भारत में आज डबल दीपावली, भारतीय खून से उत्पन्न ऋषि सुनक होगें ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री

कौन है ऋषि सुनक जो बन रहे हैं ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री -
ऋषि भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद हैं। इनके पेरेंट्स पंजाब के रहने वाले हैं, जो बाद में विदेश में जाकर बस गए। इनकी मां एक फार्मासिस्ट और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत है। ऋषि का जन्म ब्रिटेन में ही हुआ था। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से राजनीति दर्शन और अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के बाद इन्होंने अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। पोलिटिकल छेत्र में कदम रखने से पहले ऋषि ने इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैश और हेज फंड में काम किया है।सुनक की जीत का एक बड़ा कारण है यह -
सुनक (Rishi Sunak) की जीत का एक बड़ा कारण उनकी बैंकर की छवि है। बतौर पीएम ट्रस के विफल रहने का सबसे बड़ा कारण आर्थिक मोर्चे पर विफल रहना था। ब्रिटेन में महंगाई चुनाव का मुद्दा रहा। ब्रिटेन में आर्थिक अस्थिरता भी रही, जिसके बाद जॉनसन सरकार में वित्त मंत्री रह चुके सुनक इकोनॉमिक बेल आउट प्लान लाए थे। इसे मिडिल क्लास में खासा सराहा था और लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ गई थी।Diwali 2022 : यहां किसी भी ब्राहमण का चेहरा तक नहीं देखते “गुर्जर”
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कौन है ऋषि सुनक जो बन रहे हैं ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री -
ऋषि भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति के दामाद हैं। इनके पेरेंट्स पंजाब के रहने वाले हैं, जो बाद में विदेश में जाकर बस गए। इनकी मां एक फार्मासिस्ट और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत है। ऋषि का जन्म ब्रिटेन में ही हुआ था। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से राजनीति दर्शन और अर्थशास्त्र की पढ़ाई करने के बाद इन्होंने अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया है। पोलिटिकल छेत्र में कदम रखने से पहले ऋषि ने इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैश और हेज फंड में काम किया है।सुनक की जीत का एक बड़ा कारण है यह -
सुनक (Rishi Sunak) की जीत का एक बड़ा कारण उनकी बैंकर की छवि है। बतौर पीएम ट्रस के विफल रहने का सबसे बड़ा कारण आर्थिक मोर्चे पर विफल रहना था। ब्रिटेन में महंगाई चुनाव का मुद्दा रहा। ब्रिटेन में आर्थिक अस्थिरता भी रही, जिसके बाद जॉनसन सरकार में वित्त मंत्री रह चुके सुनक इकोनॉमिक बेल आउट प्लान लाए थे। इसे मिडिल क्लास में खासा सराहा था और लोगों के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ गई थी।Diwali 2022 : यहां किसी भी ब्राहमण का चेहरा तक नहीं देखते “गुर्जर”
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