घर के आसपास की हरियाली करती हैं बच्चे की हड्डियां मजबूत,रिसर्च में हुआ खुलासा

घर के आसपास की हरियाली करती हैं आपके बच्चे की हड्डियां मजबूत

घर के आसपास की हरियाली करती हैं बच्चे की हड्डियां मजबूत,रिसर्च में हुआ खुलासा
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calendar01 Dec 2025 05:00 AM
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Child Care Tips : अक्सर हम घूमने के लिये हरी भरी जगह की तलाश करते हैं जहां हम सुकून के कुछ पल बिता सके। हम अपने सपनों का अशियाना भी अक्सर ग्रीन एरिया मे ही बनाते हैं । क्या आप जानते हैं की यह ग्रीन एरिया हमे सुकून के साथ हमारे बच्चों की सेहत के लिये भी बहुत फायदेमंद होता हैं । एक रिसर्च मे पाया गया है कि जो बच्चें हरियाली वाली जगह पर ज्यादा रहते हैं ऐसे बच्चो की हड्डियां ज्यादा मजबूत होती हैं ।

हरी भरी जगह रहने वाले बच्चों को अस्थि रोग 65 फीसदी कम:

शोध के अनुसार पाया गया है कि प्राकृतिक जगह पर रहने वाले बच्चों की हड्डियां बाकी जगह रहने वाले बच्चों की तुलना मे 20 से 25 फीसदी ज्यादा मजबूत होती है । वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसे बच्चों मे अस्थि रोग होने का खतरा लगभग 65 फीसदी कम होता हैं ।वहीं जो बच्चे हरियाली से दूर रहते हैं उनकी हड्डियां उतनी मजबूत नहीं होती हैं। वही शुरुआती जीवन की उम्र में हड्डी मजबूत होने से भविष्य मे उसके टूटने की संभावना कम हो जाती है ।

एक खास तरह का अध्यन:

एक खास तरह के अध्यन, जामा नेटवर्क ओपन जनरल मे प्रकाशित हुआ हैं । अध्यन के अनुसार वैज्ञानिकों का कहना है कि बचपन से लेकर किशोरावस्था तक हड्डियों की ताकत बढ़ती रहती हैं जो की 50 की उम्र तक स्थिर रहती हैं फिर बढ़ती उम्र मे कम होने लगती हैं ।हरियाली और हड्डियों के खनिजों का घनत्व का आपस मे गहरा संबंध हैं ।

Child Care Tips शोध के अनुसार हरियाली वाली जगह के बच्चों की हड्डियां ज्यादा मजबूत:

हड्डियों के खनिजों का घनत्व बच्चों की उम्र और ऊंचाई से तो बढ़ता है. लेकिन इस पर लिंग, वजन, नस्ल, कितना विटामिन खाया, कितना डेयरी उत्पाद खाया, मां की शिक्षा का स्तर और आसपास के लोगों की आय जैसे कारकों का असर कम होता है। अध्ययन की पड़ताल दर्शाती हैं कि जिन बच्चों के घर के एक हजार मीटर के आसपास अगर 25 फीसदी हिस्सा हरियाली वाला हो तो उनमें बोन डेंसिटी कम होने का जोखिम 66 फीसदी कम हो जाता है। इसमें आसपास की हरियाली होने से हड्डियों में खनिजों के घनत्व कम होने का जोखिम कम होता भी पाया गया। शोधकर्ताओं का कहना है कि पार्क के आस पास रहने वाले बच्चों की मजबूत हड्डियों का सीधा संबंध शरीरिक गतिविधियों का परिणाम होता हैं । जिन बच्चों का घर हरियाली वाली जगह के पास ज्यादा रहता हैं उनमे अस्थि रोग का जोखिम कम होता हैं । इस शोध मे लड़के और लड़की के बीच कोई अंतर नही पाया गया।

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आपने सर्दी के मौसम में अक्सर अपने बच्चों की आँखों से बार-बार पानी आना तो देखा होगा। जिसके कारण बच्चों को बेहद परेशानी होती है।

