ब्रिटेन में पेट्रोल के लिए हाहाकार, आखिर क्यों हो गए ऐसे बुरे हालात?

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(PC- Times News Network)
locationभारत
userसुप्रिया श्रीवास्तव
calendar27 Sep 2021 03:29 PM
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ब्रिटेन- इस समय पूरे ब्रिटेन (Britain) में पेट्रोल की भारी कमी हो गई है। पेट्रोल की कमी की वजह से ज्यादातर पेट्रोल पंप सूखे पड़े हुए हैं। ऐसे में पेट्रोल को लेकर काफी अफरातफरी मच गई है। जहां पर पेट्रोल मिल रहा है, वहां लोगों की भीड़ पूरी तरह से अनियंत्रित हो रही है, जिसे नियंत्रण में करना काफी कठिन हो रहा है। स्थिति इस कदर खराब हो चुकी है की भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस असफल हो रही है। यह भी खबर आ रही है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson)भीड़ को नियंत्रण में लाने के लिए सेना की मदद लेने के बारे में विचार विमर्श कर रहे हैं।

ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि आखिर ऐसी क्या वजह हो गई है कि ब्रिटेन में इस तरह के हालात पैदा हो गए हैं? ऐसी स्थिति क्यों आ गई है कि यहां के 90% फ्यूल स्टेशन पूरी तरह से सूख गए हैं। और बाकी 10% फ्यूल स्टेशन पर इतनी भीड़ है कि उसे नियंत्रित करना कठिन हो रहा है।

इस वजह से नहीं हो पा रही सप्लाई- ब्रिटेन (Britain) में पेट्रोल की सप्लाई ना हो पाने की एक बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि यहां पर ट्रक ड्राइवरों की संख्या में भारी कमी है। जिसकी वजह से ट्रांसपोर्टेशन में काफी मुश्किलें पैदा हो रही है। यही वजह है कि पेट्रोल, रिफाइनरी से पेट्रोल पंप तक नहीं पहुंच पा रहा है। जिसका नतीजा पूरे ब्रिटेन की जनता को भुगतना पड़ रहा है। लंबी लाइन में लगे लोग इतने परेशान हो चुके हैं कि लड़ाई-झगड़े तक की नौबत आ गई है।

ट्रांसपोर्टेशन की समस्या को दूर करने के लिए जारी किया जाएगा Temporary Visa- खबर यह आ रही है कि ट्रांसपोर्टेशन की समस्या को दूर करने के लिए ब्रिटेन सरकार दूसरे देशों से ट्रक ड्राइवर बुलाने के लिए Temporary Visa जारी कर सकती है। ब्रिटेन (Britain) के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने इस बात की पुष्टि की है की ब्रिटेन में हो रहे श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार अस्थाई उपायों को लेकर विचार कर रही है। खबरों के मुताबिक ब्रिटेन में लगभग एक लाख से भी अधिक ड्राइवरों की आवश्यकता है। इस कमी को पूरा करने के लिए अस्थाई उपायों पर विचार किया जा रहा है। साथ ही सरकार की तरफ से यह भी पुष्टि की गई है कि जो भी अस्थाई उपाय लागू किए जाएंगे, उन्हें सख्ती के साथ सीमित समय तक के लिए लागू किया जाएगा।

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भारत और भारतीयों की सुरक्षा, डाटा और पैसा सब खतरे में!

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 07:47 PM
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नई दिल्ली। ये कोई नई बात नहीं है जब हैकर्स के निशाने पर किसी भी देश के लोग उस देश की सरकार और सरकार से जुड़े महत्वपूर्ण संस्थान वहां की मुद्रा और रक्षा संस्थानों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी को हैक करने का प्रयास किया गया हो। हैकर्स बार बार ऐसे प्रयास करते रहते हैं। इसके जवाब में वे देश जिसे हैकर्स आपना निशाना बनाते हैं तमाम तरह के सुरक्षा उपाय करते हैं बावजूद इसके हैकर्स कभी कभी अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं। ऐसा ही अब हो रहा है। भारत और भारतीय दोनों हैकर्स के निशाने पर हैं। चीन और अमेरिका समेत दुनिया भर के कई बड़े देश भारत की अभेद्य साइबर सुरक्षा चक्र को भेदने की लगातार कोशिश कर रहे हैं। इससे भारत की सुरक्षा, लोगों और सरकार का डाटा और पैसा खतरे में है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आई कई रिपोर्ट्स, सरकारी और विभिन्न एजेंसियों से संबद्ध साइबर एक्सपर्ट्स इस बात की पुष्टि करते हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय में नेशनल साइबर सिक्योरिटी कॉर्डिनेटर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) राजेश पंत ने बताया कि हैकर्स के लगभग 40 प्रतिशत हमले अमेरिका से हो रहे हैं। साइबर हमले 3 -4 आईपी एड्रेस से किये जाते हैं। पर अक्सर अंतिम आईपी एड्रेस अमेरिका का होता है। साइबर अपराधियों ने वहां गूगल या एमेजॉन सर्वर की वर्चुअल मशीन हायर की हुई है। इसमें स्टेट और नॉन स्टेट हैकर दोनों हो सकते हैं। खास बात है कि अमेरिका में अपने नागरिकों का डाटा तो कानून के जरिए सुरक्षित है। एप्पल जैसी कंपनी भी अमेरिकी सरकार को डाटा नहीं देती है लेकिन वहां के हैकर दूसरे देशों को निशाना बना देते हैं।

