धनतेरस पर कब करें खरीदारी अभी कर लें नोट, कहीं बीत न जाए शुभ समय 

वैसे तो इस दिन आप पूरे दिन ही खरीदारी कर सकते हैं. किंतु यदि फिर भी कुछ विशेष समय पर खरिदारी करने से शुभता ओर अधिक प्राप्त होती है.

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Dhanteras 2023 date and time
locationभारत
userचेतना मंच
calendar07 Nov 2023 04:00 PM
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Dhanteras 2023 date and time: कार्तिक मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है. धन तेरस का समय अत्यंत ही शुभ समय होता है. मुहूर्त शास्त्र के अनुसार धन तेरस के दिन को आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति के लिए बहुत ही विशेष माना गया है. इस दिन को अनेक रुपों में मनाए जाने का विधान रहा है. धन तेरस के दिन पर ही भगवान धनवंतरी का पूजन भी किया जाता है. इस दिन को आरोग्य की प्राप्ति हेतु भी शुभ माना गया है.

धन तेरस जीवन में शुभता के आगमन का समय 

धनतेरस का समय नई वस्तुओं की खरीदरी से संबंधित भी होता है. इस दिन पर लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार घर में नई चीजों को लाते हैं. यह वस्तुएं आभूषण, वाहन, घर, संपत्ति, बर्तन स्वर्ण चांदी इत्यादि किसी भी रुप में हो सकती है. छोटे मोट सामान की खरीदारी के साथ साथ बड़े बड़े कार्य भी इस दौरान पर करने को प्राथमिकता दी जाती है. मान्यताओं के अनुसर इस समय पर की जाने वाली खरिदारी को बहुत ही शुभ माना जाता है. नए सामान के साथ ही घर में समृद्धि का भी वास होता है. इसके साथ ही इस समय लाया गया सामान लंबे समय तक जीवन में शुभता को प्रदान करने वाला होता है.

कब करें धनतेरस की खरीदारी 

हर साल की तरह इस वर्ष भी धनतेरस के सिन कुछ शुभ मुहूर्तों की प्राप्ति होती है. वैसे तो इस दिन आप पूरे दिन ही खरीदारी कर सकते हैं. किंतु यदि फिर भी कुछ विशेष समय पर खरिदारी करने से शुभता ओर अधिक प्राप्त होती है. कार्तिक मास पर कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ तो 10 नवंबर के दिन दोपहर को होगा 12:35 बजे ही इसकी शुरूआत होगी. 11 नवंबर को यह तिथि दोपहर 13:57 पर समाप्त होगी. ऎसे में धनतेरस का समय 10 नवंबर के दिन मनाया जाने का विधान होगा क्योंकि प्रदोष काल 10 तारिख को प्राप्त होगा. धनतेरस तिथि के दिन प्रदोष काल को बहुत विशेष माना गया है यह समय धनतेरस पूजा के लिए उत्तम होता है. इस कारण से 10 नवंबर को आने वाला प्रदोष काल ही धनतेरस की पूजा के लिए भी उपयुक्त रहने वाला है. धनतेरस 10 नवंबर के दिन मनाया जाएगा इस दिन पूजा का समय संध्या समय पर होगा . धन तेरस की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल पूजन के लिए शाम 17:30 बजे शुरू हो जाएगा जो रात्रि 20:08 तक रहने वाला है. इस समय पर स्थिर लग्न की भी प्राप्ति होगी ओर स्थिर लग्न में पूजा करने को बेहद शुभ समय माना जाता है.  इस दिन स्थिर लग्न के रुप में वृषभ काल प्रदोष समय प्राप्त होगा. स्थिर लग्न का समय 17:47 से आरंभ होकर लगभग 19:34 तक रहने वाला है. अत: यह सभी समय पूजा तथा खरीदारी के लिए भी रहने वाला होगा. एस्ट्रोलॉजर राजरानी

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धनतेरस पर कब करें खरीदारी अभी कर लें नोट, कहीं बीत न जाए शुभ समय 

वैसे तो इस दिन आप पूरे दिन ही खरीदारी कर सकते हैं. किंतु यदि फिर भी कुछ विशेष समय पर खरिदारी करने से शुभता ओर अधिक प्राप्त होती है.