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calendar30 Nov 2025 12:21 AM
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Winter Eye Care for Children : सर्दी के दस्तक देते ही माता-पिता बेहद परेशान हो जाते हैं और बच्चों की काफी चिंता करने लगते हैं। क्योंकि सर्दी का मौसम अपने साथ तेज हवाएं और घना कोहरा लेकर आता है। जो बच्चों की त्वचा के साथ-साथ उनकी आंखों को भी बेहद नुकसान पहुँचाती है। आपने सर्दी के मौसम में अक्सर अपने बच्चों की आँखों से बार-बार पानी आना तो देखा होगा। जिसके कारण बच्चों को बेहद परेशानी होती है। दरअसल, बच्चों की आई स्किन बेहद संवेदनशील होती है, जिसके कारण उनकी आँखों के साथ-साथ उनकी स्किन की देखभाल करना भी बेहद ज़रूरी है। क्योंकि बच्चे अपनी आँखों की देखभाल खुद से करना नहीं जानते, ऐसे में अभिभावकों को बच्चों की देखभाल करने की आवश्यकता होती है जिससे उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। यदि आप बच्चों की आँखों का देखभाल करना नहीं जानते तो हम आपके लिए कुछ टिप्स लेकर आए हैं जो आपकी बहुत मदद कर सकती है, और आप इन टिप्स से बच्चों की आंखों को सर्दी के प्रकोप से बचा सकते हैं।

स्क्रीन टाइम सुनिश्चित करें

आज-कल के बच्चे अपना अधिकतर समय टीवी और मोबाइल की स्क्रीन को देखते हुए बिताते हैं। ऐसे में माता-पिता को उनके स्क्रीन टाइम को सुनिश्चित करना होगा। क्योंकि यह बच्चों की आंखों को खराब करने का एक मुख्य कारण है। बेशक सर्दियों के मौसम में आप बच्चों को बाहर न जाने दें लेकिन उनको हर समय मोबाइल, कंप्यूटर या टीवी के सामने बैठने से भी रोकें। आप मोबाइल फोन की जगह बच्चों के साथ कोई गेम खेल सकते हैं और उन्हें कोई किस्सा सुना सकते हैं जिससे बच्चों का ध्यान टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर की तरफ नहीं जाएगा और उनका मन आपकी बातों पर लगा रहेगा।

Winter Eye Care for Children हाइड्रेशन की कमी न होने दें

सर्दियों के दिनों में घर के अंदर और बाहर दोनों जगह की हवा में रूखापन होता है। जिसकी वजह से यह रूखापन आपके बच्चे की आंखों की नमी पर बेहद प्रभाव डालता है। जिससे बच्चों की आँखों में जलन पैदा होती है,और वो आँखों को मलना शुरू कर देते हैं। आँखों की जलन से बचने के लिए आप उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं। इससे बच्चों की शरीर में डिहाइड्रेशन की कमी नहीं होगी। साथ ही, आपको अपने घर में एक ह्यूमिडिफायर का उपयोग करना होगा जिससे हवा में नमी आएगी और उनकी आंखों में किसी तरह की जलन नहीं होगी।

चश्मा बनवाएं

गर्मियों की धूप की तरह सर्दियों की धूप भले ही तेज न हो, लेकिन आपको यह बात पता होनी चाहिए कि यूवी किरणें आपके बच्चों की आंखों को बेहद नुकसान पहुंचा सकती हैं। आप उनकी आँखों को यूवी किरणों से बचाने के लिए सनग्लास या चश्मा बनवा सकते हैं, लेकिन चश्मा खरीदते समय आपको ध्यान रखना होगा कि चश्में से बच्चों की आंखें सही तरह से कवर हो जाए।

संतुलित आहार का खास ख्याल रखें

आपको अपने बच्चों की विंटर डाइट में ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन ए और विटामिन सी से भरपूर खाध पदार्थों को शामिल करना होगा। आपको बच्चों के लिए हरी पत्तेदार वाली सब्जियाँ बनानी होगी और गाजर, मूली और खट्टे फलों के साथ नट्स जैसे खाद्य पदार्थों को भी उनके डाइट में शामिल करना होगा।

Winter Eye Care for Children आँखों की जांच कराते रहें

आपको अपने बच्चों के आंखों की समय-समय पर जाँच करानी होगी जो आंखों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आँखों की जाँच कराने से आपको यह पता चलता है कि उनकी आंखें ठीक हैं या नहीं। बच्चों की आंखेंन बेहद कमजोर और संवेदनशील होती हैं, इसलिए सर्दी में उन्हें अधिक समय तक बाहर न खेलने दें। यदि बाहर टेम्पेचर कम हो तो बच्चों को चश्मा पहनाकर रखें। इसके अलावा, अपने बच्चों को थोड़े-थोड़े वक्त बाद पलकों को छपकाने की ट्रेनिंग दें। ऐसा करने से आंखों की नमी बनी रहती है। जिसके कारण आप अपने बच्चों की आंखों को सुरक्षित रख सकते हैं।