विदेशी सरकारों ने भारत पर हमले के लिए बना रखे हैं साइबर स्लीपर सेल : साइबर विशेषज्ञ संग्राम ने बताया कि साइबर इस दुनिया के युद्ध का नया क्षेत्र है। अमेरिका, रूस, चीन जैसे देश भारत पर हमले करते हैं। ये हमले सरकार समर्थित और गैर समर्थित दोनों हो सकते हैं। इसका मकसद प्रभुत्व हासिल करने का होता है और वे हमारी साइबर खामियां पता करना चाहते हैं। खामियां पता चलने के बाद भविष्य में ये हम पर बड़ा अटैक कर सकते हैं। ये साइबर स्लीपर सेल की तरह काम करते हैं। यह बिल्कुल ऐसा ही है जैसा आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए स्लीपर सेल होते हैं। जो दीमक की तरह आपकी सुरक्षा में सेंध लगाते रहते हैं।

भारत की विकास गति से घबरा रहा चीन, इसलिए कर रहा साइबर हमला : साइबर विशेषज्ञ पवन दुग्गल के अनुसार चीन और अमेरिका से हमले होने की सीधी सी बात ये है कि भारत एक बहुत बड़ी ई कॉमर्स मार्केट के तौर पर उभरा है। साइबर हमलों के जरिए भारत की तरक्की को धीमा करना चाहते हैं। साइबर हमलों का उद्देश्य बहुत साफ है। उनका मकसद है कि भारत का डिजिटल इको सिस्टम ध्वस्त हो जाए। साइबर क्रिमिनल भारत के लोगों का डेटा चुरा कर बाहर ले जाकर उसका दुरुपयोग करते हैं। इस डाटा का इस्तेमाल कर वे भारत की सिक्योरिटी, प्राइवेसी और आर्थिक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाते हैं।

देश पर हर रोज होते हैं लगभग साढ़े तीन हजार हमले : साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे ने बताया है कि 2020 में भारत में 13 लाख साइबर अटैक के मामले सामने आए। यानी रोजाना करीब साढ़े तीन हजार साइबर हमले। यानी हर घंटे में औसतन 150 हमले हमारे देश में होते हैं। पर आपको साल में मात्र 8 या 10 बार ही पता चला होगा कि कोई बड़ा अटैक हुआ है।

माइक्रोसॉफ्ट ने भी माना साइबर हमलों में सबसे ज्यादा पैसा भारतीय खो रहे हैं : माइक्रोसॉफ्ट की 'ग्लोबल टेक सपोर्ट स्कैम रिसर्च' की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में टेक सपोर्ट स्कैम के जरिए अपना पैसा खोने वाले लोगों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की है। टेक सपोर्ट स्कैम के जरिए एक तिहाई भारतीयों ने अपना पैसा खोया है। साल 2018 में 14 फीसदी की तुलना में 2021 में 31 फीसदी भारतीयों ने अधिक पैसा खो दिया। 2018 में वैश्विक औसत 6 फीसदी था, जो 2021 में बढ़कर 7 प्रतिशत हो गया। भारत के बाद सबसे ज्यादा अमेरिका, मैक्सिको और ऑस्ट्रेलिया के लोगों ने टेक सपोर्ट स्कैम के जरिए अपना खोया है।

भरोसा करना भारतीयों की कमजोरी : सर्वे से पता चला है कि 2021 में 47 फीसदी भारतीयों ने बहुत या कुछ हद तक अवांछित संपर्क पर भरोसा किया। साल 2018 में ये आंकड़ा 32 फीसदी था। बता दें, ये सर्वे 6-17 मई 2021 के बीच दुनियाभर के 16 देशों के 16,254 वयस्क इंटरनेट यूजर्स पर किया गया था।

