Donald Trump : अमेरिका की प्रतिष्ठित मीडिया कंपनी सीबीएस न्यूज ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दायर मानहानि मुकदमे में माफी मांगने या खेद प्रकट करने से साफ इनकार कर दिया है। इसके बावजूद, पैरेंट कंपनी पैरामाउंट ग्लोबल ने मुकदमे को कानूनी रूप से निपटाने के लिए 16 मिलियन डॉलर (करीब 133 करोड़ रुपये) की बड़ी रकम चुकाने पर सहमति जता दी है। इस फैसले को लेकर मीडिया जगत में तीखी बहस छिड़ गई है और पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद वर्ष 2023 के अंत में उस वक्त खड़ा हुआ जब डोनाल्ड ट्रंप ने सीबीएस न्यूज के चर्चित कार्यक्रम ‘60 मिनट्स’ में प्रसारित एक साक्षात्कार को लेकर पैरामाउंट ग्लोबल पर मुकदमा दर्ज किया। ट्रंप का आरोप था कि यह इंटरव्यू जानबूझकर इस तरह से संपादित किया गया जिससे तत्कालीन उपराष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस की छवि को बेहतर दिखाया जा सके। ट्रंप ने कहा कि गाज़ा-इज़राइल युद्ध पर दिए गए हैरिस के जवाबों को दो अलग-अलग मंचों पर इस तरह से पेश किया गया कि उसका राजनीतिक लाभ डेमोक्रेट्स को मिले।
एक क्लिप ‘फेस द नेशन’ में दिखाई गई जबकि दूसरी ‘60 मिनट्स’ में। ट्रंप ने इसे “ब्रॉडकास्ट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला” कहा। हालांकि पैरामाउंट ने मुकदमा निपटाने के लिए 16 मिलियन डॉलर की सहमति तो दे दी, लेकिन यह स्पष्ट किया कि इस समझौते में माफी या खेद जैसी कोई बात शामिल नहीं है। कंपनी ने बयान में कहा, “हम भविष्य में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के इंटरव्यू की प्रमाणित प्रतियां जारी करेंगे, यदि ऐसा करना राष्ट्रीय सुरक्षा या कानूनी आवश्यकता के तहत आवश्यक हो।
कानूनी विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर कानूनी विशेषज्ञों की मिली-जुली राय है। कुछ का मानना है कि सीबीएस के पास इस मामले में कानूनी रूप से मजबूत आधार था और यदि अदालत में मुकदमा चलता तो कंपनी विजयी होती। लेकिन पैरामाउंट की प्राथमिकता अपने चल रहे विलय को सुरक्षित करना रही है। स्काईडांस मीडिया के साथ चल रहे इस विलय के लिए संघीय संचार आयोग (एफसीसी) की मंजूरी आवश्यक है, और सीबीएस के स्थानीय प्रसारण स्टेशनों के चलते यह मामला अधिक संवेदनशील हो गया है।
FCC ने दी सफाई
FCC के अध्यक्ष ब्रेंडन कैर ने जोर देकर कहा है कि स्काईडांस-पैरामाउंट विलय की समीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह स्वतंत्र है और इस मुकदमे का इससे कोई लेना-देना नहीं है। वहीं, प्रेस स्वतंत्रता फाउंडेशन ने इस पूरे विवाद को खारिज करते हुए कहा, “यह मामला इतना कमजोर था कि यह 20 मिलियन डॉलर तो दूर, 20 सेंट के भी लायक नहीं था। Donald Trump
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