फरीदाबाद में बहती है आस्था व पौराणिक कथाओं की हवा

अरावली की पहाड़ियों से घिरे हुआ फरीदाबाद में कई ऐसे मंदिर हैं जिनका इतिहास हजारों साल पुराना है। इन मंदिरों में आस्था के साथ-साथ इतिहास और रहस्य भी छिपा है। अगर आप भी इतिहास, आस्था और अध्यात्म से जुड़े स्थानों की खोज में हैं तो आपको फरीदाबाद के इन 4 मंदिरो में एक बार जरूर जाना चाहिए।

Faridabad Famous Temples
Faridabad Famous Temples
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Jul 2025 09:48 PM
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Faridabad Famous Temples : राष्ट्रीय राजधनी दिल्ली से सटा हुआ फरीदाबाद शहर न सिर्फ अपने औद्योगिक पहचान के लिए नहीं , बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। आपको बता दे अरावली की पहाड़ियों से घिरे हुआ फरीदाबाद शहर में कई ऐसे मंदिर हैं जिनका इतिहास हजारों साल पुराना है। फरीदाबाद के इन मंदिरों में आस्था के साथ-साथ इतिहास और रहस्य भी छिपा है। अगर आप भी इतिहास, आस्था और अध्यात्म से जुड़े स्थानों की खोज में हैं तो आइए जानते हैं फरीदाबाद के कुछ प्रमुख 4 मंदिरो के बारे में जहां आपको एक बार जरूर जाना चाहिए।

1. द्वापर युग हनुमान मंदिर

फरीदाबाद के सेक्टर 8 में स्थित सिही गांव में एक प्राचीन हनुमान मंदिर है, जो न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास और पौराणिकता से भी जुड़ा हुआ है। फरीदाबाद का यह मंदिर करीब 8 हजार गज में फैला हुआ है और इसे नागेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह जगह द्वापर युग की घटनाओं से जुड़ी हुई है।

कहा जाता है कि महाभारत काल में महाबली भीम यहां आकार लोगों को कुश्ती सिखाया करते थे। आज भी मंदिर परिसर में अखाड़े जैसे निशान और पौराणिक वातावरण देखने को मिलता है। यहा की सबसे खास बात यह है कि अगर इस गांव में किसी को सांप काट ले, तो उस पर ज़हर का असर नहीं होता। गांववाले इसे हनुमान जी और नागेश्वरी शक्ति का चमत्कार मानते हैं।और यह मंदिर श्रद्धालुओं के साथ-साथ इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए भी बेहद खास है। हर मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

2. परसोन मंदिर

फरीदाबाद के सिही गांव में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर सिर्फ पौराणिक कथाओं से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा से भी जुड़ा हुआ है। यह मंदिर द्वापर युग की याद दिलाता है। इस मंदिर की मान्यता है कि इस स्थान पर कभी ऋषि पाराशर ने घोर तपस्या की थी, जिससे यह भूमि दिव्य शक्तियों से भर गई। ऋषि के नाम पर ही इस स्थान को ‘परसोन’ कहा जाने लगा। एसी के साथ स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। श्रद्धालु दूर-दूर से यहां दर्शन करने आते हैं और मंदिर परिसर में शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और इतिहास का संगम है जहां आज भी लोग चमत्कार की उम्मीद लेकर पहुंचते हैं।

3. पथवारी माता मंदिर

फरीदाबाद के सिही गांव में स्थित पथवारी माता मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शहर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान भी है। यह मंदिर करीब 410 साल पुराना है। मान्यता है कि जब फरीदाबाद बसाया जा रहा था, तो इसकी नींव मां पथवारी की कृपा से रखी गई। यही वजह है कि इस मंदिर को फरीदाबाद की कुलदेवी का दर्जा भी दिया गया है। इस मंदिर से लाखों लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में जब इलाके में महामारी फैली तो मां पथवारी की कृपा से उसका अंत हुआ। तभी से यह मंदिर चमत्कारी शक्तियों के लिए प्रसिद्ध हो गया। हर त्योहार खासकर नवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। लोग यहां आकर स्वास्थ्य सुख और समृद्धि की कामना करते हैं और मानते हैं कि मां किसी को खाली हाथ नहीं लौटातीं।