बैंकिंग नेटवर्क पर लगातार हो रहे हैं हमले : पवन दुग्गल के मुताबिक आजकल भारतीय नेटवर्क और वेबसाइटों पर बड़े पैमाने पर हमले किए जा रहे हैं। बैंकिंग नेटवर्क पर लगातार हमले हो रहे हैं। कोविड के बाद से साइबर हमलों का स्वर्णिम युग आ गया है। आज हमें हर पल सजग रहने की जरूरत है। किसी को ये नहीं सोचना चाहिए कि हम साइबर हमले का शिकार नहीं होंगे।

साइबर सुरक्षा को बनाया जाएगा अचूक और अभेद्य : साइबर सुरक्षा के महत्व पर नेशनल साइबर सिक्योरिटी कॉर्डिनेटर लेफ्टिनेंट जनरल ( रिटायर्ड) राजेश पंत ने कहा कि नई साइबर पालिसी में सामरिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण संस्थाओं की कड़े साइबर ऑडिटिंग पर जोर दिया जाएगा। विशेषज्ञों का पैनल होगा जिसमें साइबर ऑडिटर शामिल होंगे और वे अति महत्वपूर्ण संस्थाओं की साइबर सुरक्षा पर ध्यान देंगे। खामियों को उजागर करने के लिए नियमित रूप से साइबर संकट प्रबंधन अभ्यास पर जोर दिया जाएगा। सरकार नई राजेश पंत के मुताबिक साइबर रणनीति के अलावा आईटी अधिनियम में संशोधन पर भी विचार कर रही है जिस पर काम किया जा रहा है। वहीं 2013 के बाद बनने वाली नई साइबर पालिसी देश के पूरे साइबर स्पेस के मौजूदा ढांचे को कवर करेगी। नई साइबर पालिसी का उद्देश्य सुरक्षित, लचीला, जीवंत और विश्वसनीय साइबर स्पेस सुनिश्चित करना है। नई पालिसी का फोकस देश में डेटा को राष्ट्रीय संसाधन मानते हुए उसे सुरक्षित बनाना है। ऑडिट के जरिये साइबर जागरूकता और साइबर सुरक्षा में सुधार की कोशिश की जाएगी। साइबर सुरक्षा के लिए एक अलग बजट का भी प्रावधान संभव है।

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आइसलैंड संसद में पहली बार सबसे ज्यादा महिलाओं की भागीदारी

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 05:06 PM
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मौजूदा समय में महिलाओं की भागीदारी लगभग सभी क्षेत्रों में है चाहे वह सेना मे हो या संसद, खेल हो या शिक्षा सभी क्षेत्रों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी अधिक हैं lमहिलाएं परिवार बनाती है, परिवार घर बनाता है, घर समाज बनाता है और समाज ही देश बनाता है। इसका सीधा सीधा अर्थ यही है की महिला का योगदान हर जगह है। महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है। शिक्षा और महिला ससक्तिकरण के बिना परिवार, समाज और देश का विकास नहीं हो सकता lमहिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी कई प्रयास किए जा रहे हैंl जानकारी के मुताबिक आइसलैंड ने महिलाओं के बहुमत वाली यूरोप की पहली संसद को चुना हैl

आइसलैंड में महिलाओं ने रविवार को मतगणना संपन्न होने पर 63 सीटों में से 33 सीटों पर पूर्ण बहुमत से सफलता हासिल की हैं l इस संसद का गठन होने पर आइसलैंड के प्रधानमंत्री ने सभी युवा महिला सांसदों को बधाई दी हैl आइसलैंड के सभी राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह आइसलैंड की राजनीति मे एक नए मापदंड का काम करेगा इसके अलावा विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि यह चुनाव पूरी तरह से निष्पक्ष और लैंगिक समानता को कहीं ना कहीं दर्शाता है l दूसरे देशों की तुलना मे आइसलैंड में महिलाओं के लिए कोई भी कोटा या आरक्षण नहीं है इसके बावजूद यहां के लोगों ने महिलाओं को एक उचित मुकाम दिलाया हैl संसद के निचले सदन में महिलाओं की भागीदारी मे आइसलैंड तीसरे स्थान पर आता है l इसी प्रकार से संसद में महिलाओं की भागीदारी में भारत सातवें स्थान पर आता है l

डब्ल्यूबीएल सूचकांक के मुताबिक औसत वैश्विक अंक 75.2 पाया गया जो कि पिछले सूचकांक वर्ष 2017 में 73.9 था। भारत ने इस मामले में 74.4 अंक प्राप्त किया है जो कि बेनिन और गेम्बिया जैसे देश के बराबर है। भारत इस मामले में कम से कम विकसित देश जैसे रवांडा और लिसोटो जैसों से भी पीछे है। इस तरह भारत का स्थान 190 देशों में 117वां है।