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Dhanteras 2023 date and time: कार्तिक मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है. धन तेरस का समय अत्यंत ही शुभ समय होता है. मुहूर्त शास्त्र के अनुसार धन तेरस के दिन को आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति के लिए बहुत ही विशेष माना गया है. इस दिन को अनेक रुपों में मनाए जाने का विधान रहा है. धन तेरस के दिन पर ही भगवान धनवंतरी का पूजन भी किया जाता है. इस दिन को आरोग्य की प्राप्ति हेतु भी शुभ माना गया है.

धन तेरस जीवन में शुभता के आगमन का समय 

धनतेरस का समय नई वस्तुओं की खरीदरी से संबंधित भी होता है. इस दिन पर लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार घर में नई चीजों को लाते हैं. यह वस्तुएं आभूषण, वाहन, घर, संपत्ति, बर्तन स्वर्ण चांदी इत्यादि किसी भी रुप में हो सकती है. छोटे मोट सामान की खरीदारी के साथ साथ बड़े बड़े कार्य भी इस दौरान पर करने को प्राथमिकता दी जाती है. मान्यताओं के अनुसर इस समय पर की जाने वाली खरिदारी को बहुत ही शुभ माना जाता है. नए सामान के साथ ही घर में समृद्धि का भी वास होता है. इसके साथ ही इस समय लाया गया सामान लंबे समय तक जीवन में शुभता को प्रदान करने वाला होता है.

कब करें धनतेरस की खरीदारी 

हर साल की तरह इस वर्ष भी धनतेरस के सिन कुछ शुभ मुहूर्तों की प्राप्ति होती है. वैसे तो इस दिन आप पूरे दिन ही खरीदारी कर सकते हैं. किंतु यदि फिर भी कुछ विशेष समय पर खरिदारी करने से शुभता ओर अधिक प्राप्त होती है. कार्तिक मास पर कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ तो 10 नवंबर के दिन दोपहर को होगा 12:35 बजे ही इसकी शुरूआत होगी. 11 नवंबर को यह तिथि दोपहर 13:57 पर समाप्त होगी. ऎसे में धनतेरस का समय 10 नवंबर के दिन मनाया जाने का विधान होगा क्योंकि प्रदोष काल 10 तारिख को प्राप्त होगा. धनतेरस तिथि के दिन प्रदोष काल को बहुत विशेष माना गया है यह समय धनतेरस पूजा के लिए उत्तम होता है. इस कारण से 10 नवंबर को आने वाला प्रदोष काल ही धनतेरस की पूजा के लिए भी उपयुक्त रहने वाला है. धनतेरस 10 नवंबर के दिन मनाया जाएगा इस दिन पूजा का समय संध्या समय पर होगा . धन तेरस की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल पूजन के लिए शाम 17:30 बजे शुरू हो जाएगा जो रात्रि 20:08 तक रहने वाला है. इस समय पर स्थिर लग्न की भी प्राप्ति होगी ओर स्थिर लग्न में पूजा करने को बेहद शुभ समय माना जाता है.  इस दिन स्थिर लग्न के रुप में वृषभ काल प्रदोष समय प्राप्त होगा. स्थिर लग्न का समय 17:47 से आरंभ होकर लगभग 19:34 तक रहने वाला है. अत: यह सभी समय पूजा तथा खरीदारी के लिए भी रहने वाला होगा. एस्ट्रोलॉजर राजरानी

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भारत का एक ऐसा धाम, जहां पलक झपकते सुनी जाती है प्रार्थना

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Baba Neem Karoli Dham
locationभारत
userचेतना मंच
calendar06 Nov 2023 08:42 PM
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Baba Neem Karoli Dham : भारत में अनेकों मठ मंदिर हैं, अनेकों सिद्ध महापुरुषों की समाधि हैं। लेकिन भारत में एक ऐसा धाम भी है, जहां पर पलक झपकते ही प्रार्थना स्वीकार हो जाती है और भक्तों की समस्या का निवारण हो जाता है। खास बात यह है कि इस धाम पर न केवल भारत के प्रत्येक राज्य से बल्कि विदेशों से भी भक्त पहुंचते हैं। भारत के दिग्गज नेता और बड़े लोग भी यहां पर नतमस्तक होते हैं।

