क्या सरकार चुनाव आयोग को दे सकती है आदेश? जानिए असली ताकत

क्या सरकार चुनाव आयोग को दे सकती है आदेश? जानिए असली ताकत
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 05:22 AM
bookmark
हाल ही में कर्नाटक सरकार ने बड़ा ऐलान किया है कि वह स्थानीय निकाय चुनावों में EVM की बजाय बैलेट पेपर से मतदान कराने की सिफारिश करेगी। यह कदम खासकर कांग्रेस के चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोपों के बाद आया है जिसने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। लेकिन सवाल उठता है क्या सरकार राज्य चुनाव आयोग को ऐसा करने का आदेश दे सकती है? भारत निर्वाचन आयोग (ECI) और राज्य चुनाव आयोग के बीच क्या अंतर है और इन संस्थाओं पर सरकार का कितना नियंत्रण है? Ballot Papers for Local Polls

भारत निर्वाचन आयोग और राज्य चुनाव आयोग में क्या अंतर है?

भारत निर्वाचन आयोग, जिसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी, एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है जो देश में राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय चुनावों की देखरेख करती है। संविधान के आर्टिकल 324 के तहत इसे अधिकार दिया गया है कि वह राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, राज्य विधानसभा आदि के चुनाव कराए और उनके नियम तय करे। इसका नेतृत्व मुख्य चुनाव आयुक्त करते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वहीं, राज्य चुनाव आयोग राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थानीय निकाय चुनावों के संचालन के लिए जिम्मेदार होता है। यह भी एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है जिसका काम निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना है। इसके प्रमुख को राज्य के राज्यपाल नियुक्त करते हैं।

सरकार का चुनाव आयोगों पर कितना नियंत्रण?

चुनाव आयोगों की स्वतंत्रता को संविधान निर्माताओं ने बहुत अहम माना। डॉ. बीआर अंबेडकर ने चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों जैसा संरक्षण देने की बात कही थी ताकि चुनावी प्रक्रिया में किसी भी तरह का राजनीतिक दबाव न आ सके। इसलिए चुनाव आयोग के फैसलों पर सरकारें सीधे तौर पर आदेश नहीं दे सकतीं। आयोग चुनाव से जुड़े सभी फैसले स्वतंत्र रूप से करता है और चुनावी प्रक्रिया के दौरान सरकारी मशीनरी भी आयोग के नियंत्रण में होती है।

अगर राज्य चुनाव आयोग ने सरकार की बात न मानी तो क्या होगा?

1988 के संशोधन के बाद भी यह व्यवस्था बनी हुई है कि चुनाव अधिकारी आयोग के अधीन रहते हैं और सरकारें केवल सुझाव दे सकती हैं, आदेश नहीं। अगर सरकार को लगता है कि आयोग नियमों का उल्लंघन कर रहा है तो वह अदालत का सहारा ले सकती है लेकिन आयोग को सीधे आदेश देना संभव नहीं है।

क्या विधानसभा चुनावों में भी होगा बैलेट पेपर का इस्तेमाल?

कर्नाटक में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए बैलेट पेपर का इस्तेमाल हो सकता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि विधानसभा चुनावों में भी ईवीएम की जगह बैलेट पेपर आ जाएगा। राज्य चुनाव आयोग अपनी परिस्थितियों के हिसाब से चुनावी उपकरणों का चयन करता है और इस मामले में स्वतंत्र होता है।

भारत निर्वाचन आयोग कब देता है निर्देश?

राज्य चुनाव आयोग, भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के तहत काम करता है। इसलिए जब भी राष्ट्रीय स्तर पर कोई निर्णय लिया जाता है राज्य आयोग उसे लागू करने के लिए बाध्य होता है।

यह भी पढ़ें: देशभर में एकसाथ लागू होगा SIR? इस दिन होगी चुनाव आयोग की बड़ी बैठक

इस लेख का उद्देश्य स्पष्ट करना है कि चुनाव आयोगों की स्वतंत्रता संविधान द्वारा सुरक्षित है और सरकारें इन्हें सीधे आदेश नहीं दे सकतीं। कर्नाटक सरकार का बैलेट पेपर पर जोर राजनीतिक बहस का हिस्सा है लेकिन चुनाव आयोगों के कामकाज पर इसका सीधा असर तभी पड़ेगा जब आयोग स्वयं उसे मंजूरी देगा। Ballot Papers for Local Polls
अगली खबर पढ़ें

