Krishna Janmashtami- इन पांच मुहूर्त में पूजन करना बेहद फलदायक

कृष्ण जन्माष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त -
इस वर्ष जन्माष्टमी (Janmashtami) के पर्व पर पूजन के लिए पांच शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। यह शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है - सुबह - 6:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक।। दोपहर - 12:30 बजे से लेकर 2:00 बजे तक।। शाम - 5:30 बजे से लेकर 7:00 बजे तक।। अमृत काल- रात 11:25 बजे से लेकर 1:00 बजे तक।। निशिता काल - रात 12:05 से लेकर 12:45 तक।।कैसे करें पूजन -
पूजन विधि का प्रारंभ भगवान श्री कृष्ण के स्नान से करें। स्नान के पश्चात भगवान को वस्त्र चढ़ाएं व फल-फूल, चावल इत्यादि चढ़ाकर धूप-दीप जलाएं। 'क्लीं कृष्णाय नमः' मंत्र का जाप करते हुए श्री कृष्ण की पूजा प्रारंभ करें शुद्ध जल व पंचामृत से अभिषेक करें। भगवान को जनेऊ चढ़ाकर, चंदन, चावल, अबीर और गुलाल चढ़ाएं, तत्पश्चात आभूषण से सजाएं। हार, फूल, फल और तुलसी पत्र चढ़ाकर, सूखे मेवे, मिठाई, माखन, मिश्री का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद भगवान को पान चढ़ाएं। नारियल पर पैसे रखकर श्री चरणों में दक्षिणा अर्पित करें। भगवान को झूला झुलाएं। तत्पश्चात चंद्रमा को अर्घ्य दें। बलराम, यशोदा माता और गाय की मूर्ति की भी पूजा करें। पूजा का समापन कपूर की आरती से करें। तत्पश्चात भगवान से अनजान में हुई भूल के लिए क्षमा याचना करें। अंत में भगवान का प्रसाद सब में वितरित करें, व खुद भी ग्रहण करें। इस तरह से विधि विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान प्रसन्न होंगे व मनवांछित फल की प्राप्ति होगी।World Photography Day- जानें विश्व फोटोग्राफी दिवस का इतिहास, महत्व एवं थीम
कृष्ण जन्माष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त -
इस वर्ष जन्माष्टमी (Janmashtami) के पर्व पर पूजन के लिए पांच शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। यह शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार है - सुबह - 6:00 बजे से लेकर 10:30 बजे तक।। दोपहर - 12:30 बजे से लेकर 2:00 बजे तक।। शाम - 5:30 बजे से लेकर 7:00 बजे तक।। अमृत काल- रात 11:25 बजे से लेकर 1:00 बजे तक।। निशिता काल - रात 12:05 से लेकर 12:45 तक।।कैसे करें पूजन -
पूजन विधि का प्रारंभ भगवान श्री कृष्ण के स्नान से करें। स्नान के पश्चात भगवान को वस्त्र चढ़ाएं व फल-फूल, चावल इत्यादि चढ़ाकर धूप-दीप जलाएं। 'क्लीं कृष्णाय नमः' मंत्र का जाप करते हुए श्री कृष्ण की पूजा प्रारंभ करें शुद्ध जल व पंचामृत से अभिषेक करें। भगवान को जनेऊ चढ़ाकर, चंदन, चावल, अबीर और गुलाल चढ़ाएं, तत्पश्चात आभूषण से सजाएं। हार, फूल, फल और तुलसी पत्र चढ़ाकर, सूखे मेवे, मिठाई, माखन, मिश्री का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद भगवान को पान चढ़ाएं। नारियल पर पैसे रखकर श्री चरणों में दक्षिणा अर्पित करें। भगवान को झूला झुलाएं। तत्पश्चात चंद्रमा को अर्घ्य दें। बलराम, यशोदा माता और गाय की मूर्ति की भी पूजा करें। पूजा का समापन कपूर की आरती से करें। तत्पश्चात भगवान से अनजान में हुई भूल के लिए क्षमा याचना करें। अंत में भगवान का प्रसाद सब में वितरित करें, व खुद भी ग्रहण करें। इस तरह से विधि विधान से पूजा अर्चना करने से भगवान प्रसन्न होंगे व मनवांछित फल की प्राप्ति होगी।World Photography Day- जानें विश्व फोटोग्राफी दिवस का इतिहास, महत्व एवं थीम