Baba Neem Karoli Dham

जी हां, यह सच है। यह चमत्कारी धाम उत्तराखंड में। उत्तराखंड में नैनीताल के निकट भुवाली के पास स्थित है। यह धाम परमसिद्ध बाबा नीम करोली जी का है। कहा जाता है कि बाबा नीम करोली धाम के दर्शन करने के दौरान जो प्रार्थना की जाती है, बाबा नीम करोली जी उस प्रार्थना को जल्द ही सुनकर भक्त की परेशानी को दूर कर देते हैं।

नीम करोली बाबा को केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध संत के रूप में जाना जाता है। ये 20वीं सदी के महान संतों में एक थे। जिनके दर्शन के लिए बड़ी-बड़ी हस्तियां भी इच्छुक रहती हैं। नीम करोली बाबा के अनुयायी इन्हें हनुमान जी का अवतार मानते हैं। बाबा के जीवन से कई चमत्कार भी जुड़े हैं। लेकिन इतनी महानता होने के बावजूद बाबा स्वयं को साधारण व्यक्ति ही मानते थे और किसी भी भक्त को अपने पैर छूने नहीं देते थे।

कौन है बाबा नीम करोली

नीम करोली बाबा का जन्म करीब 1900 में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में हुआ था। बताया जाता है कि नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा है। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। 11 वर्ष की उम्र में ही बाबा का विवाह हो गया था। 17 साल की उम्र में इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। 1958 में उन्होंने घर छोड़कर अपना जीवन हनुमान भक्ति में लगा दिया। पूरे उत्तर भारत में वह साधुओं की तरह घूमने लगे। तब वह लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा जैसे कई नामों से जाने जाते थे। उन्होंने गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां लोग उन्हें तलईया बाबा के नाम से पुकारने लगे।

हनुमान जी के अनुयायी थे बाबा नीम करोली

बाबा नीम करोली को उनके भक्त हनुमान जी का अवतार मानते थे। लेकिन नीम करोली बाबा खुद भी हनुमान जी की पूजा किया करते थे। उन्होंने हनुमान जी के कई मंदिर भी बनवाएं। जब कोई भक्त नीम करोली बाबा के पैर छूता तो बाबा पैर छूने से मना कर देते और कहते पैर छूना ही है तो हनुमान जी के छुओ। नीम करोली बाबा भले ही आज जीवित नहीं हैं। लेकिन उनके भक्त श्रद्धापूर्वक उन्हें मानते हैं। बाबा अपने अलौकिक रूप में भक्तों के बीच हमेशा विराजमान रहते हैं।

कहां है बाबा का आश्रम कैंची धाम

ज्ञान और विद्या की प्राप्ति के बाद बाबा नीम करोली उत्तर प्रदेश से देवभूमि उत्तराखंड आ गए। उन्होंने यहां एक आश्रम की स्थापना की। जिसका नाम है कैंची धाम। कैंची धाम नैनीताल के भुवाली से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बाबा नीम करौली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। बाबा नीम करौली 1961 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था। इस धाम को कैंची मंदिर, नीम करोली धाम और नीम करौली आश्रम के नाम से जाना जाता है। यहां आपको हर दुकान पर कंबल मिलेगा। क्योंकि बाबा नीम करौली अक्सर कंबल ओढ़ कर ही रहते थे। ये कंबल उनको कैंची धाम में चढ़ाया भी जाता है। यहां हर साल 15 जून को वार्षिक समारोह मानाया जाता है। इस दिन बाबा के भक्तों की भारी भीड़ कैंची धाम में जुटती है।

इस दिन बाबा ने त्याग दिए थे अपने प्राण

11 सितंबर 1973 की रात बाबा अपने वृंदावन स्थित आश्रम में थे। अचानक उनकी तबीयत खराब होने लगी। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें ऑक्सीजन मास्क लगाया लेकिन बाबा ने इसे लगाने से मना कर दिया। उन्होंने वहां मौजूद भक्तों से कहा अब मेरे जाने का समय आ गया है। उन्होंने तुलसी और गंगाजल को ग्रहण कर रात के करीब 1:15 पर अपना शरीर त्याग दिया। हालांकि उनकी मृत्यु का कारण मधुमेह कोमा बताया जाता है।