क्या आप भी रात में ब्रा पहनकर सोती हैं? जान लें सच्चाई

क्या आप भी रात में ब्रा पहनकर सोती हैं? जान लें सच्चाई
locationभारत
userचेतना मंच
calendar07 Sep 2025 12:06 PM
bookmark
अगर आप भी एक महिला हैं तो आपके दिमाग में भी यह सवाल जरूर आया होगा कि, क्या रात में ब्रा पहनकर सोना हेल्थ के लिए फायदेमंद है? महिलाओं के बीच ब्रा को लेकर तमाम तरह के सवाल होते हैं लेकिन अक्सर महिलाएं अपने हेल्थ से जुड़े सवाल पूछने में बेहद हिचकिचाती हैं। हालांकि आज के मोर्डन दौर में अधिकतर महिलाएं बेझिझक इन टॉपिक्स पर खुलकर बात कर लेती हैं लेकिन कई महिलाएं ऐसी भी हैं जो काफी शर्मिंदगी महसूस करती हैं और गलती कर बैठती हैं जिसका खामियाजा उन्हें बाद में भुगतना पड़ता है। दिनभर की थकान के बाद जब हम महिलाएं आराम की तलाश में बिस्तर पर जाती हैं तो अक्सर यह उलझन भी साथ आती है ब्रा पहनकर सोएं या उतार दें? कहीं इससे ब्रेस्ट पर असर तो नहीं पड़ेगा? कहीं हेल्थ को नुकसान तो नहीं होगा? अगर आप भी इसी उलझन में हैं तो यह आर्टिकल पढ़कर आपकी ये कन्फ्यूजन हमेशा के लिए दूर हो जाएगी। Should You Sleep in Bra

स्किन पर रैशेज और फंगल इन्फेक्शन का खतरा

एक सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट कहती हैं कि, रात में टाइट ब्रा पहनने से पसीना जमा हो जाता है खासकर गर्मियों में। इससे स्किन में जलन, रैशेज और फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। ब्रेस्ट के आसपास की स्किन बहुत नाजुक होती है और ज्यादा पसीने व घर्षण से इरिटेशन होना आम बात है। इसलिए बेहतर है कि रात को सोते वक्त ब्रा खोलकर सोएं।

ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट

जब आप टाइट ब्रा पहनकर सोती हैं तो वह ब्लड फ्लो को बाधित करती है। इससे न सिर्फ सूजन और दर्द हो सकता है बल्कि लंबे समय तक यह ब्रेस्ट के टिशूज पर भी असर डाल सकता है।

नींद पर बुरा असर

जब भी आप ब्रा पहनकर सोती हैं तो अक्सर रातों में आपको सुकून की नींद लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ा होगा। बता दें कि, आरामदायक नींद के लिए ढीले और हल्के कपड़े जरूरी होते हैं लेकिन टाइट ब्रा पहनने से न सिर्फ असहजता होती है बल्कि बार-बार नींद टूटने की समस्या भी हो सकती है। इससे नींद की गुणवत्ता प्रभावित होती है और सुबह आप थकान महसूस कर सकती हैं।

एलर्जी और काले धब्बे

लंबे समय तक ब्रा पहने रहने से स्किन को हवा नहीं मिल पाती जिससे वहां नमी बनी रहती है और बैक्टीरिया पनपने का खतरा बढ़ जाता है। इससे स्किन पर डार्क स्पॉट्स और एलर्जी की समस्या हो सकती है।

ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ा रिस्क

कुछ स्टडीज में कहा गया है कि लंबे समय तक टाइट ब्रा पहनने से ब्रेस्ट में लिम्फैटिक फ्लो रुकता है जिससे ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। हालांकि, इस विषय पर अभी और शोध किए जाने बाकी हैं लेकिन एक्सपर्ट मानते हैं कि रात को ब्रा उतारकर सोना एक सुरक्षित और समझदारी भरा फैसला है।

यह भी पढ़ें: Chandra Grahan में क्या करें गर्भवती महिलाएं? जानें उपाय, नियम और समय

