कब रुकेगा कुदरत का कहर? हिमालय हर साल क्यों सहता है दर्द ?

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Jul 2025 05:29 PM
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National News :  भारत का हिमालयी क्षेत्र, जो देश की जल, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा की धुरी माना जाता है, एक बार फिर जलवायु आपदा के भंवर में फंस गया है। लेकिन हर साल मानसून के साथ यह क्षेत्र जलवायु असंतुलन और मानवीय दखल के घातक मेल से जूझता है। इस बार भी हिमाचल प्रदेश में आसमान से बरसी आफत ने पहाड़ों को दहला दिया है। हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने तबाही की नई तस्वीर पेश की है।

हिमाचल में बारिश बनी कहर

हिमाचल प्रदेश में बीते 24 घंटों के भीतर 16 जगहों पर बादल फटे, तीन स्थानों पर अचानक बाढ़ आई और कई जगहों पर भूस्खलन ने ज़िंदगी थाम दी। इस प्राकृतिक कहर में अब तक 10 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 34 लोग लापता बताए जा रहे हैं। राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, बीते 11 दिनों में भारी बारिश से करीब 357 करोड़ रुपये की क्षति हो चुकी है। मंडी जिला सबसे ज़्यादा प्रभावित है, जहां एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें लगातार राहत कार्य में जुटी हुई हैं। बीते 32 घंटों में मंडी से 316 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है।

राज्य की 406 सड़कें पूरी तरह बंद हो चुकी हैं। सिर्फ मंडी जिले में ही 248 सड़कें बंद पड़ी हैं, जबकि कांगड़ा, कुल्लू, शिमला, सिरमौर, चंबा समेत अन्य जिलों में भी हालात गंभीर हैं। बिजली और जलापूर्ति सेवाएं भी ठप हैं—1,515 ट्रांसफॉर्मर और 171 जल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। बारिश का पैटर्न भी बताता है कि स्थिति कितनी भयावह है—मंडी के सैंडहोल में 223 मिमी, पंडोह में 215 मिमी, पालमपुर में 143 मिमी, और चोपाल में 140 मिमी से अधिक बारिश दर्ज की गई। मौसम विभाग ने 7 जुलाई तक के लिए राज्य भर में ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है।

उत्तराखंड में मौसम का नया मोड़

उत्तराखंड में भी मौसम करवट बदल रहा है। देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र ने 11 जिलों में भारी बारिश और कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि और बर्फबारी की संभावना जताई है। खासकर उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी, पिथौरागढ़, और अल्मोड़ा जैसे जिलों को सतर्क रहने की हिदायत दी गई है।

क्यों बार-बार संकट की जद में आते हैं हिमालयी राज्य?

हिमालय क्षेत्र भारत की पारिस्थितिकी, जल, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा की रीढ़ है, लेकिन यह क्षेत्र प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज़ से सबसे ज़्यादा संवेदनशील भी है। मानसून के दौरान बंगाल की खाड़ी से आई नमी से भारी बारिश होती है, जिससे बादल फटना, भूस्खलन और फ्लैश फ्लड जैसी आपदाएं आम हो गई हैं। राजमार्गों, जलविद्युत परियोजनाओं और जंगलों की अंधाधुंध कटाई ने इन आपदाओं की मार को और घातक बना दिया है। 2021 में उत्तराखंड के चमोली में नंदा देवी ग्लेशियर के टूटने से आई बाढ़ इसकी बानगी है, जिसमें 15 लोगों की मौत और 150 से ज़्यादा लोग लापता हो गए थे।

अगर पिछले कुछ दशकों का रिकॉर्ड देखें, तो उत्तराखंड और हिमालयी क्षेत्र में 1970 से लेकर 2021 तक कम से कम 18 बार भीषण बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाएं आई हैं। इन घटनाओं की तीव्रता और संख्या में इजाफा जलवायु परिवर्तन और मानवीय दखल का सीधा असर है। पश्चिमी विक्षोभ की बढ़ती गतिविधि और ऊंचाई वाले क्षेत्रों का असामान्य रूप से गर्म होना इस परिवर्तन के संकेत हैं।    National News

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हार्ट अटैक से मौतों पर ICMR की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, कोविड वैक्सीन है वजह!

