जायेंगे। मोबाइल पर ही गूगल से सर्च करके स्क्रीन पर जो दवा दिखी उसे मेडिकल स्टोर से खरीद कर बिना डॉक्टर के परामर्श के खा लिया। लेकिन इससे राहत मिलने के बजाय गंभीर बीमारी की चपेट मे आ जातें है ।

खतरनाक है ओवर द काउंटर दवा खरीदकर इलाज

उसके बाद जब दिक्कत दिखी तो डॉक्टर के पास पहुच गयें । इसके लिये लगभग 62 प्रतिशत लोग इलाज के लिये डॉ गूगल का सहारा ले रहे है । जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के फार्माकोलॉजी विभाग की दो साल की स्टडी मे यह निष्कर्ष निकला है । इसमे 183 मेडिकल स्टूडेंट्स और 550 आम लोगों के दवा खरीदने का ट्रेंड रखा गया था ।

क्यो करते है  गूगल से इलाज:

निष्कर्ष के मुताबिक लोगो का डॉ गूगल की तरफ बढ़ता आकर्षण का कारण डॉक्टरों का महंगा इलाज और डॉक्टरों के यहां लंबी कतारों मे घंटो इंतजार करना सामने आया है । लोग डॉक्टरों के जाने से कतराने लगे है,अहम बात ये हैं कि सीजनल ही नही इम्यून संबंधी बीमारी का इलाज भी मरीज खुद ही कर रहा है । ऐसे लोग पहले संबंधित बीमारी का लक्षण खोजते है फिर उसके आधार पर दवा सर्च करते है इसके बाद ओवर द काउंटर यानी मेडिकल स्टोर से दवा खरीदकर अपना इलाज शुरु कर देते है । यदि वही लक्षण किसी गंभीर बीमारी के होते है तो वह तनाव मे आ जाते है । बाद मे ऐसे लोग डिप्रेशन का शिकार हो जातें है ।

Health Update : लगातार सिरदर्द, नींद उड़ना, ब्रेन देता है अपनी बीमारी के संकेत