Health News : दवाओं व आहार में बदलाव से आधी हो सकती है दौरे की समस्या : अध्ययन

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नई दिल्ली स्थित एम्स से संबद्ध मंजरी त्रिपाठी कहती हैं कि मिर्गी से ग्रस्त ऐसे मरीज जिन पर दवाएं असर नहीं कर रही हैं या जो मिर्गी के दौरे को कम करने के लिए प्रभावी उपचार खोजने में असमर्थ रहे हैं, उनके लिये यह देखना उत्साहजनक है कि जीवनशैली में बदलाव को, दौरों की संख्या को कम करने के लिए मानक औषधि उपचार के साथ जोड़ा जा सकता है।International News: सुब्रमण्यम स्वामी ने 2013 की अपनी याचिका वापस ली
जर्नल ‘न्यूरोलॉजी’ में प्रकाशित अध्ययन की लेखिका त्रिपाठी कहती हैं कि हमारे अध्ययन ने पाया कि इस संयोजन से दौरों की आशंका काफी कम हो सकती है। अध्ययन में 160 वयस्कों और किशोरों को शामिल किया गया था, जिन्हें औसतन 10 साल से अधिक समय से मिर्गी थी। जिन्हें दौरे रोकने की चार दवाओं की अधिकतम खुराक लेने के बावजूद हर महीने कम से कम 27 बार दौरे पड़ते थे। उन्हें बिना किसी निर्धारित क्रम के या तो सिर्फ मानक औषधि उपचार लेने या दवा और छह महीने में संशोधित एटकिन्स आहार प्राप्त करने के लिए कहा गया था। प्रतिभागियों ने अपने दौरे और भोजन का विवरण दर्ज किया। उन्हें भोजन सूची, नमूना मेनू और व्यंजन विधि दी गई। कार्बोहाइड्रेट का सेवन प्रतिदिन 20 ग्राम तक सीमित था। अमेरिकी संघीय आहार दिशानिर्देश प्रति दिन 225 और 325 ग्राम कार्ब्स के बीच की सलाह देता है।Health News
छह महीनों के बाद, शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन 26 प्रतिशत लोगों ने दवा और संशोधित एटकिन्स आहार का पालन किया, उनमें सिर्फ दवा लेने वाले लोगों की तुलना में दौरों में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई। सिर्फ दवा लेने वाले लोगों में कमी तीन प्रतिशत दर्ज की गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि आहार समूह में चार लोग अध्ययन के अंत तक दौरों से मुक्त थे, जबकि केवल दवा लेने वाले समूह में कोई भी दौरे की समस्या से मुक्त नहीं था। अध्ययन के दौरान छह महीने में जीवन की गुणवत्ता, व्यवहार और दुष्प्रभावों को भी देखा गया।Covid-19 : इंदौर में ओमीक्रोन के नये उपस्वरूप ‘एक्सबीबी.1’ की दस्तक, संक्रमित महिला की हालत गंभीर
शोधकर्ताओं ने कहा कि जिस समूह ने दवा के साथ संशोधित एटकिन्स आहार का पालन किया था, उनमें सिर्फ दवा लेने वाले समूह की तुलना में सभी क्षेत्रों में सुधार देखा गया।शोधकर्ताओं ने अध्ययन में इस बात को भी स्वीकार किया कि दौरों के बारे में मरीज या उनकी देखभाल करने वालों की तरफ से जानकारी दी गई, इसलिए हो सकता है उनमें से कुछ की जानकारी बिल्कुल भी नहीं दी गई होगी।अगली खबर पढ़ें
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नई दिल्ली स्थित एम्स से संबद्ध मंजरी त्रिपाठी कहती हैं कि मिर्गी से ग्रस्त ऐसे मरीज जिन पर दवाएं असर नहीं कर रही हैं या जो मिर्गी के दौरे को कम करने के लिए प्रभावी उपचार खोजने में असमर्थ रहे हैं, उनके लिये यह देखना उत्साहजनक है कि जीवनशैली में बदलाव को, दौरों की संख्या को कम करने के लिए मानक औषधि उपचार के साथ जोड़ा जा सकता है।International News: सुब्रमण्यम स्वामी ने 2013 की अपनी याचिका वापस ली
जर्नल ‘न्यूरोलॉजी’ में प्रकाशित अध्ययन की लेखिका त्रिपाठी कहती हैं कि हमारे अध्ययन ने पाया कि इस संयोजन से दौरों की आशंका काफी कम हो सकती है। अध्ययन में 160 वयस्कों और किशोरों को शामिल किया गया था, जिन्हें औसतन 10 साल से अधिक समय से मिर्गी थी। जिन्हें दौरे रोकने की चार दवाओं की अधिकतम खुराक लेने के बावजूद हर महीने कम से कम 27 बार दौरे पड़ते थे। उन्हें बिना किसी निर्धारित क्रम के या तो सिर्फ मानक औषधि उपचार लेने या दवा और छह महीने में संशोधित एटकिन्स आहार प्राप्त करने के लिए कहा गया था। प्रतिभागियों ने अपने दौरे और भोजन का विवरण दर्ज किया। उन्हें भोजन सूची, नमूना मेनू और व्यंजन विधि दी गई। कार्बोहाइड्रेट का सेवन प्रतिदिन 20 ग्राम तक सीमित था। अमेरिकी संघीय आहार दिशानिर्देश प्रति दिन 225 और 325 ग्राम कार्ब्स के बीच की सलाह देता है।Health News
छह महीनों के बाद, शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन 26 प्रतिशत लोगों ने दवा और संशोधित एटकिन्स आहार का पालन किया, उनमें सिर्फ दवा लेने वाले लोगों की तुलना में दौरों में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी आई। सिर्फ दवा लेने वाले लोगों में कमी तीन प्रतिशत दर्ज की गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि आहार समूह में चार लोग अध्ययन के अंत तक दौरों से मुक्त थे, जबकि केवल दवा लेने वाले समूह में कोई भी दौरे की समस्या से मुक्त नहीं था। अध्ययन के दौरान छह महीने में जीवन की गुणवत्ता, व्यवहार और दुष्प्रभावों को भी देखा गया।Covid-19 : इंदौर में ओमीक्रोन के नये उपस्वरूप ‘एक्सबीबी.1’ की दस्तक, संक्रमित महिला की हालत गंभीर
शोधकर्ताओं ने कहा कि जिस समूह ने दवा के साथ संशोधित एटकिन्स आहार का पालन किया था, उनमें सिर्फ दवा लेने वाले समूह की तुलना में सभी क्षेत्रों में सुधार देखा गया।शोधकर्ताओं ने अध्ययन में इस बात को भी स्वीकार किया कि दौरों के बारे में मरीज या उनकी देखभाल करने वालों की तरफ से जानकारी दी गई, इसलिए हो सकता है उनमें से कुछ की जानकारी बिल्कुल भी नहीं दी गई होगी।संबंधित खबरें
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