MP News : 108 वर्ष के सियाराम बाबा, लंगोट में जी रहे जीवन, 10 रुपये चढ़ावा

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MP News: 108 year old Siyaram Baba, living life in nappy, offering 10 rupees
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userचेतना मंच
calendar09 May 2023 04:24 PM
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MP News : सैय्यद अबू साद MP News : आयु 108 बरस, लेकिन 24 घंटे में से करीब 21 घंटे बगैर चश्मे के रामचरित मानस का पाठ, तन पर कपड़े के नाम पर केवल एक लंगोट। कड़ाके की ठंड हो बरसात हो या फिर भीषण गर्मी, तन पर लंगोट के अलावा कुछ नहीं। यहां चढ़ावे के रूप में लिये जाते हैं सिर्फ 10 रुपये। ये हैं मध्यप्रदेश के खरगोन में नर्मदा के तट पर रहने वाले प्रसिद्ध सियाराम बाबा। बाबा के दर्शनों के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु नर्मदा किनारे स्थित इस गांव में आते हैं। उनके नाम से ही गांव प्रसिद्ध हो चुका है। सियाराम बाबा की जर्जर हो चुकी काया देखकर उनकी उम्र का अंदाजा लगाया जा सकता है। लोग देश-विदेश से इनके दर्शनों के लिए आते हैं। 1955 में बसाया आश्रम मध्य प्रदेश के खरगोन जिला मुख्यालय से 65 किमी दूर कसरावद विकासखण्ड का भटयान गांव, जो नर्मदा नदी के तट में बसा है। नर्मदा तट पर भट्याण आश्रम है, यहां सियाराम बाबा के नाम से विख्यात संत हैं, यह एक ऐसे संत जिनकी एक झलक पाने के लिए न सिर्फ़ देश बल्कि विदेशों से भी आए लोग कतार लगाए रहते हैं। त्याग और तपस्या की जीती जागती मूरत है बाबा सियाराम। भक्त बताते हैं कि उनकी आयु 108 वर्ष के आसपास है। बाबा 1955 के आसपास यंहा पर आए थे। उन्होंने नर्मदा नदी के पास ही आश्रम बनवाया और तब से यही पर रह रहे हैं। नर्मदा तट पर आने वाले श्रद्धालु तपस्वी बाबा के दर्शन करना नहीं भूलते। यहां पर मध्यप्रदेश के अलावा तीन राज्यों महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात के लोग बड़ी संख्या में बाबा के दर्शन के लिए आते हैं। [caption id="attachment_87853" align="aligncenter" width="369"]MP News: 108 year old Siyaram Baba, living life in nappy, offering 10 rupees MP News: 108 year old Siyaram Baba, living life in nappy, offering 10 rupees[/caption] महज दस रुपए चढ़ावा देश में मंदिरों में चढ़ावे के लिए कोई नियम नहीं है, लेकिन यहां पर बाबा ने नियम बना दिया है। बाबा का आदेश है कि जो भी श्रृद्धालु आएगा वह दस रूपये से ज्यादा दान नहीं देगा। कमाल तो यह है कि अगर किसी ने बड़ा नोट चढ़ाया तो दस रुपए काटकर बाकि का वापस कर दिया जाता है। आश्रम में प्रतिदिन मेले जैसा माहौल बना रहता है। आश्रम के लोग बताते हैं कि बाबा की उम्र तकरीबन सौ वर्ष की हो चुकी है, फिर भी वह बिना चश्मे के रामायण का पाठ करते हैं। मौसम कोई सा भी हो तन पर सिर्फ लंगोट धारण करते हैं। मकर संक्रांति के दिन भी प्रदेश के अलग अलग नर्मदा घाटों में लगे मेलों से कहीं ज्यादा श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। बताते हैं कि सियाराम बाबा खुद किसी से 10 रुपये से ज्यादा का चढ़ावा स्वीकार नहीं करते पर जब अयोध्या राम मंदिर निर्माण में चंदा देने की बारी आई तो उन्होंने दस दस रुपये के नोट के रूप ढाई लाख रुपये दिए थे। 10 साल की खड़ेश्वरी सिद्धि की भक्त बतातेे हैं मौसम कोई भी हो बाबा केवल एक लंगोट पहनते हैं। उन्होंने 10 साल तक खड़ेश्वरी सिद्धी की है। इसमें तपस्वी सोने, जागने सहित हर काम खड़े रहकर ही करते हैं। खड़ेश्वरी साधना के दौरान नर्मदा में बाढ़ आई। पानी बाबा की नाभि तक पहुंच गया, लेकिन वे अपनी जगह से नहीं हटे। [caption id="attachment_87852" align="aligncenter" width="696"]MP News: 108 year old Siyaram Baba, living life in nappy, offering 10 rupees MP News: 108 year old Siyaram Baba, living life in nappy, offering 10 rupees[/caption] पहुंचते हैं विदेशी भक्त बाबा के दर्शन के लिए विदेश से भी अनुयायी पहुंचते हैं। भक्तों के मुताबिक अर्जेंटीना व ऑस्ट्रिया से कुछ विदेशी लोग आ चुके हैं और उसी समय जब उन्होंने बाबा को 500 रुपए भेंट में दिए। संत ने 10 रुपए प्रसादी के रखकर बाकी लौटा दिए। बाबा के इस काम से विदेशी भी आश्चर्यचकित रह गए थे।