आगे से इस बात का रखें ध्यान

रात को सोने से पहले ब्रा जरूर उतार दें। अगर आपको बिल्कुल सपोर्ट की जरूरत लगती है तो सॉफ्ट, बिना हुक वाली, नॉन-पैडेड ब्रालेट या कैमी पहन सकती हैं। बहुत टाइट ब्रा बिल्कुल न पहनें, खासकर लेटते समय। स्किन को रातभर आराम और हवा मिलने दें। रात को ब्रा पहनना न केवल अनकम्फर्टेबल है बल्कि आपकी सेहत पर भी असर डाल सकता है। अच्छी नींद, स्किन की हेल्थ और ब्रेस्ट हेल्थ के लिए बेहतर यही है कि रात को सोते वक्त ब्रा उतार दी जाए। महिलाओं को अपनी हेल्थ और कम्फर्ट दोनों को प्राथमिकता देनी चाहिए। रात को ब्रा पहनकर सोना कोई जरूरत नहीं है बल्कि ये कई बार हेल्थ रिस्क बन सकता है। Should You Sleep in Bra
अगली खबर पढ़ें

Chandra Grahan में क्या करें गर्भवती महिलाएं? जानें उपाय, नियम और समय

Chandra Grahan में क्या करें गर्भवती महिलाएं? जानें उपाय, नियम और समय
locationभारत
userचेतना मंच
calendar07 Sep 2025 10:00 AM
bookmark
आज (7 सितंबर 2025 को) भारत में साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा जिसकी शुरुआत रात 9 बजकर 58 मिनट पर होगी और समापन रात 1 बजकर 26 मिनट पर। ग्रहण की कुल अवधि लगभग 3 घंटे 28 मिनट की रहेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण से पहले सूतक काल लग जाता है जिसे अशुभ समय माना जाता है। इस दौरान पूजा-पाठ, भोजन और मंदिर में प्रवेश वर्जित रहता है। इस बार सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा और ग्रहण के साथ ही समाप्त हो जाएगा। Chandra Grahan 2025

किन्हें नहीं मानना होता सूतक?

हालांकि, सूतक के नियम सभी पर समान रूप से लागू नहीं होते। गर्भवती महिलाएं, छोटे बच्चे और बुजुर्ग इस दौरान सूतक के कठोर नियमों से मुक्त माने जाते हैं। उनके लिए सूतक का प्रभाव शाम 6:35 बजे से माना जाता है, यानी वे दोपहर में सामान्य रूप से भोजन आदि कर सकते हैं।

क्यों दी जाती है छूट?

दरअसल गर्भवती महिलाएं, नवजात व छोटे बच्चे और बुजुर्ग शारीरिक रूप से अधिक संवेदनशील होते हैं। ऐसे में लंबे समय तक उपवास या सख्त नियम उनके स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं। इसलिए धार्मिक शास्त्रों और ज्योतिषीय परंपराओं में इन्हें सूतक के कठोर नियमों से छूट दी गई है। इन तीनों वर्गों को सलाह दी जाती है कि वे सामान्य दिनों की तरह पौष्टिक भोजन लेते रहें और अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें।

यह भी पढ़ें: जानिए पितृ पक्ष-2025 का तारीखवार पूरा कार्यक्रम

गर्भवती महिलाएं ग्रहण के समय क्या करें?

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण समाप्त होने के बाद गर्भवती महिलाओं को स्नान करना चाहिए। फिर भगवान की पूजा और ध्यान करके स्वस्थ संतान की कामना करनी चाहिए। इसके साथ ही घर में गंगाजल और तुलसी पत्र का छिड़काव करना शुभ माना जाता है ताकि नकारात्मक ऊर्जा का असर न हो। ग्रहण के बाद गंगाजल में तुलसी डालकर उसका सेवन करना और किसी जरूरतमंद को दान देना भी शुभफलदायी माना गया है। ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता और सौभाग्य का संचार होता है। ऐसे में यदि आपके घर में कोई गर्भवती महिला, बच्चा या बुजुर्ग हैं तो उन्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। बस सावधानी रखें और धार्मिक परंपराओं का पालन अपने सामर्थ्य और श्रद्धा अनुसार करें। Chandra Grahan 2025