4. माता वैष्णो देवी मंदिर

फरीदाबाद में नेशनल हाईवे-1 (NH-1) पर बना वैष्णो देवी मंदिर आस्था का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। यहां हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है लेकिन नए साल के मौके पर वैष्णो देवी मंदिर की रौनक देखने लायक होती है। इस दिन मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और भव्य झांकियों से लेकर भक्ति संगीत तक कई तरह के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां दर्शन करने से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, इसलिए श्रद्धालु दूर-दूर से माता रानी के दर्शन करने आते हैं। फरीदाबाद का यह मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि उम्मीद और विश्वास की जगह बन चुका है जहां लोग अपने नए साल की शुरुआत आशीर्वाद के साथ करना पसंद करते हैं।   Faridabad Famous Temples

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फरीदाबाद में बहती है आस्था व पौराणिक कथाओं की हवा

अरावली की पहाड़ियों से घिरे हुआ फरीदाबाद में कई ऐसे मंदिर हैं जिनका इतिहास हजारों साल पुराना है। इन मंदिरों में आस्था के साथ-साथ इतिहास और रहस्य भी छिपा है। अगर आप भी इतिहास, आस्था और अध्यात्म से जुड़े स्थानों की खोज में हैं तो आपको फरीदाबाद के इन 4 मंदिरो में एक बार जरूर जाना चाहिए।

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Faridabad Famous Temples : राष्ट्रीय राजधनी दिल्ली से सटा हुआ फरीदाबाद शहर न सिर्फ अपने औद्योगिक पहचान के लिए नहीं , बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। आपको बता दे अरावली की पहाड़ियों से घिरे हुआ फरीदाबाद शहर में कई ऐसे मंदिर हैं जिनका इतिहास हजारों साल पुराना है। फरीदाबाद के इन मंदिरों में आस्था के साथ-साथ इतिहास और रहस्य भी छिपा है। अगर आप भी इतिहास, आस्था और अध्यात्म से जुड़े स्थानों की खोज में हैं तो आइए जानते हैं फरीदाबाद के कुछ प्रमुख 4 मंदिरो के बारे में जहां आपको एक बार जरूर जाना चाहिए।

1. द्वापर युग हनुमान मंदिर

फरीदाबाद के सेक्टर 8 में स्थित सिही गांव में एक प्राचीन हनुमान मंदिर है, जो न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इतिहास और पौराणिकता से भी जुड़ा हुआ है। फरीदाबाद का यह मंदिर करीब 8 हजार गज में फैला हुआ है और इसे नागेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह जगह द्वापर युग की घटनाओं से जुड़ी हुई है।

कहा जाता है कि महाभारत काल में महाबली भीम यहां आकार लोगों को कुश्ती सिखाया करते थे। आज भी मंदिर परिसर में अखाड़े जैसे निशान और पौराणिक वातावरण देखने को मिलता है। यहा की सबसे खास बात यह है कि अगर इस गांव में किसी को सांप काट ले, तो उस पर ज़हर का असर नहीं होता। गांववाले इसे हनुमान जी और नागेश्वरी शक्ति का चमत्कार मानते हैं।और यह मंदिर श्रद्धालुओं के साथ-साथ इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए भी बेहद खास है। हर मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

2. परसोन मंदिर

फरीदाबाद के सिही गांव में स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर सिर्फ पौराणिक कथाओं से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा से भी जुड़ा हुआ है। यह मंदिर द्वापर युग की याद दिलाता है। इस मंदिर की मान्यता है कि इस स्थान पर कभी ऋषि पाराशर ने घोर तपस्या की थी, जिससे यह भूमि दिव्य शक्तियों से भर गई। ऋषि के नाम पर ही इस स्थान को ‘परसोन’ कहा जाने लगा। एसी के साथ स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। श्रद्धालु दूर-दूर से यहां दर्शन करने आते हैं और मंदिर परिसर में शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और इतिहास का संगम है जहां आज भी लोग चमत्कार की उम्मीद लेकर पहुंचते हैं।

3. पथवारी माता मंदिर

फरीदाबाद के सिही गांव में स्थित पथवारी माता मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शहर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान भी है। यह मंदिर करीब 410 साल पुराना है। मान्यता है कि जब फरीदाबाद बसाया जा रहा था, तो इसकी नींव मां पथवारी की कृपा से रखी गई। यही वजह है कि इस मंदिर को फरीदाबाद की कुलदेवी का दर्जा भी दिया गया है। इस मंदिर से लाखों लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में जब इलाके में महामारी फैली तो मां पथवारी की कृपा से उसका अंत हुआ। तभी से यह मंदिर चमत्कारी शक्तियों के लिए प्रसिद्ध हो गया। हर त्योहार खासकर नवरात्रि में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। लोग यहां आकर स्वास्थ्य सुख और समृद्धि की कामना करते हैं और मानते हैं कि मां किसी को खाली हाथ नहीं लौटातीं।