Heart Attack Death Cases
Heart Attack Cases
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 08:26 PM
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Heart Attack Cases : पिछले कुछ महीनों से देशभर में युवाओं की अचानक हार्ट अटैक (Heart Attack) से हो रही मौतों को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। खासकर सोशल मीडिया पर यह दावा किया जा रहा था कि कोविड वैक्सीन लेने के बाद हार्ट अटैक से मौतों में इज3फा हुआ है। अब इन अटकलों पर ICMR (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) और AIIMS दिल्ली की ताजा रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है। दोनों प्रतिष्ठित संस्थानों की गहन और वैज्ञानिक जांच के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि कोविड वैक्सीन और अचानक मौतों के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसी मौतों के पीछे लाइफस्टाइल, आनुवांशिक कारण और पुरानी बीमारियां प्रमुख वजहें हैं न कि वैक्सीन।

क्या कहती है ICMR की स्टडी?

ICMR की नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी (NIE) ने मई से अगस्त 2023 के बीच एक विस्तृत अध्ययन किया। यह रिसर्च देश के 19 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 47 बड़े अस्पतालों से प्राप्त डेटा पर आधारित थी। इसमें 18 से 45 वर्ष के ऐसे युवा शामिल थे जो पहले पूरी तरह स्वस्थ थे लेकिन अक्टूबर 2021 से मार्च 2023 के बीच अचानक मौत का शिकार हो गए।अध्ययन में पाया गया कि इन मौतों का कोविड-19 वैक्सीन से कोई सीधा संबंध नहीं है। उल्टा यह वैक्सीन कोविड से मौत के खतरे को कम करने में कारगर रही है।

AIIMS की चल रही स्टडी का क्या संकेत है?

AIIMS दिल्ली एक अलग स्टडी कर रहा है जो अभी प्रक्रिया में है। इसका मकसद यह समझना है कि आखिर अचानक मौतों के पीछे वास्तविक वजहें क्या हैं। अब तक जो प्राथमिक निष्कर्ष सामने आए हैं, उनमें यह बात सामने आई है कि, युवाओं की अचानक मौतों की सबसे बड़ी वजह हार्ट अटैक है। इसके साथ ही जेनेटिक यानी आनुवांशिक कारण और पहले से मौजूद बीमारियां भी अहम भूमिका निभा रही हैं। रिसर्च के अनुसार, पिछले कुछ सालों में मौतों के कारणों में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है।

कोविड वैक्सीन पर अफवाहों से बचें-विशेषज्ञ

विशेषज्ञों और सरकार ने दो टूक कहा है कि कोविड वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है और इसकी वजह से किसी तरह की सामूहिक मौतों का कोई सबूत नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन पर शक करना न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण के खिलाफ है, बल्कि इससे समाज में डर और भ्रम फैल सकता है। ऐसी बातें लोगों को वैक्सीन लेने से हिचकिचाहट में डाल सकती हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। भारत सरकार ने साफ किया है कि वह सभी फैसले वैज्ञानिक शोध और प्रमाणों के आधार पर लेती है।

क्या हैं अचानक मौतों की असली वजहें?

गलत जीवनशैली (अनियमित खानपान, तनाव, शराब-सिगरेट की लत) वर्जिश की कमी, अनियमित नींद। आनुवांशिक बीमारियां, फैमिली हिस्ट्री। अनदेखी गई पुरानी बीमारियां जैसे हाई बीपी, शुगर और कई मामलों में खेलते समय या वर्कआउट करते हुए अधिक तनाव।

वैक्सीन नहीं लाइफस्टाइल है जिम्मेदार

ICMR और AIIMS की इन रिपोर्ट्स से यह पूरी तरह साफ हो गया है कि कोविड वैक्सीन युवाओं की मौतों की वजह नहीं है। मौत के मामलों की गहराई से जांच करने पर सामने आया है कि उनका कारण वैक्सीनेशन नहीं, बल्कि अन्य स्वास्थ्य और जीवनशैली संबंधी चुनौतियां हैं। इसलिए जरूरी है कि हम वैज्ञानिक तथ्यों पर भरोसा करें अफवाहों से दूर रहें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। साथ ही, कोविड वैक्सीन जैसे सुरक्षात्मक उपायों पर विश्वास बनाए रखें, क्योंकि यह महामारी से लड़ने का एकमात्र प्रभावी तरीका है। Heart Attack Cases

