Krishna Janmashtami- इन पांच मुहूर्त में पूजन करना बेहद फलदायक

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:07 AM
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Krishna Janmashtami- आज पूरे देश में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। इस वर्ष श्री कृष्ण का यह 5249वां जन्मोत्सव है। हिंदू धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का बेहद खास महत्व है। यह पर्व प्रेम और सौहार्द के देवता भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक पूरे 400 सालों के बाद इस वर्ष जन्माष्टमी के पर्व पर 8 बड़े शुभ योग बन रहे हैं। इस वजह से इस वर्ष का जन्माष्टमी (Janmashtami) का पर्व बहुत ही खास है। शुभ मुहूर्त में भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। ज्योतिषियों के मुताबिक 19 अगस्त को जन्माष्टमी के पर्व पर महालक्ष्मी, बुधादित्य, ध्रुव और क्षत्र नाम के शुभ योग बन रहे हैं। इसके साथ ही कुलदीपक, भारती, हर्ष और सत्कीर्ति नाम के राजयोग भी बन रहे हैं। 8 योगों का यह महासंयोग पूरे 400 सालों बाद बना है। ऐसे में इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व और भी अधिक शुभ फलदायी है।

कृष्ण जन्माष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त -

इस वर्ष जन्माष्टमी (Janmashtami) के पर्व पर पूजन के लिए पांच शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। यह शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है - सुबह - 6:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक।। दोपहर - 12:30 बजे से लेकर 2:00 बजे तक।। शाम - 5:30 बजे से लेकर 7:00 बजे तक।। अमृत काल- रात 11:25 बजे से लेकर 1:00 बजे तक।। निशिता काल - रात 12:05 से लेकर 12:45 तक।।

कैसे करें पूजन -

पूजन विधि का प्रारंभ भगवान श्री कृष्ण के स्नान से करें। स्नान के पश्चात भगवान को वस्त्र चढ़ाएं व फल-फूल, चावल इत्यादि चढ़ाकर धूप-दीप जलाएं। 'क्लीं कृष्णाय नमः' मंत्र का जाप करते हुए श्री कृष्ण की पूजा प्रारंभ करें शुद्ध जल व पंचामृत से अभिषेक करें। भगवान को जनेऊ चढ़ाकर, चंदन, चावल, अबीर और गुलाल चढ़ाएं, तत्पश्चात आभूषण से सजाएं। हार, फूल, फल और तुलसी पत्र चढ़ाकर, सूखे मेवे, मिठाई, माखन, मिश्री का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद भगवान को पान चढ़ाएं। नारियल पर पैसे रखकर श्री चरणों में दक्षिणा अर्पित करें। भगवान को झूला झुलाएं। तत्पश्चात चंद्रमा को अर्घ्य दें। बलराम, यशोदा माता और गाय की मूर्ति की भी पूजा करें। पूजा का समापन कपूर की आरती से करें। तत्पश्चात भगवान से अनजान में हुई भूल के लिए क्षमा याचना करें। अंत में भगवान का प्रसाद सब में वितरित करें, व खुद भी ग्रहण करें। इस तरह से विधि विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान प्रसन्न होंगे व मनवांछित फल की प्राप्ति होगी।
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Krishna Janmashtami- इन पांच मुहूर्त में पूजन करना बेहद फलदायक

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Krishna Janmashtami- आज पूरे देश में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। इस वर्ष श्री कृष्ण का यह 5249वां जन्मोत्सव है। हिंदू धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व का बेहद खास महत्व है। यह पर्व प्रेम और सौहार्द के देवता भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक पूरे 400 सालों के बाद इस वर्ष जन्माष्टमी के पर्व पर 8 बड़े शुभ योग बन रहे हैं। इस वजह से इस वर्ष का जन्माष्टमी (Janmashtami) का पर्व बहुत ही खास है। शुभ मुहूर्त में भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। ज्योतिषियों के मुताबिक 19 अगस्त को जन्माष्टमी के पर्व पर महालक्ष्मी, बुधादित्य, ध्रुव और क्षत्र नाम के शुभ योग बन रहे हैं। इसके साथ ही कुलदीपक, भारती, हर्ष और सत्कीर्ति नाम के राजयोग भी बन रहे हैं। 8 योगों का यह महासंयोग पूरे 400 सालों बाद बना है। ऐसे में इस वर्ष जन्माष्टमी का पर्व और भी अधिक शुभ फलदायी है।

कृष्ण जन्माष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त -

इस वर्ष जन्माष्टमी (Janmashtami) के पर्व पर पूजन के लिए पांच शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। यह शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है - सुबह - 6:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक।। दोपहर - 12:30 बजे से लेकर 2:00 बजे तक।। शाम - 5:30 बजे से लेकर 7:00 बजे तक।। अमृत काल- रात 11:25 बजे से लेकर 1:00 बजे तक।। निशिता काल - रात 12:05 से लेकर 12:45 तक।।