बड़ी बड़ी हस्तियां होती है नतमस्तक

बाबा नीम करोली के आश्रम में पहुंचकर बड़ी से बड़ी हस्ती भी उनके सामने नतमस्त हुई है। इन बड़ी हस्तियों के नाम सुनकर शायद आप अचंभित भी हो सकते है। नीम करोली बाबा के भक्तों की सूची में आप भले ही विराट कोहली और अनुष्का शर्मा से परिचित हुए हों, लेकिन देश के प्रधान मंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बाबा नीम करोली के बहुत बड़े भक्त है। आपको बता दे कि एप्पल कंपनी के निर्माता भी बाबा के पास साल 1974 में स्टीव जॉब्स अपने दोस्त डैन कोट्टके के साथ पहुंचे थे। वह उस दौरान हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिकता का अध्ययन करने के लिए भारत आए थे। वहीं स्टीव जॉब्स से प्रेरित होकर फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी 2015 में बाबा नीम करौली के कैंची धाम आश्रम पहुंचे थे। उस वक्त फेसबुक की हालत ठीक नहीं थी, लेकिन बाबा के आश्रम में रुकने के बाद उन्होंने सफलता के नए आयाम लिखे गए। इसके अलावा हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स भी बाबा नीम करोली से प्रभावित हैं।

बाबा नीम करौली का चमत्कार

बाबा नीम करौली के चमत्कार ने लोगों को उनकी शक्तियों में विश्वास करना सिखाया। बाबा की शक्तियों को लोहा लोगों ने तब माना, जब एक बार ट्रेन से यात्रा कर रहे बाबा को टिकट न होने पर टिकट कलेक्टर(TC) ने ट्रेन रुकवा कर उन्हें नीचे उतार दिया। इसके बाद जो हुआ उसने सभी को हिला दिया। बाबा को ट्रेन से उतारने के बाद ट्रेन दोबारा चालू नहीं हो सकी। इसके बाद जब कुछ लोगों ने बाबा को वापस ट्रेन में बुलाने के लिए कहा, तो बाबा ने शर्त रखी कि रेलवे साधुओं का सम्मान करे और जिस जगह बाबा उतरे हैं, वहां एक रेलवे स्टेशन बनवाया जाए। इसके बाद बाबा ट्रेन में चढ़े, जिसके तुरंत बाद ट्रेन चालू हो गई। इसके बाद वहां रेलवे स्टेशन बनाया गया। जिस स्चेशन का नाम बाबा के नाम पर ही रखा गया, नीम करौली स्टेशन।

जब शिप्रा नदी का पानी बना घी- एक किस्सा और है जब शिप्रा का पानी घी में बदल गया। बाबा नीम करौली के धाम ‘कैंची धाम’ में अक्सर भंडारा चलता है। एक बार भंडारे के लिए घी की कमी हो गई। सभी बाबा के पास पहुंचे और उन्हें भंडारे में घी कम पड़ने की समस्या बताई। बाबा ने भोजन में घी के बजाय शिप्रा नदी का जल डालने की बात कही। बाबा के सेवकों ने ऐसा ही किया। फिर क्या था ये जल घी में परिवर्तित हो गया।

कैसे पहुंचे कैंची धाम

बाबा नीम करौली के कैंची धाम जाने के लिए आप उत्तराखंड के काठगोदाम जाएं। यहां तक तक जाने के लिए उत्तर रेलवे की नियमित ट्रेनें चलती हैं। यहां से कैंची धाम आश्रम पहुंचने के लिए दो घंटे की यात्रा कर बस या कार से पहुंचा जा सकता है। 1400 से 1500 तक में बस की टिकट आपको मिल जाएगी। इसके साथ ही होटल भी आपको सीजन के हिसाब से बजट में मिल जाएंगे। आप डायरेक्ट कैंची धाम भी जा सकते है या फिर नैनीताल से कैंची धाम भी आ सकते हैं। नैनीताल से कैंची धाम का रास्ता मात्र एक घंटे से तय किया जा सकता है।

इसके अलावा आप उत्तराखंड के हल्द्वानी बस से जा सकते हैं। वहां से बस या फिर शेयरिंग टैक्सी से कैंची धाम जा सकते हैं। 200 रुपये शेयरिंग और करीब 600 से 700 में टैक्सी करने आप कैंची धाम जा सकते हैं। यहां आस पास ही आपको होटल मिल जाएंगे।

एक ऐसा प्लान है जिसके द्वारा कोई भी बन सकता है करोड़पति

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