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calendar01 Dec 2025 08:01 AM
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Immune System: सर्दियों में अधिकांश लोग जल्दी जल्दी बीमार हो जाते हैं। जिसका मुख्य कारण आपकी इम्यूनिटी का कमजोर होना हो सकता है। हालांकि, तेज सर्दी-जुकाम, खांसी और मौसमी बिमारियां कुछ ही दिन में ठीक हो जाती है। लेकिन अगर आपको यह बीमारियां लंबे समय तक रहती है तो यह आपके लिए परेशानी का कारण बन सकता है।

इम्यूनिटी कमजोर होने के लक्षण

आपकी कमजोर इम्यूनिटी कई बीमारियो को आमंत्रित करती है। अगर आप अपने शरीर का खास ख्याल नहीं रखते हैं और इन चीजों को नजरअंदाज करते हैं तो जाने-अनजाने में आपकी इम्यूनिटी कमजोर हो रही है।
  • यदि बिना वजह थकान महसूस होती है या बदन दर्द हो तो इसका मुख्य कारण है कमजोर इम्यूनिटी। क्योंकि शरीर हमेशा बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ता रहता है। जिससे शरीर में सुस्ती छाई रहती है।
  • जल्दी-जल्दी खांसी-जुकाम होना भी इम्यूनिटी कमजोर होने के लक्षण है।
  • यदि आपको पेट दर्द की समस्या, कब्ज, दस्त, अपच एसिडिटी या कभी-कभी उल्टी की समस्या हो रही है, तो यह भी कमजोर इम्यून सिस्टम के लक्षण है।

इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए रखें इन बातों का ध्यान

पर्याप्त नींद है जरूरी अगर आप पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो यह आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। क्योंकि पूरी नींद लेने से ही हमारा स्वास्थ्य बेहतर होता है। इसका मुख्य कारण है कि नींद के दौरान आपका शरीर प्रोटीन रिलीज करता है जो आपके इम्यून सिस्टम की मदद करता है, इसे साइटोकिन्स कहते है। वहीं कम नींद लेने के कारण आपका शरीर वायरस और कीटाणुओं के प्रति संवेदनशील हो जाता है जिससे ठीक होने के लिए आपको लंबा समय लग जाता है।

स्ट्रेस लेना पड़ सकता है भारी

आज की बिजी लाइफ में स्ट्रेस लेना एक आम सी बात हो गई है। काम के बढ़ते प्रेशर या फिर फैमिली टेंशन और मामूली बातों पर भी लोग स्ट्रेस ले लेते हैं। ज्यादा स्ट्रेस लेना हमारे Immune System पर बेहद बुरा प्रभाव डालता है। एक रिसर्च के अनुसार अगर कोई स्ट्रेस लेता है तो भी मात्र 30 मिनट में हमारी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है।

खूब खाएं फल-सब्जियां

फल और सब्जियां शरीर को संक्रमण से लड़ने के लिए व्हाइट ब्लड सेल्स बनाने में मदद करती हैं। हम सभी जानते हैं कि फल-सब्जियां पोषक तत्वों के मुख्य स्रोत होते हैं। इसीलिए ज्यादा मात्रा में फल और सब्जियां खाना हमारे शरीर के लिए बेहद आवश्यक है।

इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए करें व्यायाम

सर्दियों में लोग अक्सर आलसी हो जाते हैं। लेकिन यही गलती हमारे Immune System के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। वहीं रोजाना एक्सरसाइज करने से हमारा ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। यह शरीर को कीटाणुओं से बचाने में मदद करता है।

विटामिन डी की कमी से हो सकती है परेशानी

बढ़ती सर्दी में कोहरे के कारण धूप बमुश्किल आती है। जिससे शरीर में विटामिन डी की कमी होना स्वाभाविक है। इसकी कमी की कारण आपका इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है और साथ ही यह उसे कमजोर भी बनाती है। सूरज की रोशनी के साथ-साथ आप इसे अंडे के पीले भाग, मछली के तेल, विटामिन डी युक्त दूध और मक्खन आदि चीजों से भी आप विटामिन डी प्राप्त कर सकते हैं।

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