सात समंदर पार PM की राह तकती भारत की दो बेटियां, मोदी के स्वागत के लिए बेताब

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सात समंदर पार PM की राह तकती भारत की दो बेटियां, मोदी के स्वागत के लिए बेताब

PM Modi
PM Modi
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 05:17 PM
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PM Modi : त्रिनिदाद और टोबैगो की धरती पर इस बार एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज होने जा रहा है। 3 और 4 जुलाई 2025 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैरेबियाई देश त्रिनिदाद और टोबैगो की आधिकारिक यात्रा पर पहुंच रहे हैं। यह यात्रा भारतीय प्रवासियों के आगमन की 180वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हो रही है, और इसके जरिए भारत और त्रिनिदाद के रिश्तों में नई ऊर्जा और मजबूती आने की उम्मीद है।

भारत की बेटियां करेंगी PM मोदी का स्वागत

त्रिनिदाद की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर दोनों ही भारतीय मूल की महिलाएं हैं। वे खुद को भारत की बेटियां कहती हैं और इस ऐतिहासिक दौरे को लेकर बेहद उत्साहित हैं। पीएम मोदी की ये यात्रा 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली त्रिनिदाद यात्रा है, जो दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नई ऊंचाई देगी। त्रिनिदाद की 13.6 लाख की आबादी में करीब 40-45% लोग भारतीय मूल के हैं। 30 मई 1845 को जब जहाज ‘फाटेल रजाक’ 225 भारतीय मजदूरों को लेकर त्रिनिदाद पहुंचा था, तब किसी ने नहीं सोचा था कि ये लोग एक दिन इस देश की राजनीति, समाज और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा बन जाएंगे। भोजपुरी लोकगीत, रामलीला, दीवाली, होली और योग जैसी भारतीय परंपराएं त्रिनिदाद की संस्कृति में पूरी तरह रच-बस चुकी हैं। आज उन मेहनतकश प्रवासियों की 5वीं और 6वीं पीढ़ी त्रिनिदाद की राजनीति, शिक्षा, व्यापार और संस्कृति में अग्रणी भूमिका निभा रही है।

PM मोदी के प्रमुख कार्यक्रम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा में कई प्रमुख कार्यक्रम होंगे जिनमें त्रिनिदाद की संसद को संबोधन, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ उच्च-स्तरीय वार्ता, डायस्पोरा के लिए भव्य स्वागत समारोह, जो कूवा के नेशनल साइक्लिंग वेलोड्रोम, पौधरोपण कार्यक्रम और देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद और टोबैगो’ से सम्मान शामिल है। इसके अलावा भारत और त्रिनिदाद के बीच सहयोग के कई नए क्षेत्रों पर चर्चा होगी जैसे- नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (जैसे UPI), स्वास्थ्य और कृषि, आपदा प्रबंधन और खेल त्रिनिदाद और टोबैगो भारत का UPI अपनाने वाला पहला कैरेबियाई देश बन चुका है। इससे भारत की डिजिटल ताकत और मजबूत साझेदारी की झलक मिलती है।

ग्लोबल साउथ में भारत की भूमिका

यह दौरा पीएम मोदी के 5 देशों (घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील, नामीबिया) के व्यापक दौरे का हिस्सा है, जो भारत की ग्लोबल साउथ नीति को दर्शाता है। त्रिनिदाद जैसे छोटे द्वीपीय देश भारत के लिए रणनीतिक साझेदार बनते जा रहे हैं, खासकर जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और डिजिटल समावेशन जैसे वैश्विक मुद्दों पर। पीएम मोदी की यह यात्रा केवल एक राजनयिक दौरा नहीं, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है उन भारतीयों के सम्मान का जो 180 साल पहले श्रमिक बनकर आए थे और अब इस देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बन चुके हैं। यह यात्रा भारत और त्रिनिदाद के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों को और प्रगाढ़ करेगी और दोनों देशों को वैश्विक मंच पर और करीब लाएगी। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि भारतीय विरासत का उत्सव है सात समंदर पार बसे उन लोगों का सम्मान जिन्होंने अपनी मिट्टी की खुशबू विदेश में भी जिंदा रखी। PM Modi

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