कैसे करें पूजन -

पूजन विधि का प्रारंभ भगवान श्री कृष्ण के स्नान से करें। स्नान के पश्चात भगवान को वस्त्र चढ़ाएं व फल-फूल, चावल इत्यादि चढ़ाकर धूप-दीप जलाएं। 'क्लीं कृष्णाय नमः' मंत्र का जाप करते हुए श्री कृष्ण की पूजा प्रारंभ करें शुद्ध जल व पंचामृत से अभिषेक करें। भगवान को जनेऊ चढ़ाकर, चंदन, चावल, अबीर और गुलाल चढ़ाएं, तत्पश्चात आभूषण से सजाएं। हार, फूल, फल और तुलसी पत्र चढ़ाकर, सूखे मेवे, मिठाई, माखन, मिश्री का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद भगवान को पान चढ़ाएं। नारियल पर पैसे रखकर श्री चरणों में दक्षिणा अर्पित करें। भगवान को झूला झुलाएं। तत्पश्चात चंद्रमा को अर्घ्य दें। बलराम, यशोदा माता और गाय की मूर्ति की भी पूजा करें। पूजा का समापन कपूर की आरती से करें। तत्पश्चात भगवान से अनजान में हुई भूल के लिए क्षमा याचना करें। अंत में भगवान का प्रसाद सब में वितरित करें, व खुद भी ग्रहण करें। इस तरह से विधि विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान प्रसन्न होंगे व मनवांछित फल की प्राप्ति होगी।
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Raksha Bandhan 2022 : भूल जाएं भद्रा को, इस शुभ मुहूर्त में बंधवाएं राखी

Raksha bandhan 2022
Raksha Bandhan 2022
locationभारत
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calendar10 Aug 2022 06:10 PM
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Raksha Bandhan 2022 : इस साल रक्षाबंधन पर्व को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है कि यह पर्व 11 अगस्त को मनाएं या 12 को। रक्षाबंधन पर्व को लेकर पंचांगों में भी मतभेद नजर आ रहा है। ऐसे में समझ में नहीं आ रहा है कि रक्षाबंधन पर्व किस दिन मनाएं। यदि 11 अगस्त को मनाया जाता तो भद्रा दोष है। ऐसे में हम क्या करें। तो हम आपको बताते हैं कि आप 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन मनाएं। 11 अगस्त को राखी बांधने के शुभ मुहूर्त यहां पर दिए गए हैं।

Raksha Bandhan 202

आपको बता दें कि भारत देश में एक नहीं, अनेक प्रकार के पंचांग प्रचलित हैं। सभी प्रदेशों में पंचांगों का प्रकाशन होता है। इन पंचांग के अनुसार ही क्षेत्रीय ज्योतिष और पंडित अपने धार्मिक कर्मों को संपादित करते हैं। जालंधर से प्रकाशित पंचांग, श्री मार्तंडम् पंचांग के पेज नंबर 15 पर रक्षाबंधन पर्व लेकर लिखा गया है कि जब दूसरे दिन यानि कि 12 को पूर्णिमा मुहूर्तत्रव्यापिनी नहीं होगी, तब अपराह्न में साकल्पयापादिक पूर्णिमा नहीं होगी। ऐसी स्थिति में पहले ही दिन यानि 11 अगस्त को प्रदोष के उत्तरार्ध में अथवा भद्रा समाप्ति पर रक्षा बंधन करना चाहिए। इसी पंचांग के पेज नंबर 16 पर स्पष्ट लिखा है कि पहले दिन 11 अगस्त 2022 को ही प्रदोषोतरार्थ में अथवा भद्रापरांत रक्षाबंधन होगा। यानि इस दिन रात 08 बजकर 9 मिनट के बाद ही रक्षाबंधन किया जाए। लेकिन, ध्यान रहे कि इसे नीशीथ से पूर्व ही अवश्य कर लें। इसके अलावा दिवाकर पंचांग के पेज नंबर 21 पर रक्षाबंधन पर्व लेकर स्पष्ट है कि 11 अगस्त को भद्रा है, इसलिए यह इस दिन भद्रा समाप्ति रात 08 बजकर 53 मिनट के बाद तथा 09 बजकर 50 मिनट से पहले यानि कि एक घंटा के भीतर ही रक्षाबंधन पर्व कर लेना चाहिए। अब ऐसे में क्या करें? उक्त दोनों ही पंचांग उत्तर भारत में प्रचलित हैं। दोनों ही पंचाग में रक्षाबंधन पर दिनभर भद्राकाल बताया गया है। ऐसे में हम क्या करें कि दिन में भी राखी बंधवाई जा सके या बहने अपने भाइयों को राखी बांध सकें। 11 अगस्त को दोपहर 12 बजे से लेकर 12 बजकर 50 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त है। यह वो मुहूर्त है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ अपने सभी शुभ कार्यों का शुभारंभ करते हैं। माना जाता है कि इस मुहूर्त में किए कार्यों में हमेशा विजय की प्राप्ति होती है। अभिजीत मुहूर्त में भी राखी का बांधना शुभ रहेगा। ज्योतिष को लेकर 7 पुस्तक लिख चुके जाने माने ज्योतिषाचार्य सुभाष चौधरी कहते हैं कि भद्रा का निवास पाताल लोक में है। जिस लोक में भद्रा हो, वहीं पर इसका शुभ अशुभ प्रभाव पड़ता है। इस बारे में कुछ अन्य विद्वानजनों का भी कहना है कि 11 तारीख को भद्रा पाताल लोक में रहेगी, इसलिए इसका धरती पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। 11 और 12 को लेकर कंफ्यूजन क्यों? असल में इस बारे में पंचांगों में मतभेद है। रक्षाबंधन पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। पूर्णिमा 11 तारीख को पूरा दिन रहने के साथ साथ 12 तारीख की सुबह 7 बजकर 6 मिनट तक ही रहेगी। इसलिए लोगों में इस पर्व के दो दिन मनाए जाने को लेकर कंफ्यूजन है। लेकिन, हमारे अनुसार 11 तारीख को ही रक्षाबंधन पर्व मनाना शुभ रहेगा। राखी बंधवाने के दोनों शुभ मुहूर्त आपको ऊपर बता दिए गए हैं।