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Tribute : प्रख्यात बंगाली लेखक समरेश मजूमदार का निधन

Majumdar
Eminent Bengali writer Samaresh Majumdar passes away
locationभारत
userचेतना मंच
calendar09 May 2023 04:19 PM
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कोलकाता। साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता बंगाली साहित्यकार समरेश मजूमदार का कोलकाता के एक निजी अस्पताल में सोमवार शाम निधन हो गया। उन्हें 1970 के दशक के अशांत नक्सलवादी काल को चित्रित करने के लिए जाना जाता है। मजूमदार 79 वर्ष के थे।

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12 वर्षों से गंभीर बीमारी से पीड़ित थे मजूमदार

अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि वह 12 वर्षों से भी ज्यादा समय से क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से पीड़ित थे। हाल में उनके स्वास्थ्य में गिरावट आई और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। शाम करीब पौने छह बजे उन्होंने अंतिम श्वांस ली। अपनी ‘उत्तराधिकार’, ‘कालबेला’ और ‘कालपुरुष’ जैसी राजनीति पर आधारित बेहद चर्चित किताबों के अलावा उन्होंने लघु कथाएं और यात्रावृत्तांत भी लिखे। उन्हें नक्सली आंदोलन की पृष्ठभूमि पर लिखी गई ‘कालबेला’ के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। मजूमदार का जासूसी चरित्र ‘अर्जुन’ भी काफी लोकप्रिय हुआ था।

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सीएम ममता बनर्जी ने जताया शोक

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर शोक जताते हुए कहा कि यह साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। जाने-माने फिल्म निर्देशक गौतम घोष ने कहा कि मजूमदार ही वह व्यक्ति थे, जो उत्तर बंगाल में 1970 के दशक के अशांत दौर को किताब के जरिये सामने लेकर आए। मजूमदार ने अपना अधिकतर बचपन उत्तर बंगाल के चाय बागानों में बिताया था। इस अनुभव ने उनके लेखन में एक अमिट छाप छोड़ी। पश्चिम बंगाल में 1960 और 1970 के दशक में नक्सली आंदोलन की आहट राज्य के चाय बागानों में शुरू हुई थी। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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G-20 : गोवा में आज शुरू होगी जी-20 विकास कार्य समूह की तीसरी बैठक

Goa
Third meeting of G-20 Development Working Group will start in Goa today
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:32 PM
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पणजी। गोवा में मंगलवार को शुरू होने वाली जी-20 विकास कार्य समूह (डीडब्ल्यूजी) की बैठक विकास के नतीजे निर्धारित करेगी। इन पर वाराणसी में होने वाली अंतिम मंत्री स्तरीय बैठक में चर्चा की जाएगी। केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।

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डीडब्ल्यूजी में ठोस परिणाम आने की उम्मीद

संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (जी-20) नागराज नायडू काकानूर ने कहा कि गोवा में बैठक बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम बातचीत के उस चरण में हैं, जहां हम जी-20 के सभी सदस्यों के साथ पूर्व में चर्चा किए गए विषयों पर बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है और देशों के बीच अनेक प्रकार से आदान-प्रदान होंगे, लेकिन हमें उम्मीद है कि डीडब्ल्यूजी में ठोस परिणाम सामने आएंगे। डीडब्ल्यूजी के पहले दो सत्रों का आयोजन मुंबई और केरल में हुआ था।

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विकास के नतीजे तय करेगी बैठक

काकानूर ने कहा कि गोवा में बैठक (नौ और 11 मई के बीच) विकास के नतीजे निर्धारित करने की दिशा में कार्य करेगी, जिन पर वाराणसी में मंत्री स्तरीय अंतिम बैठक में चर्चा की जाएगी। डीडब्ल्यूजी जी-20 का आधार है, क्योंकि यह विकास के कार्यक्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करता है जो मौजूदा परिदृश्य में बेहद महत्वपूर्ण है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।