4. माता वैष्णो देवी मंदिर

फरीदाबाद में नेशनल हाईवे-1 (NH-1) पर बना वैष्णो देवी मंदिर आस्था का एक प्रमुख केंद्र बन चुका है। यहां हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है लेकिन नए साल के मौके पर वैष्णो देवी मंदिर की रौनक देखने लायक होती है। इस दिन मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और भव्य झांकियों से लेकर भक्ति संगीत तक कई तरह के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां दर्शन करने से सभी की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, इसलिए श्रद्धालु दूर-दूर से माता रानी के दर्शन करने आते हैं। फरीदाबाद का यह मंदिर सिर्फ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि उम्मीद और विश्वास की जगह बन चुका है जहां लोग अपने नए साल की शुरुआत आशीर्वाद के साथ करना पसंद करते हैं।   Faridabad Famous Temples

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निर्जला एकादशी 2025: बिना जल के व्रत, मिलेगा सालभर का पुण्य !

‘निर्जला’ का अर्थ है ‘बिना जल के’। इस दिन उपवासी न केवल अन्न बल्कि जल का भी त्याग करते हैं। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। शास्त्रों में वर्णन है कि इस दिन व्रत रखने से वर्षभर की सभी एकादशियों का पुण्यफल प्राप्त होता है।

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Nirjala Ekadashi 2025 :
locationभारत
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calendar01 Dec 2025 11:54 PM
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Nirjala Ekadashi 2025 : निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025) हिंदू पंचांग की सबसे कठिन लेकिन फलदायी व्रतों में से एक मानी जाती है। इस बार यह व्रत 6 और 7 जून 2025 को दो दिनों तक मनाया जाएगा। एकादशी तिथि 6 जून की रात 2:15 बजे से शुरू होकर 7 जून सुबह 4:47 बजे तक है। उदया तिथि के अनुसार 6 जून को व्रत रखना उचित माना गया है, जबकि कुछ वैष्णव परंपराएं इसे 7 जून को भी मानती हैं। इस विशेष दिन का धार्मिक, आत्मिक और सामाजिक महत्व अत्यधिक है।

निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025) का महत्व


‘निर्जला’ का अर्थ है ‘बिना जल के’। इस दिन उपवासी न केवल अन्न बल्कि जल का भी त्याग करते हैं। यह व्रत भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होता है। शास्त्रों में वर्णन है कि इस दिन व्रत रखने से वर्षभर की सभी एकादशियों का पुण्यफल प्राप्त होता है। यह आत्मसंयम, भक्ति और तपस्या का प्रतीक माना जाता है, जिसमें श्रद्धालु अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण रखते हुए प्रभु के चरणों में समर्पित होते हैं।

क्या करें और क्या नहीं


व्रतधारी को इस दिन निर्जल रहना होता है। पूजा, जप, ध्यान और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना अत्यंत शुभ माना गया है। गर्मी के कारण जल व शरबत का दान विशेष पुण्यदायी है। व्रतधारियों को तामसिक भोजन (लहसुन, प्याज, मांस आदि), झूठ, क्रोध, निंदा और आलस्य से बचना चाहिए। शारीरिक श्रम से परहेज करें ताकि शरीर निर्जल अवस्था में भी स्थिर रह सके।

पूजा विधि और संकल्प


व्रत से एक दिन पहले सात्विक भोजन करें और जल का सेवन बढ़ा दें। व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें। पूजा में तुलसी, पंचामृत, दीप, धूप, नैवेद्य आदि का उपयोग करें। विष्णु सहस्रनाम, गीता का पाठ और "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में जरूरतमंदों को दान करें।

भीमसेनी एकादशी की कथा

इस व्रत की कथा महाभारत के भीमसेन से जुड़ी है। वे खाने-पीने में रुचि रखते थे और नियमित एकादशी व्रत नहीं कर पाते थे। ऋषि वेदव्यास ने उन्हें केवल ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी का निर्जला व्रत रखने को कहा। भीम ने कठिन प्रयासों से यह व्रत रखा, तभी से इसे 'भीमसेनी एकादशी' भी कहा जाता है। यह व्रत आज भी हजारों भक्त पूरी श्रद्धा से निभाते हैं। Nirjala Ekadashi 2025 :ग्रेनो में अधिग्रहण के बगैर जमीन आवंटित करने में तीन कर्मी निलंबित

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